हरियाणा में 50 से कम छात्र वाले स्कूलों को बंद करने के फैसले को लेकर विधानसभा सत्र में घिरी BJP-JJP

प्रदेश में 38 हजार 476 अध्यापकों के पद खाली पड़े हैं - बलराज कुंडू
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बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने जिलों से ऐसे स्कूलों की सूची मांग की है, जहां छात्रों की संख्या 50 से कम है. ये स्कूल 916 बताए जा रहे हैं. ऐसे में सूत्र बताते हैं कि शिक्षा विभाग इन स्कूलों को बंद करने की ताक में है. इनमें मौजूद छात्रों को तीन किलोमीटर के दायरे में मौजूद स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जाएगा और इनमें स्वीकृत तमाम पदों को समाप्त कर दिया जाएगा.

चंडीगढ़ - हरियाणा विधानसभा(Haryana Legislative Assembly) का मॉनसून सत्र(Monsoon Session) कल यानी 8 अगस्त से शुरू हो चुका है. बीते कल प्रदेश में आये दिन हो रही आपराधिक घटनाओं को लेकर विपक्ष ने सरकार पर जमकर निशाना साधा. महम निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू(Meham MLA Balraj Kundu) ने गृह को कानून व्यवस्था पर खूब खरी-खोटी सुनाई. आज हरियाणा में सरकारी स्कूलों के बंद करने के सरकार के फैसले को लेकर विपक्ष फिर से सरकार पर हमला करने की तैयारी में है. विधायक बलराज कुंडू सदन में सरकारी स्कूलों में टीचर्स की कमी के मुद्दे पर भी सरकार से जवाब तलब करने जा रहे हैं.

निर्दलीय विधायक कुंडू ने बताया कि सरकारी स्कूलों में टीचर्स नहीं हैं. उन्होंने बताया कि प्रदेश में 38 हजार 476 अध्यापकों के पद खाली पड़े हैं. शिक्षा मंत्री ने पिछले सत्र में भर्ती करने का भरोसा दिलाया था लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं कि गई है. बलराज कुंडू ने कहा कि सरकार खाली पदों की भर्ती कराने की बजाय सरकारी स्कूलों पर ही ताला जड़ रही है. चिराग योजना(Chirag Scheme) के तहत प्रदेश में निजी शिक्षा को सरकार बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है और छात्रों की 50 से कम संख्या होने के बहाने से स्कूलों को बंद किया जा रहा है.

क्या है मामला?

दरअसल बताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने जिलों से ऐसे स्कूलों की सूची मांग की है, जहां छात्रों की संख्या 50 से कम है. ये स्कूल 916 बताए जा रहे हैं. ऐसे में सूत्र बताते हैं कि शिक्षा विभाग इन स्कूलों को बंद करने की ताक में है. इनमें मौजूद छात्रों को तीन किलोमीटर के दायरे में मौजूद स्कूलों में शिफ्ट कर दिया जाएगा और इनमें स्वीकृत तमाम पदों को समाप्त कर दिया जाएगा.

वहीं टीचर यूनियन सरकारी स्कूलों में इस बार करीब ढाई लाख दाखिले कम होने के लिए शिक्षा विभाग की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. इनका कहना है कि मॉडल संस्कृति स्कूलों(Model Sanskriti School) में छात्रों से 500 रुपये महीना फीस ली जा रही है, जबकि निजी स्कूलों में दाखिला लेने वालों को 1100 रुपये महीना दिए जा रहे हैं. इससे साफ है कि सरकारी स्कूलों को बंद करने की साजिश की जा रही है. लेकिन सेकेंडरी एजुकेशन डायरेक्टर(Secondary Education Director) डॉ अंशज सिंह फिलहाल स्कूलों के समायोजन की खबरों का खंडन कर रहे हैं. इनका कहना है कि विभाग के पास हर स्कूल में शिक्षक और छात्रों की संख्या के अनुपात की सही जानकारी हो, इस उद्देश्य से उक्त तमाम जानकारी जुटाई जा रही है.

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