सोनीपत से कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार के विधायक पद से इस्तीफा देने की खबर

सोनीपत - हरियाणा के सोनीपत से कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पवार ने इस्तीफा देने की खबर को गलत बताया और कहा कि, मैंने कानून व्यवस्था को लेकर इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी. जबकि हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता का कहना है कि सुरेंद्र पवार का मेल आया हुआ है. जिसके बाद पंवार से फोन पर बात की गई और उन्होंने कहा कि वो होशो हवास में इस्तीफा दे रहे हैं.
दरअसल सोनीपत से कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पवार के इस्तीफे की खबर सोमवार शाम सुर्खियों में रही. तमाम टीवी चैनलों ने ये खबर चलाई की कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पवार ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पवार ने अपना इस्तीफा हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को ई-मेल के जरिए भेजा है.
विधायक सुरेंद्र पवार के इस्तीफे से राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है. वहीं मीडिया में खबरें आने के तुरंत बाद ही पवार का बयान आया कि, किसी ने गलत खबर चला दी, मैंने कानून व्यवस्था को लेकर इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी.
वहीं इस पूरे मामले पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष बोले, सुरेंद्र पंवार का इस्तीफा मिला है. इसके बाद पंवार से फोन पर बात की तो वो बोले, होशो हवास में दिया इस्तीफा. फिलहाल अब एजी बलदेव राज महाजन से राय ली जा रही है.
बता दें कि 21 तारीख से विधानसभा को डिजिटल बनाने के लिए विधायकों का पंचकूला प्रशिक्षण है. लेकिन उससे पहले ही हरियाणा विधानसभा डिजिटल हो रही है. हालांकि उस ट्रेनिंग सेशन के टॉपिक्स में यह मेंशन नहीं है कि कोई ऑनलाइन इस्तीफा देगा तो उसे स्वीकार किया जा सकता है.
वहीं अगर ये इस्तीफा स्वीकार हुआ तो विधायक़ी से डिजिटल तौर पर पहला त्यागपत्र होगा. विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता का कहना है कि आज ही इस्तीफा मंजूर हो सकता है. बता दें कि सुरेंद्र पवार ने 2014 के चुनाव में इनेलो की टिकट पर चुनाव लड़ा था और दूसरे स्थान पर रहे थे. अब वह कांग्रेस की तरफ से विधायक बने थे.
विधायक सुरेंद्र पवार के इस्तीफे की खबरों से राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है. जानकारी अनुसार विधायक सुरेंद्र पवार को लगातार धमकियां भी मिल रही थी. सोनीपत का राजनीतिक इतिहास कैसा रहा है जानिए
1972 में पंडित चिरंजी लाल सोनीपत से विधायक बने थे. इसके बाद से यह सीट कांग्रेस के लिए पंजाबी सीट बन कर रह गई थी. 1977 के चुनाव में विधायक चुनकर आए बाबू देवीदास लगातार 3 बार विधायक रहे. वह वर्ष 1977 के बाद 1982 व 1987 के चुनाव में विधायक चुने गए.
इसके बाद 1991 में शामदास मुखीजा विधायक बने. इसके बाद दो बार देवराज दीवान निर्दलीय विधायक बने, जबकि उनके सामने कांग्रेस के पंजाबी प्रत्याशी ही थे. 2005 में कांग्रेस ने पूर्व मंत्री मोहनलाल ठक्कर के बेटे अनिल ठक्कर को मैदान में उतारा था, वह जीत दर्ज कर सोनीपत के विधायक बने.
वर्ष 2009 फिर से कांग्रेस की ओर से अनिल ठक्कर मैदान में थे, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. जबकि वर्ष 2014 में देवराज दीवान कांग्रेस प्रत्याशी बने.