स्कॉटलैंड दुनिया का पहला ऐसा देश बना जहां पीरियड्स में इस्तेमाल होने वाले सैनेटरी प्रोडक्ट्स फ्री में मिलेंगे
साल 2019 में स्कॉटलैंड की एक सांसद मोनिका लेनॉन यह बिल संसद में लाई थीं
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नई दिल्ली - वैसे तो हम बहुत ही मॉडर्न हो चुके हैं, हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर मेटावर्स यानी इमेजनरी वर्ल्ड की बात करते हैं. लेकिन हमारे आस पास हमारी ही जिंदगी का एक ऐसा भी पहलू है जिसको लेकर आज भी हम रूढ़िवादी हैं. आज भी हम इसको लेकर घर परिवार में बातें नहीं करते. हम बात कर रहे हैं हमारी बहनों, माताओं, पत्नियों के मेंस्ट्रुअल साईकल(Menstrual Cycle) यानी पीरियड्स की. एक सर्वे के मुताबिक आज भी देश में करीब 70 फीसदी लड़कियों को पीरियड्स के बारे में जागरूकता नहीं है. आज भी गांवों में सैनेटरी पैड्स की बजाय कपड़े का इस्तेमाल किया जा रहा है जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा बना रहता है.
इसकी एक बड़ी वजह आर्थिक स्थिति भी है. गरीबी व गांवों में इसको लेकर जागरूकता की कमी के चलते लड़कियां व महिलाएं पैड्स नहीं खरीद पाती. वहीं गांवों में इनकी अनुपलब्धता भी एक बड़ी वजह है. हालांकि सरकार व एनजीओ अपने स्तर पर मेंस्ट्रुअल को लेकर जागरूकता अभियान चला रही है लेकिन घर व समाज में इसको लेकर खुलकर बात न करने से ये मुहिम धीमी पड़ती नजर आती है. लेकिन दुनिया में एक ऐसा भी देश है जिसने पीरियड्स को लेकर सराहनीय कदम उठाया है.
दरअसल स्कॉटलैंड पहला ऐसा देश बन गया है जहां पीरियड्स में इस्तेमाल किये जाने वाले सैनेटरी प्रोडक्ट फ्री मिलेंगे. स्कॉटलैंड में यह कानून 2021 में बन गया था. लेकिन अब बीते 15 अगस्त से यह रूल लागू हो गया है. साल 2019 में स्कॉटलैंड की एक सांसद मोनिका लेनॉन यह बिल संसद में लाई थीं. नए कानून के मुताबिक स्कॉटलैंड के स्कूलों में अब फ्री सैनेटरी प्रोडक्ट मुहैया करवाने की पहल का बड़ा रूप है. देश मे 2018 में ही स्कूल कॉलेजों में विद्यार्थियों को सैनेटरी प्रोडक्ट फ्री में उपलब्ध कराए जाते हैं.
स्कॉटलैंड में कानून बनाए जाने से पहले कुछ सर्वे हुए थे जिन से पता चला था कि देश के करीब 20% महिलाएं तुलनात्मक रूप से गरीबी में रह रहे हैं और उनके लिए सैनिटरी प्रोडक्ट(Sanitary Product) खरीदना मुश्किल है. नए कानून लागू होने से अब ऐसी कोई परेशानी नहीं रहेगी. इसके अलावा पीरियड में से जुड़े झिझक को दूर करना और महिलाओं की मेंस्ट्रुअल हेल्थ को और बेहतर बनाना भी इस कानून का लक्ष्य है. महिलाओं के लिए सेनेटरी प्रोडक्ट करीब 1 हजार जगह पर उपलब्ध होंगे और वे एक मोबाइल एप्प 'पिक अप माय पीरियड(Pick Up My Period)' से अपना नजदीकी पिकअप प्वाइंट देख पाएंगी.
इस मौके पर स्कॉटलैंड की सामाजिक न्याय मंत्री शोना रॉबिंसन ने कहा," फ्री पीरियड प्रोडक्ट तक पहुंच बढ़ाना समानता और सम्मान के लिए बुनियादी जरूरत है. रोजमर्रा के खर्च बढ़ रहा है, हम नहीं जानते कि कोई ऐसे हालात में आ जाए कि वह सैनिटरी प्रोडक्ट्स ही नहीं खरीद पाए."
आपको बता दें कि दुनियाभर में पीरियड्स के दौरान आने वाली दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए महिलाओं को जॉब के दौरान पीरियड लीव की मुहिम भी चल रही है. साल 2017 में अरुणाचल प्रदेश से कांग्रेस सांसद निनॉन्ग एरिंग ने संसद में मेंस्ट्रुएशन बेनिफिट बिल 2017(Menstruation Benefit Bill 2017) रखा था. जिसके तहत सरकारी व प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करने वाली महिलाओं को 2 दिन के लिए पेड पीरियड लीव यानी पीरियड्स के दौरान दो दिन के लिए छुट्टी देने का प्रावधान और उन छुट्टियों के लिए पैसे नहीं काटने की बात कही थी. ऐसा पहली बार हुआ था जब भारतीय संसद में पीरियड्स को लेकर कोई बिल लाया गया हो.
आपको बता दें कि कई एशियाई देशों जैसे साउथ कोरिया, इंडोनेशिया और ताइवान में महिलाओं को पेड पीरियड लीव दी जाती है. यूरोपीय देशों में भी कई कंपनियों ने महिला कर्मचारियों के लिए यह पॉलिसी लागू की हुई है.