पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल वापस, अब नया बिल लाएगी सरकार

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बिल वापस लेने का प्रस्ताव रखा, जो ध्वनि मत से पारित हो गया.
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पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल वापस
आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पर जेसीपी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि इसमें कई चिंताओं को रेखांकित किया गया है, पर यह आधुनिक डिजिटल गोपनीयता कानून के दायरे से परे है.

नई दिल्ली - केंद्र सरकार ने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को वापस ले लिया है. बुधवार को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बिल वापस लेने का प्रस्ताव रखा, जो ध्वनि मत से पारित हो गया. सरकार इसकी जगह साइबर स्पेस में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन के लिए नया बिल लाएगी.

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि सरकार इसके बदले भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार बिल का मसौदा तैयार कर इसे सदन में लाएगी. इसलिए इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय ने सदन से पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, 2021 को वापस ले लिया है.

उन्होंने कहा कि बिल का मसौदा इस ढंग से तैयार किया जाएगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘Techade’ का विजन परिलक्षित हो. उन्होंने कहा कि पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल पर जेसीपी की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि बिल में इससे जुड़ी कई चिंताओं को रेखांकित किया गया है पर यह आधुनिक डिजिटल गोपनीयता कानून के दायरे से परे है.

बता दें कि बिल लोकसभा में पेश होने के बाद विपक्ष ने इसके कई प्रावधानों का विरोध किया था. इसके बाद 11 दिसंबर 2019 को संयुक्त समिति के पास समीक्षा के लिए भेजा गया था. रिपोर्ट्स में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया गया कि समिति ने 81 बदलावों का सुझाव दिया था. इसके बाद सरकार ने बिल वापस लेने का फैसला किया.

सरकार ने कहा कि कमेटी ने 81 बदलावों का प्रस्ताव दिया और 15 अलग सिफारिशें भी की हैं. हमने मौजूदा बिल को वापस लेने और नए बिल लाने पर विचार किया है. केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा, निजता भारतीय नागरिकों का मौलिक अधिकार है और एक ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप साइबर कानून बनाए जाने की आवश्यकता है.

वहीं दूसरी ओर, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि सरकार ने 348 मोबाइल एप्लीकेशंस को ब्लॉक कर दिया है. इस एप्स को लेकर गृह मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि ये एप्स अनाधिकृत तरीके से देश के बाहर स्थित सर्वरों तक उपयोगकर्ताओं की जानकारी पहुंचाने के लिए की थी.

बता दें कि 2019 में संसद में बिल पेश होने के बाद कांग्रेस और तृणमूल ने कहा था कि ये बिल जनता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. इस बिल के कानून बनने पर सरकार के पास लोगों के पर्सनल डेटा हासिल करने की आजादी मिल जाएगी. सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कारण बताकर ये डेटा हासिल कर सकेगी.

बिल कमेटी के पास रिव्यू के लिए भेजा गया और फिर बहुत सारे बदलाव के सुझाव देखते हुए इसे वापस ले लिया गया. बता दें कि इस बिल के तहत सरकार, भारतीय कंपनियों और लोगों के डेटा से डील करने वाली विदेशी कंपनियों को यूजर्स का पर्सनल डेटा प्रोसेस करने का अधिकार मिलता था.

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