मोहन भागवत के बयान पर छिड़ी बहस, चक्रपाणि महाराज ने कहा- माफी मांगें
![चक्रपाणि महाराज](https://theinknews.com/static/c1e/client/96874/uploaded/0478ba9b0c879c10c9e822e1788d14ca.webp)
ज्ञानवापी मस्जिद पर विवाद लगातार गरमाता जा रहा है। जहां एक तरफ RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों ? तो वही अब उनके बयान पर चक्रपाणी महाराज सहित तमाम नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चक्रपाणि महाराज ने कहा है कि राम मंदिर में मोहन भागवत और संघ को कोई योगदान नहीं रहा है। इसलिए उन्हे इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। संघ प्रमुख मोहन भागवत को अपना बयान वापस लेना चाहिए। चक्रपाणि महाराज ने कहा कि मौलाना मदनी विदेशी अक्रांताओं के साथ हैं। क्या मोहन भागवत भी विदेशी अक्रांताओं के साथ हैं। बता दें कि मोहन भागवत ने अपने बयान में कहा है कि राम मंदिर के बाद अब किसी भी धार्मिक स्थल को लेकर ऐसा आंदोलन नहीं खड़ा किया जाएगा।
भागवत के भड़काऊ भाषण को नज़रअंदाज़ नहीं करें- ओवैसी
मोहन भागवत के बयान पर ओवैसी ने भी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने कहा कि ज्ञानवापी पर भागवत के भड़काऊ भाषण को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाबरी के लिए एक आंदोलन "ऐतिहासिक कारणों से" जरूरी था। दूसरे शब्दों में आरएसएस ने सुप्रीम कोर्ट का सम्मान नहीं किया और मस्जिद के विध्वंस में भाग लिया। क्या इसका मतलब यह है कि वे ज्ञानवापी पर भी कुछ ऐसा ही करेंगे? बता दें कि मोहन भागवत ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में कहा था कि, हमने 9 नवंबर को कह दिया था कि एक राम जन्मभूमि का आंदोलन था, जिसमें हम अपनी प्रवृत्ति के विरुद्ध किसी ऐतिहासिक कारण से सम्मलित हुए, हमने उस काम को पूरा किया। अब हमें कोई आंदोलन वगैराह नहीं करना है।
मोहन भागवत का बयान उनके वर्कर्स के लिए है- विवेक
मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस सांसद विवेक तनखा ने भी प्रतिक्रिया दी है। विवेक तनखा ने कहा मोहन भागवत जी का जो बयान है, उन्होंने अपने पार्टी के वर्कर्स के लिए दिया है। वो जानते हैं कि ये प्रॉब्लम उनके पार्टी वर्कर्स की है, भारत की जनता की नहीं है। विवेक ने कहा कि भारत की जनता सब कुछ अच्छे से समझती है और पहचानती है। बार-बार देश को दूसरे मुद्दों पर डायवर्ट करना देश के लिए हानिकारक है। इसलिए भागवत अपनी पार्टी के वर्कर्स समझाएं कि आज देश की अखंडता और एकता ज्यादा महत्वपूर्ण है। आज फूड प्राइस, फ्यूल प्राइस, बेरोजगारी, यूथ डेवलपमेंट, एससी-एसटी, ओबीसी का उत्थान ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दे हैं।