तमिलनाडु में बच्ची को मिला 'नो कास्ट, नो रिलीजन' का सर्टिफिकेट

तमिलनाडु में बच्ची को मिला 'नो कास्ट, नो रिलीजन' का सर्टिफिकेट; बच्ची के पिता ने कहा- नहीं चाहते कि बेटी जाति और धर्म के बंधन में बंधे
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तमिलनाडु राज्य शिक्षा विभाग ने 1973 और 2000 के दो अलग-अलग आदेशों में स्कूली शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया था कि वे लोगों को धर्म कोई या जाति का उल्लेख नहीं करने पर उन्हें यह कालम खाली छोड़ने की अनुमति दें।

कोयंबटूर. तमिलनाडु में एक बच्ची विल्मा को 'नो कास्ट, नो रिलीजन' का सर्टिफिकेट मिला है। इस बच्ची की उम्र साढ़े तीन साल है। नरेश कार्तिक और उनकी पत्‍‌नी गायत्री ने अपनी बेटी विल्मा के लिए यह सर्टिफिकेट प्राप्त किया है। सीड्रेप्स एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक नरेश ने कहा कि वह नहीं चाहते कि उनकी बेटी किसी धर्म या जाति के बंधन में बंधे।

उन्होंने कहा, हमारी बेटी के लिए भगवान का मतलब प्यार होगा। यह प्यार समानता पर आधारित होगा। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों को भी छात्रों को प्यार और समानता सिखानी चाहिए। बेटी के एडमिशन के लिए जिन स्कूलों में मैं गया, कहा गया कि धर्म और जाति का कालम जरूरी है। इन कालमों को भरे बिना आवेदन स्वीकार नहीं कर सकते। लेकिन 1973 में एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि स्कूलों में अपने बच्चों के एडमिशन के दौरान धर्म और जाति का उल्लेख अनिवार्य नहीं है।

तमिलनाडु राज्य शिक्षा विभाग ने 1973 और 2000 के दो अलग-अलग आदेशों में स्कूली शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया था कि वे लोगों को धर्म कोई या जाति का उल्लेख नहीं करने पर उन्हें यह कालम खाली छोड़ने की अनुमति दें। नरेश ने कोयंबटूर के जिला कलेक्टर, जीएस समीरन से संपर्क किया, जिन्होंने उन्हें कोयंबटूर उत्तर के तहसीलदार के पास जाने को कहा। तहसीलदार ने यह शपथ पत्र देने के बाद कहा कि इस सर्टिफिकेट के बाद उनकी बेटी जाति और धर्म के आधार पर किसी भी सरकारी आरक्षण या विशेषाधिकार के लिए अपात्र हो जाएगी। बच्ची के पिता शपथपत्र जमा किया जिसके बाद यह सर्टिफिकेट जारी कर दिया गया।

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