अब बैंको में भी अग्निवीर की तर्ज़ पर होगी भर्ती? जानें

अग्निवीर की तर्ज पर बैंकों में भी कॉन्ट्रेक्ट पर रखे जाएंगे कर्मचारी
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बैंकिंग क्षेत्र के जानकारों की माने तो यह कदम उठाकर बैंक अपना कॉस्ट-टू-इनकम रेश्यो कम करना चाहता है, जो अभी इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के हिसाब से बहुत ऊंचा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरे देश में एसबीआई ने बैंक शाखाओं का एक बहुत बड़ा नेटवर्क स्थापित कर रखा है। चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में एसबीआई के कुल ऑपरेशन खर्च में वेतन का हिस्सा करीब 45.7 फीसदी था और सेवानिवृत्ति लाभ व अन्य प्रोविजन की हिस्सेदारी 12.4 फीसदी है।

दिल्ली.  सेना में अग्निवीरों की तर्ज पर अब बैंकों में भी कर्मचारियों की बहाली होगी। इन कर्मचारियों को अनुबंध पर रखा जाएगा। देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक भारतीय स्टेट बैंक अपने खर्च को कम करने के लिए मानव संसाधन संबंधी मुद्दों के लिए एक अलग कंपनी शुरू करने जा रहा है। स्टेट बैंक की संचालन और सहायता सहायक कंपनी को हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से सैद्धांतिक मंजूरी मिली है। शुरुआत में, कंपनी ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बैंक शाखाओं में कर्मचारियों का प्रबंधन करेगी।

बैंकिंग सेक्टर के जानकारों के मुताबिक, बैंक यह कदम उठाकर अपने कॉस्ट-टू-इनकम रेशियो को कम करना चाहता है, जो कि इंडस्ट्री के मानकों के हिसाब से काफी ज्यादा है। ऐसा इसलिए है क्योंकि SBI ने देश भर में बैंक शाखाओं का एक बहुत बड़ा नेटवर्क स्थापित किया है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में, एसबीआई के कुल परिचालन व्यय में वेतन का हिस्सा लगभग 45.7 प्रतिशत था और सेवानिवृत्ति लाभ और अन्य प्रावधानों का हिस्सा 12.4 प्रतिशत था।

ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव डीएन त्रिवेदी ने कहा कि स्टेट बैंक ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेज द्वारा जितने भी कर्मचारी नियुक्त किए जाएंगे, वे सभी नियुक्तियां अनुबंध के आधार पर होंगी. अनुबंध के आधार पर नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को एसबीआई के स्थायी कर्मचारियों को मिलने वाले सभी लाभ नहीं मिल पाएंगे।

इस नई व्यवस्था का असर पूरे बैंकिंग उद्योग पर दिखेगा। एसबीआई ऑपरेशन सपोर्ट सर्विसेज भारतीय बैंकिंग उद्योग में अपनी तरह की पहली सहायक कंपनी होगी। हालांकि अब अन्य बैंक भी इस दिशा में कदम उठा सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक, कई बैंकों ने पूर्व में आरबीआई को ऐसी सहायक कंपनी स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन तब आरबीआई ने इसकी अनुमति नहीं दी थी।

लेकिन अब एसबीआई से अनुमति मिलने के बाद अन्य बैंक भी ऐसी सहायक कंपनी के लिए अपने पुराने प्रस्तावों को एक बार फिर से आगे बढ़ाने के लिए आरबीआई से मंजूरी ले सकते हैं। इस प्रकार यह अग्निवीर की तरह पीठ में एक नई बहाली योजना होगी। 

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