गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी में राजस्थान के जालोर में दलित बच्चे की मौत के विरोध में निकाला गया कैंडल मार्च

देश में ऐसी धार्मिक व सामाजिक मान्यताओं पर पूरे देश में विचार करना चाहिए - प्रोफेसर संजीव असीम
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कुछ दिन पहले राजपूत देवासी और मेघवाल समुदाय की करीब 40 लोग शेर सिंह के स्कूल में जमा हुए थे. क्योंकि हमारे बच्चे से स्कूल में पढ़ते हैं इसलिए सब ने मिलकर यह तय किया कि कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई जाएगी.

हिसार - बीती 13 अगस्त को राजस्थान के जालोर जिले में 9 साल के दलित बच्चे की टीचर द्वारा पिटाई के बाद हुई मौत के बाद एक बार फिर भारत में जातिवाद व छुआछूत का मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर उठ गया है. देशभर में दलित बच्चे की मौत का विरोध किया जा रहा है.

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती, भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद , पूर्व लोकसभा स्पीकर व बाबू जगजीवन राम के बेटी मीरा कुमार व दलित चिंतकों ने जाति व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं. इसी कड़ी में हिसार में स्थित गुरु जम्भेश्वर यूनिवर्सिटी में मृतक इंद्र मेघवाल की मौत के विरोध में कैंडल मार्च निकाला गया. जिसमें भारी संख्या में अध्यापक, गैर शिक्षक कर्मचारी संघ के सदस्य व छात्र-छात्राओं ने कैंडल मार्च का हिस्सा बन अपना विरोध व्यक्त किया.

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कैंडल मार्च के बाद मीडिया से बातचीत में प्रोफेसर विनोद गोयल ने बतायाकि ऐसी मानसिकता के लोगों के लोग देश का माहौल खराब करते हैं. उन्होंने कहा की इस तरह की मानसिकता रखने वाले लोगो को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. वही प्रोफेसर सरोज ने कहा की देश की ऐसी हालत देखकर लगता है, कि देश में संविधान को ठीक से लागू नहीं किया गया है. लोग सही संविधान का गलत उपयोग कर रहे है. उन्होंने कहा की ऐसे लोगो के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. 

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वही यूनिवर्सिटी के गैर शिक्षक कर्मचारी संघ के प्रधान वीरेंद्र भारद्वाज ने कहा गैर शिक्षक कर्मचारी संघ ऐसी मानसिकता का विरोध करता है, और ऐसे दोषियों के खिलाफ फांसी की मांग करता है. उन्होंने बताया की गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय की तरह हर शिक्षण संस्थान में अपना भाईचारा मजबूत होना चाहिए. यूनिवर्सिटी के पूर्व कर्मचारी संघ अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता इंद्राज भारती ने बताया की देश आजादी का अमृत महोत्सव माना रहा है, जबकि दलित गरीब समाज पर अत्याचार आज भी बंद नही हुए है. ऐसे हालातो को देखकर आप कैसे कह सकते है की हम आजाद भारत में जी रहे हैं. आज भी हम गुलामी कि मानसिकत का शिकार होकर घुटन भरी जिंदगी जीने पर मजबूर है. 

इसी बीच प्रोफेसर संजीव असीम ने बताया की देश में ऐसी धार्मिक व सामाजिक मान्यताओं पर पूरे देश में विचार करना चाहिए और धर्म आधारित ओछी मानसिकताओं को बंद किया जाना चाहिए. कैंडल मार्च में प्रोफेसर संजीव प्रोफेसर, टीकाराम, प्रोफेसर खजान सिंह, प्रोफेसर कृष्ण रंग, प्रोफेसर अमनदीप, प्रोफेसर सरोज और कर्मचारी इंद्राज भारती, उदयभान चोपड़ा, ओमप्रकाश दहिया और शोधार्थी अमरजीत, सचिन रंगा, छात्र मनोज अठवाल, संजय कुमार, अनिल अटवाल, सचिन सुरबरा, विजय भारतीय, प्रमोद सोनी, छात्रा पारुल लक्षिका व सैकड़ों छात्र और छात्राएं मौजूद रहीं.

क्या है मामला

मामला जालोर जिले(Jalore District) के सायला पुलिस स्टेशन एरिया के सुराणा गांव का है. जहां बीती 20 जुलाई को एक प्राइवेट स्कूल सरस्वती विद्या मंदिर में तीसरी क्लास के दलित छात्र इंद्र मेघवाल ने उस मटके से पानी पी लिया था जिससे राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखने वाले टीचर पानी पीते थे. इससे क्रोधित होकर एक टीचर छैल सिंह ने उसे इतनी बुरी तरह से पीट दिया. जिससे बच्चे की आंख और कान की नस फट गई.

जानकारी के मुताबिक बच्चे की हालत को देखते हुए जालोर जिला अस्पताल से उसे उदयपुर रेफर कर दिया गया लेकिन हालत में सुधार न होने के चलते उसे इलाज के लिए अहमदाबाद ले जाया गया था जहां कई दिनों के लंबे इलाज के बाद बच्चे ने शनिवार,13 अगस्त को दम तोड़ दिया. आरोपी टीचर को हिरासत में ले लिया गया है और उसपर SC/ST एक्ट व हत्या के प्रयास समेत IPC (Indian Penel Code) की कई धाराओं में केस दर्ज किया गया है.

मृतक छात्र के पिता देवाराम ने बताया कि 20 जुलाई को तीसरी क्लास में पढ़ने वाला उनका 9 साल का बेटा इंद्र मेघवाल सामान्य दिनों की तरह 20 जुलाई को भी स्कूल गया था. सुबह करीब साढ़े दस बजे उसे प्यास लगी. उसने स्कूल में रखी मटकी से पानी पी लिया.

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उसे नहीं पता था कि यह मटकी स्कूल के टीचर छैल सिंह के लिए रखी गई है. इससे सिर्फ छैल सिंह ही पानी पीते हैं. इसकी खबर आरोपी टीचर छैल सिंह को मिली तो उसने इंद्र को बुलाया और जमकर पीटा. इतना पीटा की उसकी दाहिनी आंख और कान पर अंदरुनी चोटें आईं. छैल सिंह ने जातिसूचक शब्दों का भी प्रयोग किया. 

उन्होंने बताया," पहले तो लगा कि हल्की चोट आई है, लेकिन ऐसा नहीं था. पिटाई के बाद इंद्र की तबीयत खराब होने लगी तो उसे जालोर जिला अस्पताल ले गए. जालोर से उसी दिन इंद्र को उदयपुर रेफर कर दिया गया था. यहां भी तबीयत में सुधार नहीं हुआ तो कुछ दिनों बाद अहमदाबाद ले गए थे. यहां इलाज के दौरान शनिवार सुबह करीब 11 बजे मौत हो गई."

अब इस मामले में एक नई बात सामने आई है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आरोपी टीचर ने पीड़ित परिवार पर पैसे लेकर अपना मुंह बंद रखने का दबाव बनाया था. बताया जा रहा है कि आरोपी टीचर राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखता है. जिसके समुदाय के लोगों ने भी पीड़ित परिवार पर पैसे लेकर मामले को रफा दफा करने का दबाव बनाया था. जिसके बाद पीड़ित परिवार चुप भी हो गया था. 

मृतक बच्चे इंद्र मेघवाल के चाचा ने मीडिया को बताया," कुछ दिन पहले राजपूत देवासी और मेघवाल समुदाय की करीब 40 लोग शेर सिंह के स्कूल में जमा हुए थे. क्योंकि हमारे बच्चे से स्कूल में पढ़ते हैं इसलिए सब ने मिलकर यह तय किया कि कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई जाएगी.

छैल सिंह ने खुद भी माना कि उसने जो किया है वो गलत है और उसने हमें डेढ़ लाख रुपए देने के लिए भी कहा. इसके साथ ही यह भी कहा कि वह इंद्र के इलाज के लिए 1 लाख रुपये अलग से देगा.

इंद्र के चाचा किशोर मेघवाल के मुताबिक," कुछ दिनों बाद दो हिस्सों में छैल सिंह ने पीड़ित परिवार को डेढ़ लाख रुपए दे दिए थे. पहले परिवार ने केमिस्ट की दुकान से दवाई लाकर इंद्र को दी. लेकिन उससे आराम नहीं मिला. इसके बाद उसे उदयपुर भर्ती कराया गया.

कुछ दिन वहां इलाज चला. लेकिन डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए. इसके बाद उसे गुजरात के मेहसाणा ले जाया गया और आखिर में 13 अगस्त की सुबह उसे अहमदाबाद के सरकारी अस्पताल में भर्ती किया गया. जहां उसकी मौत हो गई.
 

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