विधानसभा में विधेयक पारित, सरकारी गवाह बनने पर रिहा होंगे सह-अपराधी

स्वीकृति के बाद ही विधेयक के कानून बनने की अधिसूचना होगी जारी 
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विधानसभा में विधेयक पारित
हरियाणा सरकार ने सह-अपराधी को क्षमा दान देने से जुड़ी सीआरपीसी 1973 की मौजूदा धारा 306 की उपधारा 4 (ख ) को बदल दिया है। इसके लिए मंगलवार को विधानसभा में दंड प्रक्रिया संहिता हरियाणा संशोधन विधेयक-2022 पारित किया गया। सरकारी गवाह बनने पर सह-अपराधियों को अब जमानत पर रिहा किया जा सकेगा।

चंडीगढ़- संशोधन विधेयक के लागू होने के बाद अदालत को सह-अपराधी को जमानत पर रिहा करने का अधिकार मिल जाएगा। विधानसभा में पारित संशोधन विधेयक को अब राज्यपाल के जरिये राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। अभी तक यह प्रावधान है कि सह-अपराधी को जमानत न मिलने पर मामले का ट्रायल समाप्त होने तक कस्टडी में ही रहना पड़ता है। सीआरपीसी, 1973 में प्रदेश विधानसभा संशोधन तो कर सकती है लेकिन अंतिम मुहर राष्ट्रपति ही लगाएंगे। उनकी स्वीकृति के बाद ही विधेयक के कानून बनने की अधिसूचना जारी होगी।

Bill passed in assembly, accomplices will be released if they become government witnesses

गृह मंत्री अनिल विज ने विधेयक को सदन पटल पर चर्चा और पारित करने के लिए रखा। स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने इसे सर्व सम्मति से पास कराया। हरियाणा सरकार ने सह-अपराधी को क्षमा दान देने से जुड़ी सीआरपीसी 1973 की मौजूदा धारा 306 की उपधारा 4 (ख ) को बदल दिया है। मंगलवार को विधानसभा में दंड प्रक्रिया संहिता हरियाणा संशोधन विधेयक-2022 पारित किया गया। सरकारी गवाह बनने पर सह-अपराधियों को अब जमानत पर रिहा किया जा सकेगा।अब अगर किसी केस में संलिप्त सह-अपराधी, मुख्य अपराधी एवं अन्य के विरुद्ध सरकारी गवाह बनने को तैयार हो जाता है तो अदालत उसे क्षमा दान दे सकेगी। सह-अपराधी पहले से जमानत पर नहीं होना चाहिए।

Bill passed in assembly, accomplices will be released if they become government witnesses

पहले यह 10 से 2 बजे तक का रहता था लेकिन इस बार 11 बजे से 6 बजे तक का किया गया है। इससे विधायकों को 6 घंटे काम का समय मिल गया है। इसके अलावा विधानसभा परिसर में विधायकों के लिए भोजन की व्यवस्था भी की गई है, जिसमें 100 रुपये खर्च करके विधायक थाली ले सकते हैं।विधानसभा में पारित संशोधन विधेयक को अब राज्यपाल के जरिये राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। चूंकि, सीआरपीसी, 1973 में प्रदेश विधानसभा संशोधन तो कर सकती है लेकिन अंतिम मुहर राष्ट्रपति ही लगाएंगे। उनकी स्वीकृति के बाद ही विधेयक के कानून बनने की अधिसूचना जारी होगी। 

Bill passed in assembly, accomplices will be released if they become government witnesses

 

विधायक इस नए सिस्टम को सीख रहे हैं। अभी ऑनलाइन व फिजिकल दोनों सिस्टम से विधानसभा को चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि विधानसभा में ई-विधान की नई व्यवस्था देखने को मिली है। हरियाणा की विधानसभा तीसरी ऐसी विधानसभा बन गई है जो पूरी तरह ऑनलाइन हो गई है।मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले विधानसभा सत्र से पूरी तरह से ऑनलाइन नेशनल ई-विधान एप्लीकेशन (नेवा) के माध्यम से कार्य किया जाएगा। इस सत्र में विधानसभा के समय में भी बदलाव किया गया है। 

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