पीएचडी शोधार्थियों को मिलेगी राहत: पीएचडी में रिसर्च पेपर प्रकाशित करवाना अब नहीं जरूरी

CSIR, ICMR संस्थानों में नए नियमों से होंगे दाखिले, चार वर्षीय स्नातक डिग्री में 7.5 सीजीपीए लेने वाले छात्र सीधे पीएचडी में ले सकेंगे दाखिले
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रिसर्च पेपर
शैक्षणिक सत्र 2022-23 से विश्वविद्यालयों, सीएसआईआर, आईसीएमआर, आईसीएआर आदि में इन्हीं नियमों के तहत पीएचडी दाखिले होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत यूजीसी ने चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम को लागू करने की मंजूरी दी है। अब चार वर्षीय स्नातक डिग्री प्रोग्राम में 7.5 सीजीपीए लेने वाले छात्र सीधे पीएचडी में दाखिले ले सकेंगे।

नई दिल्ली- अब तक पीएचडी शोधार्थियों को थीसिस किसी भी जर्नल में छपवाना अनिवार्य रहता था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत यूजीसी ने चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम को लागू करने की मंजूरी दी है।  लेकिन अब पीएचडी शोधार्थियों के लिए राहत की खबर है कि अब उन्हें अपनी थीसिस का रिसर्च पेपर प्रकाशित करवाना अनिवार्य नहीं होगा। पीएचडी प्रोग्राम में कम से कम 12 और अधिक से अधिक 16 क्रेडिट होने अनिवार्य रहेंगे।  इसके अलावा छात्र अपनी रिसर्च का पेटेंट भी करवा सकेंगे।लेकिन आगामी सत्र से दाखिले लेने वाले छात्रों को नए नियम के तहत छूट मिलेगी। 

रिसर्च पेपर


इसी के तहत अब चार वर्षीय स्नातक डिग्री प्रोग्राम में 7.5 सीजीपीए लेने वाले छात्र सीधे पीएचडी में दाखिले ले सकेंगे। शैक्षणिक सत्र 2022-23 से विश्वविद्यालयों, सीएसआईआर, आईसीएमआर, आईसीएआर आदि में इन्हीं नियमों के तहत पीएचडी दाखिले होंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत यूजीसी ने चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम को लागू करने की मंजूरी दी है। नए नियम में प्रोफेसर आठ से अधिक, एसोसिएट प्रोफेसर कम से कम छह और असिस्टेंट प्रोफेसर कम से कम चार पीएचडी स्कॉलर्स रख सकता है

पीएचडी में दाखिले के लिए विश्वविद्यालयों या एनटीए की संयुक्त दाखिला प्रवेश परीक्षा में भाग लेने के लिए पीजी प्रोग्राम में 50 या 55 फीसदी अंक होने अनिवार्य हैं।  जिन छात्रों ने एमफिल प्रोग्राम में अपना कोर्स वर्क पूरा कर लिया है, वे इंटिग्रेटिड एमफिल-पीएचडी में दाखिले  ले सकते हैं। महिला उम्मीदवार को पीएचडी कार्यकाल में मैटरनिटी लीव, चाइल्ड केयर लीव के तहत 240 दिनों का अवकाश मिल सकता है। एमफिल प्रोग्राम समाप्त हो गया है।  


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शैक्षणिक सत्र 2022-23 से विश्वविद्यालयों, सीएसआईआर, आईसीएमआर, आईसीएआर आदि में इन्हीं नियमों के तहत पीएचडी दाखिले होंगे।  पीएचडी दाखिले के लिए 70 अंकों का लिखित और 30 का इंटरव्यू होगा।  इसी के तहत अब चार वर्षीय स्नातक डिग्री प्रोग्राम में 7.5 सीजीपीए लेने वाले छात्र सीधे पीएचडी में दाखिले ले सकेंगे।  नए नियमों में दो कॉलेज मिलकर अब डिग्री प्रोग्राम की पढ़ाई करवा सकते हैं। 

विश्वविद्यालयों में वर्तमान में जारी व्यवस्था यानी तीन साल स्नातक और दो साल का पीजी करने वाले छात्र भी पीएचडी में दाखिला ले सकेंगे। पीएचडी छह साल में पूरी करनी होगी। कोई भी संस्थान दो साल से अधिक अतिरिक्त समय नहीं देगा। वहीं, महिला उम्मीदवारों और दिव्यांगजनों (40 फीसदी से अधिक) को छह साल के अलावा दो साल अतिरिक्त समय मिलेगा।  इसके अलावा यदि कुछ 60 फीसदी सीटों के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिलते हैं तो फिर विश्वविद्यालय खाली सीटों को 40 फीसदी ओपन सीटों से जोड़ सकेंगे। 

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नए रेग्युलेशन के तहत कोई भी फुल टाइम रेगुलर प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर पीएचडी करवा सकेंगे। । इसके अलावा विदेशी पीएचडी स्कॉलर्स मिलने पर दो स्कॉलर्स सुपर न्यूमेरी सीट के तहत रखे जा सकते हैं।प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर को पीएचडी करवाने के लिए कम से कम पांच रिसर्च प्रकाशित होनी जरूरी होंगी। जबकि सहायक प्रोफेसर के लिए पांच साल तक टीचिंग, रिसर्च अनुभव के साथ तीन रिसर्च प्रकाशित होनी जरूरी रहेंगी। 

जबकि विश्वविद्यालय अपनी 40 फीसदी सीटों पर अपनी या एनटीए द्वारा आयोजित होने वाली संयुक्त दाखिला प्रवेश परीक्षा की मेरिट से दाखिला दे सकेंगे। लेकिन पीएचडी के लिए विश्वविद्यालयों की संयुक्त दाखिला प्रवेश परीक्षा में शामिल होने के लिए सीजीपीए 7.5 से अधिक होना जरूरी होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय डिग्री प्रोग्राम के तहत रिसर्च या ऑनर्स प्रोग्राम के छात्र सीधे पीएचडी में दाखिले ले सकेंगे। विश्वविद्यालयों की कुल पीएचडी सीटों में से 60 फीसदी सीट नेट या जेआरएफ क्वालीफाई छात्रों के लिए आरक्षित रहेंगी।
 

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