दीपेंद्र हुड्डा बोले- आदमपुर में कुलदीप ने काम नहीं कारनामे किए
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हिसार- देर रात तक दीपेंद्र हुड्डा ने आदमपुर के गांवों जनसंपर्क अभियान चलाया। दीपेंद्र ने कहा कि आदमपुर में पार्टी का जो भी उम्मीदवार होगा, वह जिताऊ होगा। आदमपुर में कुलदीप ने काम नहीं कारनामे किए हैं। लोगों के लिए काम नहीं किए। यदि मेरी सीट खाली होती है तो इसका फायदा भाजपा होगा। दीपेंद्र ने कहा कि मैं राज्यसभा सांसद हूं। खुद के चुनाव में नहीं उतरूंगा।
वहीं, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष उदयभान ने कटाक्ष करते हुए कहा कि उसने पार्टी की पीठ में छुरा घोंपा है। आदमपुर की जनता के लिए कुलदीप ने कोई मामला नहीं उठायाभजन लाल के नाम पर दुकान खोल रखी है, इनका अपना क्या योगदान है। सड़क के नेता नहीं रहे। फोन तक नहीं उठाते।। यह अपने पिता भजन लाल के नाम पर खाते रहे हैं।
दीपेंद्र ने कहा भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं का काला धन सफेद हो जाता है। दल बदल के कारण खाली हुई आदमपुर सीट के पीछे ED, CBI और इनकम टैक्स जैसी सरकारी संस्थाओं की भूमिका बताते हुए सवाल किया कि सरकार बताए उसके पास कौन सी ऐसी मशीन है, जिसके जरिए नेताओं का काला धन सफेद हो जाता है।
हरियाणा में शीर्ष नेतृत्व जो भी उम्मीदवार देगा, मैं उसके साथ ही खुद को उम्मीदवार मानूंगा।महकमों को बांट कर लूट रहा है। यह दादा गौतम, सांसद अरविंद शर्मा, देवेंद्र बबली से पूछ लेना, इन्हीं के सांसद और विधायक बता रहे हैं कि कौन लूटने में लगा हुआ है।इसलिए हम ऐसा कदम कोई नहीं उठाएंगे, जिससे भाजपा को फायदा हो। आदमपुर में बहुत-सी बेइमान ताकतें एक हो गई हैं। ईमानदारों को भी एक होना पड़ेगा।
क्रॉस वोटिंग से अजय माकन हार गए और कांग्रेस ने उन्हें वर्किंग कमेटी के पद से हटा दिया।इससे नाराज कुलदीप बिश्नोई ने राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा, परंतु नहीं मिला। तब कुलदीप ने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार को वोट न देते हुए कहा कि उसने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर वोट दिया। इसके बाद कुलदीप भाजपा नेताओं के संपर्क में रहे और राष्ट्रपति चुनाव में भी भाजपा को वोट दिया।
कुलदीप कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का पद न मिलने से राहुल गांधी से नाराज चल रहे थे। कुलदीप बिश्नोई ने आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक पद से 3 अगस्त को इस्तीफा दिया। 4 अगस्त को कुलदीप भाजपा में शामिल हो गए। । तब हुड्डा दलित कार्ड खेलते हुए उदयभान को प्रदेशाध्यक्ष बनाने में सफल रहे।भूपेंद्र हुड्डा अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को प्रदेशाध्यक्ष बनाना चाहते थे, परंतु कुलदीप उनकी राह में अड़चन पैदा कर रहे थे