ज्ञानवापी विवाद पर बोले मोहन भागवत, 'राम मंदिर के बाद नहीं होगा कोई आंदोलन'
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नागपुर: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने के हिंदू पक्षकारों के दावे के बाद से सियासत गरमाई हुई है। वहीं आलम ये है कि देश में तमाम धार्मिक स्थलों और स्मारकों को लेकर एक बहस छिड़ गई है जिसको लेकर रोजाना कई नए-नए दावे किए जा रहे हैं। वही अब ज्ञानवापी मस्जिद के वीडियोग्राफी को लेकर जारी विवाद के बीच इस पूरे मसले पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी आई है।
हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने ज्ञानवापी मुद्दे का जिक्र कर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि रोजाना एक नया मुद्दा नहीं लाना चाहिए। विवाद को क्यों बढ़ाना? ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति है और उसी के अनुसार कुछ करना ठीक है। लेकिन, हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों? मोहन भागवत ने इन विवादों को बेकार करार दिया और कहा कि हर मस्जिद में शिवलिंग देखना सही नहीं है। इस दौरान मोहन भागवत ने ये भी साफ किया कि राम मंदिर के बाद अब किसी भी धार्मिक स्थल को लेकर ऐसा आंदोलन नहीं खड़ा किया जाएगा।
हमें कोई आंदोलन वगैराह नहीं करना
मोहन भागवत ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय में कहा कि, हमने 9 नवंबर को कह दिया था कि एक राम जन्मभूमि का आंदोलन था, जिसमें हम अपनी प्रवृत्ति के विरुद्ध किसी ऐतिहासिक कारण से सम्मलित हुए, हमने उस काम को पूरा किया। अब हमें कोई आंदोलन वगैराह नहीं करना है। आरएसएस चीफ के अनुसार, भारत को विश्वविजेता नहीं बनना है। उसका मकसद सभी को जोड़ना होना चाहिए। भारत किसी को जीतने के लिए नहीं बल्कि सभी को जोड़ने के लिए अस्तित्व में है। गुरुवार को मोहन भागवत नागपुर में एक कार्यक्रम के समापन समारोह में पहुंचे थे।
दिल में कोई अतिवाद नहीं होना चाहिए
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने महाराष्ट्र में संगठन के एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा, 'ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है। इतिहास है जिसे हम बदल नहीं सकते। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा। हमलावरों के जरिये इस्लाम बाहर से आया था। उन हमलों में भारत की आजादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया।' मोहन भागवत ने कहा कि, 'सभी को एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। दिल में कोई अतिवाद नहीं होना चाहिए, ना ही शब्दों में और ना ही कार्य में। दोनों तरफ से डराने-धमकाने की बात नहीं होनी चाहिए। हालांकि, हिंदू पक्ष की ओर से ऐसा कम है। हिंदुओं ने बहुत धैर्य रखा है। हिंदुओं ने एकता के लिए बहुत बड़ी क़ीमत भी चुकाई है।'
मुसलमान उनके अपने पूर्वजों के वंशज हैं
वहीं समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि हिंदुओं को यह समझना चाहिए कि मुसलमान उनके अपने पूर्वजों के वंशज हैं और 'खून के रिश्ते से उनके भाई हैं।' संघ प्रमुख ने कहा, ' अगर वे वापस आना चाहते हैं तो उनका खुली बाहों से स्वागत करेंगे। अगर वे वापस नहीं आना चाहते, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, पहले ही हमारे 33 करोड़ देवी-देवता हैं, कुछ और जुड़ जाएंगे। हर कोई अपने धर्म का पालन कर रहा है।'