टैक्स से बचने के लिए VIVO ने 62 हज़ार करोड़ रुपए चीन में भेजे

VIVO ने 1 लाख 25 हज़ार 185 करोड़ रुपये के कुल बिक्री रेवेन्यू में से लगभग आधा हिस्सा भारत के बाहर भेज दिया
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VIVO India के कर्मचारियों ने उसकी तलाशी अभियान के दौरान सहयोग नहीं किया. बल्कि कर्मचारियों ने जांच के दौरान भागने व डिजिटल उपकरणों को छिपाने की कोशिश भी की.

नई दिल्ली - दुनियाभर में मोबाइल निर्माता कंपनी VIVO की मनी लॉन्ड्रिंग(Money Laundering) के मामले में जांच के दौरान हैरान करने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं. ईडी(Enforcement Directorate) ने अपनी जांच में पाया है कि चीन(China) की मोबाइल कंपनी VIVO की भारतीय यूनिट(Indian Unit) ने टैक्स से बचने के लिए अपने रेवेन्यू(Revenue) का आधा हिस्सा मनी लॉन्ड्रिंग के जरिये चीन भेजा. एडी ने बताया है कि VIVO India ने 62 हज़ार 476 करोड़ रुपये चीन भेजे थे. ईडी ने बयान जारी कर कहा कि VIVO की भारतीय इकाई ने गैर कानूनी तरीके से 2017 से 2021 के बीच में अपने रेवेन्यू का आधा हिस्सा चीन व अन्य देशों में भेज दिया. ईडी ने ये भी बताया कि इस दौरान कंपनी ने भारत में 1 लाख 25 हज़ार 185 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया. बता दें कि जांच एजेंसी ईडी चीनी कंपनी VIVO पर मनी लॉन्ड्रिंग कानून(Money Laundering Prevention Act 2002) के तहत कार्रवाई कर रही है.

ईडी ने बताया कि VIVO मोबाइल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड(VIVO Mobile India Pvt. Ltd.)  व इसकी 23 सहायक कंपनियों के खिलाफ मंगलवार को गहन तलाशी अभियान चलाया गया. जिसमें कम्पनियों के बैंक खातों में जमा 465 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई है. इसके अलावा 73 लाख रुपये की नकदी और दो किलोग्राम सोने की सिल्ली भी जब्त की गई हैं.

चीन के 3 नागरिकों  ने बनाई 23 कंपनियां

ई़डी ने यह कार्रवाई भारत में 23 सहायक कंपनियां बनाने में चीन के तीन नागरिकों के शामिल होने की जानकारी सामने आने के बाद की है. इन तीन चीनी नागरिकों में से एक की पहचान VIVO के पूर्व डायरेक्टर बिन लाऊ(Bin Lau) के रूप में हुई है, जो अप्रैल 2018 में देश छोड़कर चला गया था. वहीं अन्य दो चीनी नागरिकों की पहचान वहीं VIVO India के डायरेक्टर्स जेंगशेन वू, झांग जी(Zhengshen ou & Zheng Jie) के रूप में हुई है जो 2021 में भारत छोड़कर जा चुके हैं. इन कंपनियों के गठन में नितिन गर्ग नाम के चार्टर्ड अकाउंटेंट(Charted Accountant) ने भी मदद की थी.


कुल रेवेन्यू का आधा हिस्सा भेजा देश से बाहर

ईडी ने अपने बयान में कहा, "इन कंपनियों ने VIVO India) को कोष का बड़ा हिस्सा भेजा है. आगे चलकर 1,25,185 करोड़ रुपये के कुल बिक्री रेवेन्यू में से VIVO India) ने लगभग आधा हिस्सा भारत के बाहर भेज दिया. यह रकम मुख्य रूप से चीन भेजी गई." ईडी ने कहा कि VIVO India ने भारत में टैक्स भुगतान से बचने के लिए अपनी सहायक कंपनियों में भारी नुकसान दिखाने के नाम पर कमाई का आधा हिस्सा विदेश भेजा है. ईडी के मुताबिक, वीवो मोबाइल्स प्राइवेट लिमिटेड(VIVO Mobiles Pvt. Ltd.) की शुरुआत 1 अगस्त, 2014 को हांगकांग(Hong Kong) स्थित कंपनी मल्टी एकॉर्ड लिमिटेड(Multi Accord Ltd.) की एक सहायक कंपनी के रूप में किया गया था. इसके बाद में इसके डायरेक्टर्स ने 22 अन्य कंपनियां भी बना ली. एजेंसी इन सभी के वित्तीय विवरणों की पड़ताल कर रही है.

कर्मचारियों ने जांच में नहीं किया सहयोग

ईडी ने VIVO India पर ये आरोप भी लगाया है कि VIVO India के कर्मचारियों ने उसकी तलाशी अभियान के दौरान सहयोग नहीं किया. बल्कि कर्मचारियों ने जांच के दौरान भागने व डिजिटल उपकरणों को छिपाने की कोशिश भी की. हालांकि एजेंसी की तलाशी में जांच टीमें इन डिजिटल सूचनाओं को हासिल करने में सफल रहीं. बता दें कि ईडी ने VIVO India की एक सहयोगी कंपनी जीपीआईसीपीएल(JPICPL) के खिलाफ दिल्ली पुलिस की एफआईआर के आधार पर बीती तीन फरवरी को अपनी एफआईआर दर्ज की थी. इस कंपनी और उसके शेयरधारकों पर फेक आइडेंटिटी कार्ड लगाने एवं गलत पता देने का आरोप था.

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