ISRO ने रचाया एक और नया इतिहास लॉन्च किया देश का सबसे छोटा रॉकेट SSLV - D1

ISRO ने श्रीहरिकोटा से सबसे छोटा रॉकेट किया लॉन्च, साथ ही स्टूडेंट सैटेलाइट आजादीसैट भी भेजा गया
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देश का सबसे छोटा रॉकेट SSLV-D1 हुआ लॉन्च
अंतरिक्ष में भारत की बड़ी उड़ान - सबसे छोटा रॉकेट हुआ लॉन्च कमर्शियल मार्केट में भारत की नई पहचान
श्रीहरिकोटा  - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था ( ISRO ) ने एसडीएससी ने अपना पहला रॉकेट स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल SSLV -D 1 रविवार की सुबह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में लॉन्च किया।

इसमें 750 विद्यार्थीयों ने 75 पेलोड बनाए जिनका वजन 50 ग्राम है। यह पेलोड देशभर के 75 अलग अलग सरकारी स्कूल के स्टूडेंट से बनाए थे।
 एसएसएलवी 2 सैटेलाइट को अपने साथ अंतरिक्ष में ले गया है। जिसमें अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट EOSO 2 के साथ स्टूडेंट सैटेलाइट AZAADISAT लॉन्च किया गया है।AZAADI Sat को ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों द्वारा वैज्ञानिकों की निगरानी में तैयार कराया गया है।
 रॉकेट में दोनों सैटेलाइट को अपनी निर्धारित कक्षा में पहुंचाया गया लेकिन फिर डेटा मिलना बंद हो गया।
 SSLV - D1 or EOSO2 एक अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है, जिसका वजन 142 किलोग्राम है, रिजॉल्यूशन 6 मीटर है और साथ ही मिड और लॉन्ग वेवलेंथ इंफ्रारेड कैमरा लगा है। जो 10 महीने के लिए अंतरिक्ष में काम करेगा।
PSLV रॉकेट से SSLV आकार में काफी छोटा होता है
PSLV से 1750 किलोग्राम तक वजन आकाश में ले जाते हैं ।
इससे पहले छोटे- छोटे अग्रह जैसे सुन सिंक्रोनस ऑर्बिट तक के लिए PSLV पर निर्भर करना पड़ता था। SSLV को 24 से 72 घंटो के भीतर ही असेंबल किया जा सकेगा जहां PSLV को असेंबल करने में 2 से 3 महीनों का समय लगता था। SSLV की मदद से ज्यादा उपग्रह प्रोजेक्टेड कर सकेंगे। जिसकी वजह से कमर्शियल मार्केट में भी भारत अपनी एक नई पहचान बनाने में सफल हो पाएगा।

SSLV 10 किलो से 500 किलो पेडल को 500 किलोमीटर के प्लैनर ऑर्बिट तक ले जा सकता है। जहां GSLV जियो सिंक्रोनस ऑर्बिट तक 2500 किलो वजनी पेलोड लोअर अर्थ ऑर्बिट तक 5000 किलो तक पेलोड ले जा सकता है, GSVL मार्क 3 जियो सिंक्रोनस ऑर्बिट तक 4000 किलो वजनी पेलोड लोअर अर्थ ऑर्बिट तक 8000 किलो तक पेलोड ले जा सकता है और PSLV 1750 किलो तक का पेलोड, सन सिंक्रोनस ऑर्बिट तक ले जा सकता है।

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