काल कर लम्पी बीमारी से बचाव के लें सुझाव : हेल्पलाइन नं. 9485737001 जारी

सात वैज्ञानिकों की ड्यूटी लगाई, प्रत्येक को दो से तीन जिलों की जिम्मेदारी
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वायरस, लंपी त्वचा रोग
डॉ. एसपी दहिया, निदेशक विस्तार शिक्षा निदेशालय ने इस प्रणाली का विवरण करते हुए बताया कि यह हेल्पलाइन सेवा पूरे प्रदेश में कार्य करेगा। कुल 7 वैज्ञानिक इस पर कार्य करेंगे।। हेल्पलाइन सेवा का मकसद पशुपालकों को इस रोग से बचाव के साथ-साथ इस रोग से जुड़े भ्रम व मिथक दूर करना हैं, जिससे पशुपालकों को बेहतर सुविधा मिल सके। 

हिसार- प्रदेश में लम्पी स्किन रोग के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए लुवास के विस्तार शिक्षा निदेशालय ने हेल्पलाइन सेवा जारी की है। गुरुवार को लुवास के वीसी प्रोफेसर डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने वीसी सचिवालय से हेल्पलाइन नंबर 9485737001 जारी कर इस प्रणाली को शुभारंभ किया।हेल्पलाइन सेवा का मकसद पशुपालकों को इस रोग से बचाव के साथ-साथ इस रोग से जुड़े भ्रम व मिथक दूर करना हैं, जिससे पशुपालकों को बेहतर सुविधा मिल सके।

वायरस, लंपी त्वचा रोग

डॉ. दहिया ने बताया कि यह हेल्पलाइन सेवा डॉ. देवेंद्र सिंह, वैज्ञानिक, हरियाणा पशु विज्ञान केंद्र, महेंद्रगढ़ द्वारा विकसित की गई है जो सोमवार से शनिवार सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक कार्यरत रहेगी। प्रोफेसर डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने बताया कि लुवास का एक हेल्पलाइन नंबर (9300000857) पहले से सुचारू रूप से कार्य कर रहा है। प्रत्येक वैज्ञानिक को दो से तीन जिलों का चार्ज दिया गया है।डॉ. एसपी दहिया, निदेशक विस्तार शिक्षा निदेशालय ने इस प्रणाली का विवरण करते हुए बताया कि यह हेल्पलाइन सेवा पूरे प्रदेश में कार्य करेगा। कुल 7 वैज्ञानिक इस पर कार्य करेंगे। 

वायरस, लंपी त्वचा रोग


मवेशियों में इस रोग के कई सारे लक्षण पाए जाते हैं।  जैसे बुखार, वजन का कम होना, लार निकलना, आंख और नाक का बहना, दूध का कम होना, शरीर पर अलग-अलग तरह के नोड्यूल दिखाई देते हैं, जिन्हें त्वचा का घाव कहा जाता है। अक्सर ये महीनों तक शरीर पर बने रहते हैं। कई दफा तो ये भी देखा जाता है कि इस रोग के चलते मादा मवेशियों में बांझपन, गर्भपात, निमोनिया और लंगड़ापन झेलना पड़ जाता है। इस रोग में शरीर पर गांठें बन जाती हैं।  गर्दन और सिर के पास इस तरह के नोड्यूल ज्यादा दिखाई देते हैं।  


 

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