ITR भरते समय इन 8 बातों का रखें ध्यान, नहीं तो मिल सकता है नोटिस
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करदाताओं को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के दो ऑप्शन मिलते हैं। 1 अप्रैल, 2020 को नया ऑप्शन दिया गया था। नए टैक्स स्लैब में 5 लाख रुपए से ज्यादा आय पर टैक्स की दरें तो कम रखी गईं, लेकिन डिडक्शन छीन लिए गए। वहीं अगर आप पुराना टैक्स स्लैब चुनते हैं तो आप कई तरह के टैक्स डिडक्शन का फायदा ले सकते हैं। बहुत से लोग अपने सभी बैंक खातों की जानकारी नहीं देते, जिनसे उन्होंने उस वित्तीय वर्ष में लेन देन किया है। ऐसा करना गलत है, क्योंकि आयकर विभाग ने अपने अधिनियम में साफ तौर पर कहा है कि टैक्सपेयर्स को अपने नाम पर पंजीकृत सभी बैंक खातों की जानकारी देना जरूरी है।
फॉर्म 26AS या टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट आपकी आय पर काटे गए TDS के भुगतान की सभी जानकारी दे देता है। अपना टैक्स रिफंड क्लेम करने से पहले इसे जरूर जांच लें। टैक्सपेयर को इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले Form 26AS और Form 16/16A से इनकम मिलाने के लिए कहा जाता है। यह टैक्स कैलकुलेशन में किसी भी तरह की गलती से आपको बचाएगा जिससे आप एक सही टैक्स रिटर्न फाइल कर पाएंगे। कई लोगों को लगता है कि टैक्स रिटर्न भरने के बाद उनका काम खत्म हो गया है लेकिन आपको टैक्स रिटर्न फाइल करने के बाद उसे वेरिफाई भी करना होता है। आप अपने इनकम टैक्स के ई-फाइलिंग पोर्टल से अपने टैक्स रिटर्न को ई-वेरिफाई कर सकते हैं या सीपीसी-बेंगलुरू भेज कर भी उसे वेरिफाई करा सकते हैं।
इनकम टैक्स के नियमों के तहत अगर आपको एक साल में 50 हजार रुपए से अधिक कीमत का गिफ्ट मिला है तो इस पर आपको टैक्स देना होगा। ऐसे में आपको इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय इस बात का ध्यान रखना होगा। इनकम टैक्स रिटर्न करते समय हमेशा अपनी आय की सही जानकारी देनी चाहिए। अगर आप जानबूझकर या गलती से भी अपनी आय के सभी स्रोत नहीं बताते हैं तो आपको आयकर विभाग का नोटिस आ सकता है। बचत खाते के ब्याज और घर के रेंट से होने वाली आय जैसी जानकारियां भी देनी होती हैं। क्योंकि ये आय भी टैक्स के दायरे में आती हैं।