हरियाणा के व्यवसायी जय करण शर्मा को मरणोपरांत मिला ‘द लॉजिस्टिक्स मैन ऑफ इंडिया’ सम्मान

जय करण शर्मा को एलेडन ग्लोबल वैल्यू एडवाइजर्स की ओर से ‘द लॉजिस्टिक्स मैन ऑफ इंडिया’ का अवार्ड द‍िया गया है
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1979 में उन्होंने कर्ज लेकर चेतक नाम से अपनी कंपनी बनाई। कंपनी में हिदुंस्तान कॉपर लिमिटेड के पी एस गहलौत की आर्थिक मदद और मार्गदर्शन से उन्होंने किराए के ट्रकों से फर्टिलाइजर ढुलाई का काम शुरू किया। इसमें अच्छा लाभ हुआ और उन्हें फर्टिलाइजर किंग कहा जाने लगा। बाद में वे मद्रास में टफे कंपनी के ट्रैक्टरों की ढुलाई का ठेका ले लिया। अस्सी के दशक में भारत में ऑटोमोबाइल क्रांति आने पर उन्होंने मारुति कारों को ट्रकों से भेजना शुरू किया। कंपनी से लेटर ऑफ इंटेंट मिलने पर उन्होंने अपने ट्रक खरीदे और बड़े और लंबी दूरी के कॉन्ट्रैक्ट लेने लगे। हुंडई, फोर्ड, टाटा मोटर्स, टोयोटा आदि बड़ी कंपनियों के काम से अच्छी कमाई के बाद जय करण ने एक दिन में 100 से ज्यादा ट्रक खरीदकर रिकॉर्ड बनाया

दिल्ली.  हरियाणा प्रदेश के लिए बेहद गौरव के पल है और प्रेरणादायक भी, हर‍ियाणा के दिवंगत व्यवसायी और चेतक लॉज‍िस्‍ट‍िक्‍स ल‍िम‍िटेड के संस्थापक जय करण शर्मा को एलेडन ग्लोबल वैल्यू एडवाइजर्स की ओर से ‘द लॉजिस्टिक्स मैन ऑफ इंडिया’ का अवार्ड द‍िया गया है। देश में लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट के व्यवसाय को ऊंचाइयों तक ले जाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उनको यह सम्मान दिया गया है। शुरुआती अभाव की जिंदगी में अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने इस काम को शुरू कर काफी सफलता पाई। इसके चलते आज इस काम में लाखों लोगों की जीविका चल रही है।

जय करण शर्मा का जन्म पहली नवंबर 1955 को हरियाणा के भिवानी जिले के झिंझर गांव में हुआ था। उनके पिता जगदीश शर्मा किसानी के साथ-साथ पहलवानी भी करते थे। मां मिश्री देवी घरेलू महिला थीं। कथूरा गांव की कृष्णा से उनका विवाह हुआ। उनके दादा पंडित रामस्वरूप के पूर्वज राजस्थान से आए थे। पिता जगदीश शर्मा आर्थिक संकट की वजह से बड़े भाई छोटू राम शर्मा के साथ पहले दूध बेचने का काम किए, बाद में एटलस साइकिल की एजेंसी ले ली। 1968-69 में वह आजीविका की तलाश में कलकत्ता चले गये। वहां उन्होंने एक ढाबा खोला। इससे उनकी आमदनी थोड़ी बढ़ी।

पढ़ाई-लिखाई में मेधावी और वॉलीबाल के अच्छे खिलाड़ी होने के बावजूद जयकरण शर्मा ने शुरू में कुछ दिन पिता के साथ खेती-किसानी की। गांव के सरकारी स्कूल में आठवीं तक की पढ़ाई करने के बाद आगे की पढ़ाई अचीना गांव से की। 16 साल की उम्र में उन्होंने हरियाणा बोर्ड की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास की। इसके बाद वे कलकत्ता गए और वहां से उन्होंने प्री-यूनिवर्सिटी की परीक्षा पास की।

इस दौरान वह एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में काम भी करते रहे। कलकत्ता और फिऱ खेतड़ी में काम के दौरान उनकी मेहनत से खुश होकर कंपनी के मालिक संत लाल ने उनका तबादला दिल्ली कर दिया। 1975 में वह अपनी पत्नी को लेकर दिल्ली आ गए। यहां पहाड़गंज स्थित ऑफिस में वह कंपनी के लिए मार्केटिंग-सेल्स का काम देखने लगे। कुछ समय बाद वे उत्तर भारत के ब्रांच हेड बना दिए गए, लेकिन बाद में वे अपने छोटे भाई राम फल और दो मित्रों को वहां का काम सौंपकर अलग हो गए।

1979 में उन्होंने कर्ज लेकर चेतक नाम से अपनी कंपनी बनाई। कंपनी में हिदुंस्तान कॉपर लिमिटेड के पी एस गहलौत की आर्थिक मदद और मार्गदर्शन से उन्होंने किराए के ट्रकों से फर्टिलाइजर ढुलाई का काम शुरू किया। इसमें अच्छा लाभ हुआ और उन्हें फर्टिलाइजर किंग कहा जाने लगा। बाद में वे मद्रास में टफे कंपनी के ट्रैक्टरों की ढुलाई का ठेका ले लिया। अस्सी के दशक में भारत में ऑटोमोबाइल क्रांति आने पर उन्होंने मारुति कारों को ट्रकों से भेजना शुरू किया। कंपनी से लेटर ऑफ इंटेंट मिलने पर उन्होंने अपने ट्रक खरीदे और बड़े और लंबी दूरी के कॉन्ट्रैक्ट लेने लगे।

हुंडई, फोर्ड, टाटा मोटर्स, टोयोटा आदि बड़ी कंपनियों के काम से अच्छी कमाई के बाद जय करण ने एक दिन में 100 से ज्यादा ट्रक खरीदकर रिकॉर्ड बनाया।

कॉलेज ड्रॉप आउट होने के बावजूद जय करण मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग में काफी तेज थे। 1980 में उन्होंने हर शहर में अपने ब्रांच खोलने शुरू कर दिए। इस दौरान उन्होंने कुल 60 ब्रांच खोले और हजारों लोगों को रोजगार दिया। उन्होंने मैनेजमेंट के बेहतरीन सिद्धांतों का इस्तेमाल किया। एक कुशल इंजीनियर की भांति उन्होंने ट्रकों की बॉडी में काफी बदलाव किए, ताकि वे ज्यादा माल ढो सकें। 11 अक्टूबर 2020 को उनका निधन हो गया।

सामाजिक और धार्मिक प्रवृत्ति के जय करण ने गरीब बेटियों की शादी करवाने, धर्मशाला बनवाने, क्लिनिक और कॉलेजों को खोलने में उदारतापूर्वक मदद कीं। स्वर्गीय जय करण शर्मा जी मरणोपरांत भी हरियाणा का मान बढ़ाया है। इसको लेकर उनके परिजन भी गर्व महसूस कर रहे है।

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