पीएम मोदी ने श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को भेजा पत्र, समर्थन जारी रखने का वायदा दोहराया

गोटाबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद पूर्व पीएम रानिल विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति चुना गया है.
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पीएम मोदी
भारत ने इस वर्ष की शुरुआत से यानी इन 7 महीनें में श्रीलंका को 3.8 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान कर चुका है. जिसका उद्देश्य श्रीलंका को 1948 में अपनी स्वतंत्रता के बाद से सबसे खराब आर्थिक संकट से निपटने में मदद मिल सके.

नई दिल्ली - श्रीलंका लंबे समय से आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. इस बीच श्रीलंका में बीते दिनों नए राष्ट्रपति के तौर पर रानिल विक्रमसिंघे निर्वाचित हुए हैं. श्रीलंका के नए राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने बधाई दी है. पीएम मोदी ने रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) को उनके चुनाव पर बधाई पत्र भेजा है.

इस बधाई पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोहराया है कि भारत श्रीलंका की स्थिरता और आर्थिक सुधार के लिए प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेगा. प्रधानमंत्री के बधाई पत्र के बारे में कोलंबो में भारतीय मिशन ने सूचित किया है. इस संबंध में कोलंबो में भारतीय मिशन ने सिलेसिलेवार कई ट्वीट किए हैं.

बधाई पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा गया है कि वह लोगों के पारस्परिक लाभ और भारत और श्रीलंका के बीच सदियों पुराने, करीबी और मैत्रीपूर्ण संबंधों को मजबूत करने के लिए विक्रमसिंघे के साथ मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं. बता दें कि भारत इस वर्ष की शुरुआत से यानी इन 7 महीनें में श्रीलंका को 3.8 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान कर चुका है.

वहीं मंगलवार को श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त गोपाल बागले ने तमिलनाडु सरकार द्वारा दान किए गए श्रीलंकाई 3.4 बिलियन ($9.4 मिलियन) से अधिक की मानवीय सहायता सौंपी, और भारतीय आउटरीच के हिस्से के रूप में प्रधान मंत्री दिनेश गुणवर्धन से मुलाकात की. दक्षिण भारतीय राज्य ने अब तक 40,000 टन चावल, 500 टन मिल्क पाउडर और 100 टन से अधिक दवाएं दान की हैं.

गौरतलब है कि श्रीलंका में आर्थिक संकट को लेकर जोरदार विरोध हुआ था जिसके बाद पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया था. श्रीलंकाई संसद ने बीते बुधवार को राजपक्षे के सहयोगी और पूर्व पीएम रानिल विक्रमसिंघे को राजपक्षे के उत्तराधिकारी के रूप में चुना था. गोटाबाया राजपक्षे ने सिंगापुर पहुंचने के बाद इस्तीफा दिया था.

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