कुलदीप बिश्नोई आज होंगे बीजेपी में शामिल, जानिए क्या वजह रही कांग्रेस से मोह भंग होने की

कुलदीप बिश्नोई अपने बेटे भव्य बिश्नोई को भी राजनीति में लाना चाहते हैं
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साल 2024 में हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव हैं. बीजेपी के पास जाट नेताओं की कमी नहीं है. लेकिन उसका गैर जाट प्रेम किसी से छिपा नहीं है. ऐसे में कुलदीप बिश्नोई मनोहर लाल खट्टर के बीच बढ़ रही मधुरता जाट भाजपा के जाट चेहरों के लिए खतरे से कम नहीं है.

चंडीगढ़ - हरियाणा राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अजय माकन को क्रोस वोटिंग कर पटखनी देने वाले पूर्व कांग्रेस नेता व आदमपुर विधायक कुलदीप बिश्नोई ने अंततः कांग्रेस और विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है. बुधवार, 3 अगस्त को उन्होंने अपनी पत्नी रेणुका बिश्नोई व अपने समर्थकों के साथ अपना इस्तीफा हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता को सौंपा. 

इसके साथ ही उन्होंने हरियाणा कांग्रेस के सबसे बड़े नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी निशाने पर लेते हुए कहा कि हुड्डा साहब में दम है तो आदमपुर उपचुनाव में मेरे बेटे या मेरे खिलाफ चुनाव लड़ कर दिखाए. जाहिर सी बात है कुलदीप ने हुड्डा के उस चैलेंज को याद दिलाया जो उन्होंने हाल ही में कुलदीप पर तंज कसते हुए दिया था. बता दें कि आज, 4 अगस्त को कुलदीप बिश्नोई अपनी पत्नी व अन्य नेताओं के साथ बीजेपी में शामिल हो रहे हैं और उस समारोह में बीजेपी के शीर्ष नेता व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी शामिल होंगे. लेकिन ऐसे में ये सवाल भी खड़े हो गए हैं कि आखिरकार क्यों कुलदीप बिश्नोई ने एक बार फिर कांग्रेस से अपना हाथ खींच लिया. 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा से विवाद

हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा परिवार का दबदबा रहा है, दूसरी ओर भूपेंद्र सिंह हुड्डा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के ओल्ड गॉर्ड(Old Guard) में से एक हैं और उनके बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी राहुल गांधी के साथ नजर आते हैं. ऐसे में महत्वाकांक्षी कुलदीप बिश्नोई को कांग्रेस में वो जगह नहीं मिल पा रही थी, जैसी जगह कि वो उम्मीद रखते थे. एक सबसे बड़ा उदाहरण हाल ही में हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष के नियुक्ति में सामने आया. 

कुलदीप बिश्नोई प्रदेश अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे चल रहे थे, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा(Bhupender Singh Hooda) के दबाव में उनके करीबी उदयभान को कामन सौंप दी. तभी से कुलदीप की कांग्रेस को लेकर सुर बदल गए थे और इसकी झलक उन्होंने राज्यसभा चुनाव में दिखाई. भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुलदीप बिश्नोई विरोधी खेमे के इसीलिए भी माने जाते हैं कि क्योंकि ये बैर साल 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद से जा जिसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री का ताज भजलाल से छीनकर अपने माथे पर सजा लिया था.

बेटे की राजनीतिक पारी शुरू करने की इच्छा

कुलदीप बिश्नोई अपने बेटे भव्य बिश्नोई को भी राजनीति में लाना चाहते हैं. साल 2019 के आम चुनावों में कुलपति अपने बेटे भव्य को हिसार लोकसभा से टिकट तो दिलवाने में कामयाब रहे थे लेकिन बीजेपी के कद्दावर नेता व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह ने उन्हें पटखनी दे दी थी. वहीं अब बताया जा रहा है कि बीरेंद्र सिंह के तेवर भी अब बागी से ही दिख रहे हैं  ऐसे में बीजेपी आगामी 2024 के विधानसभा चुनाव के लिए मंथन कर रही है. कुलदीप के बीजेपी में शामिल होने पर उनका या उनके बेटे भव्य का हिसार लोकसभा से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा था. लेकिन अब उनके इस्तीफे के बाद आदमपुर विधानसभा सीट से उपचुनाव में वे अपने बेटे भव्य बिश्नोई को उम्मीदवार बनाकर विधानसभा भेजना चाहते हैं.

बीजेपी में जाट चेहरों की कमी

साल 2024 में हरियाणा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव हैं. बीजेपी के पास जाट नेताओं की कमी नहीं है. लेकिन उसका गैर जाट प्रेम किसी से छिपा नहीं है. ऐसे में कुलदीप बिश्नोई मनोहर लाल खट्टर के बीच बढ़ रही मधुरता जाट भाजपा के जाट चेहरों के लिए खतरे से कम नहीं है. यह अलग बात है कि कुलदीप का रसूख़ अपने पिता भजनलाल की तरह जाटों में भी पूरा है. कांग्रेस की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा को अब हरियाणा कांग्रेस में खेलकर खेलने का मौका मिलेगा. दोनों पिता-पुत्र सर्वजातिय संघर्ष के नेता माने जाते हैं.

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