पानी दो राज्यों का मसला, केंद्र सरकार दखल बंद करे

चंंडीगढ़़ - पंजाब में पानी के मसले पर किसान जत्थेबंदियां एक बार फिर से इकट्ठी होने जा रही हैं। इसके लिए सभी को मोहाली के अंब साहिब में 5 अगस्त को आने का न्यौता दिया गया है। किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि संविधान में पानी को राज्य का मसला बताया गया है और राज्य ही इस पर फैसला लेगा कि पानी आगे किसी को देना है या नहीं। राजेवाल ने रविवार को जालंधर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि देशभर की नदियों का दोबारा फिर नए सिरे से सर्वे करवाया जाना चाहिए कि उनमें अब पानी बचा कितना है। उन्होंने कहा कि पंजाब में नदियों का पानी तो घटा ही है साथी ही भूजल भी खत्म हो गया है। पर्यावरण संरक्षण के लिए किसान जत्थेबंदियों ने एक लाख पौधा पंजाब में लगाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने कहा कि पंजाब में जो पौधे किसान लगाएंगे वह मोटरों के आसपास ही लगाएंगे। जो भी किसान पौधे लगाएगा वह बाकायदा उनकी रखवाली से लेकर उसका पूरा पोषण करेगा। पौधा रोपण हवा में नहीं होगा बल्कि इसके लिए मोबाइल नंबर भी जारी किए जाएंगे कि किस किसान ने कितने पौधे लगाए हैं और कोई भी जाकर उन्हें चेक भी कर सकेगा।
पानी के मुद्दे पर उन्होंने केंद्र सरकार को कहा कि वह बेइंसाफी बंद करे। उन्होंने कहा कि पानी राज्यों का मसला है तो वह इसमें दखल न दे। दोनों राज्य आपस में बैठकर खुद ही इसका हल निकाल लेंगे और हल निकालने में दोनों सक्षम भी हैं। उन्होंने कहा कि जब रिपेरियन सिद्धांत लागू किया गया था। उस वक्त नदियों के हालात कुछ और थे, लेकिन मौजूदा दौर में हालात बिल्कुल बदल चुके हैं। उन्होंने कहा कि रिपेरियन सिद्धांत के अनुसार केंद्र पानी देने की बात को करता है, लेकिन जो रॉयल्टी पंजाब की अभी तक नहीं मिली है उस पर केंद्र सरकार चुप्पी साध लेती है।
पंजाब में नहरों से खेतों को पानी के लिए निकाले गए सूओं पर किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा कि पंजाब में सूए सिल्ट औऱ गंदगी से भरे हुए हैं। उनसे खेतों को पानी नहीं जा रहा है। नहरों से पानी धड़ल्ले से चोरी हो रहा है। किसान नेता कहा कि पंजाब का नहरी विभाग इनकी कोई देखरेख नहीं कर रहा है। जिससे किसानों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है।
किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने कहा सि उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री भगवंत मान को चिट्ठी भी लिखी थी। जिसमें उन्होंने पंजाब के पानी, पंजाब यूनिवर्सिटी के साथ-साथ चंडीगढ़ के मसले को केंद्र सरकार के समक्ष उठाने की मांग की थी। राज्य सरकार को नशे के लेकर भी उन्होंने केंद्र सरकार के समक्ष मुद्दा उठाने की बात कही थी। ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों से जो नशा पड़ोसी देश से आ रहा है उसे रोका जा सके।
बलवीर सिंह राजेवाल से पूछा कि जब आंदोलन चला था तो 32 किसान जत्थेबंदियां थीं, आज की तारीख में बहुत सारी टूट चुकी हैं। इस पर उन्होंने कहा कि सही है कि जब आंदोलन चला था तो 32 जत्थेबंदियां थीं, लेकिन अब टूट कर सौ से ज्यादा हो चुकी हैं। पंजाब के किसान आज की तारीख में भी एकजुट हैं। राजेवाल से यह पूछे जाने पर कि आपके साथ जत्थेबंदियों ने क्यों छोड़ा, क्या चुनाव लड़ना इसका कारण तो नहीं, पर बोलते हुए कहा कि हो सकता है कि उनका चुनाव लड़ना भी कारण रहा हो, लेकिन चिंता न करें हम एक हैं और एक रहेंगे। खालिस्तान के लिखे जा रहे नारों पर उन्होंने कहा कि यह उनका विषय नहीं है, लेकिन वह इसका समर्थन भी नहीं करते हैं।