नोटबंदी के 6 साल बाद भी चल रहा है नकली नोटों का धंधा

दिल्ली: साल 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल टीवी पर आकर देश मे तत्कालीन प्रचलित 500 और 1000 के नोट बंद करने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद तमाम भारतीयों को धक्का लगा था क्योंकि इसकी भनक किसी को नही थी। इससे आम लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। सबसे ज्यादा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा था क्योंकि इससे छोटे वर्ग के व्यापारियों का बिजनेस बंद हो गया था। सरकार ने इससे कालाधन और आतंकवाद खत्म होने की बात कही थी। हालांकि बाद में आरबीआई(रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने बाद में आंकड़े जारी कर बताया था कि देश मे 99 फीसदी से ज़्यादा नोट आरबीआई के पास वापस आ गए थे। इससे मोदी सरकार पर विपक्षी दलों ने ख़ूब हमला बोला था। बताया जाता है कि केंद्र सरकार का ये स्टंट फ़ैल हो गया था लेकिन सरकार कभी भी अपनी ग़लती स्वीकार नहीं करेगी।
उस समय केंद्र सरकार ने कहा था कि इसके कई फायदों में से एक नकली नोटों के इस्तेमाल पर लगाम लगाना होगा। लेकिन रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की ताज़ा वार्षिक रिपोर्ट पर नज़र डालें तो ये साफ़ है कि भारत में नकली नोटों के चलन में इज़ीफ़ा हो रहा है।
वित्तीय वर्ष 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई ने वर्ष 2020-21 की तुलना में 500 रुपये मूल्य के 101.9 प्रतिशत अधिक नकली नोट और 2,000 रुपये मूल्य के 54.16 प्रतिशत अधिक नकली नोटों का पता लगाया।
इसी तरह दस रुपए के नकली नोटों में 16.4 फ़ीसदी, 20 रुपए के नकली नोटों में 16.5 फ़ीसदी और 200 रुपए के नकली नोटों में 11.7 फ़ीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। केवल 50 और सौ रुपए के नकली नोटों में क्रमशः 28.7 फ़ीसदी और 16.7 फ़ीसदी की गिरावट पाई गई।
आरबीआई के मुताबिक़ 2021-22 के दौरान बैंकिंग क्षेत्र में पाए गए कुल नकली भारतीय मुद्रा नोटों (FICN) में से 6.9 प्रतिशत रिजर्व बैंक में और 93.1 प्रतिशत अन्य बैंकों में पाए गए।
गौरतलब है कि आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में उन नकली नोटों को जगह दी है जो बैंकों में पकड़े गए हैं। इसमें पुलिस और अन्य प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा जब्त किए गए नकली नोट शामिल नही हैं।
नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार साल 2020 के दौरान 92 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के कुल 8,34,947 नकली नोट ज़ब्त किए गए। वर्ष 2019 में पकड़े गए 25 करोड़ रुपए मूल्य के 2,87,404 नकली नोटों की तुलना में ये 190.5 फ़ीसदी ज़्यादा थे।