कहानी आपातकाल की- इंदिरा गांधी ने टाइप करा लिया था इस्‍तीफा, फिर क्‍यों बदला मन?

25 जून 1975 स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह ऐसी तारीख है, जिसे काला दिन के रूप में याद किया जाता है। इसी दिन देश में पहली बार आंतरिक आपातकाल की घोषणा की गई थी।
 | 
आपातकाल
'भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा की है, इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है।' 47 साल पहले 26 जून, 1975 की सुबह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आवाज में ये संदेश रेडियो पर गूंजा तो देश के लोगों को पता चला कि 25 जून 1975 से देश में इमरजेंसी लागू कर दी गई है।

25 June 1975 Emergency: आपातकाल को 47 साल पूरे हो गए। 25 जून 1975 को भारत में पहली बार आंतरिक आपातकाल की घोषणा की गई थी। तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर राष्‍ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने आपातकाल के आदेश पर हस्‍ताक्षर किए थे। आपातकाल की घोषणा के बाद तमाम विपक्षी नेताओं को रातोंरात गिरफ्तार करके जेलों में डाल दिया गया था। अखबारों और रेडियो में सिर्फ वही खबरें आती थीं, जिन्हें सरकार आम जनता तक जाने देना चाहती थी।

बहुत लोग मानते हैं कि सत्‍ता जाने के डर से इंदिरा ने इमरजेंसी लगाई थी। इंदिरा पर आरोप लगा कि उन्होंने सरकारी कर्मचारियों को अपने चुनाव प्रचार में लगाया था और उन्होंने सरकारी कर्मचारियों से अपनी रैलियों के तंबू गड़वाए। जिसके बाद उनके चुनाव को कोर्ट में चुनौती दी गई। 12 जून 1975 के फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया कि इंदिरा ने लोकसभा चुनाव में गलत तौर-तरीके अपनाए। दोषी करार दी गईं इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया गया।

इंदिरा गांधी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। लेकिन 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस वीआर कृष्णा अय्यर ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहरा दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि इंदिरा गांधी को एक सांसद के तौर पर मिलने वाले सभी विशेषाधिकार बंद कर दिए जाएं और उन्हें मतदान से भी वंचित कर दिया गया। हालांकि, उन्हें प्रधानमंत्री के तौर पर बने रहने की छूट दी गई।

उस दौर में इंदिरा के निजी सचिव रहे आर.के. धवन के अनुसार, इंदिरा तो इस्‍तीफा देने को तैयार थीं। फिर ऐसा क्‍या हुआ जो उन्‍होंने आपातकाल को बेहतर विकल्‍प समझा? स्पैनिश लेखर जेवियर मोरो ने द रेड साड़ीमें लिखा, ‘इंदिरा इस्तीफा देना चाहती थीं, लेकिन संजय ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। वह मां को दूसरे कमरे में लेकर गए और समझाया कि अगर आपने इस्तीफा दे दिया तो विपक्ष आपको किसी भी बहाने से जेल में डाल देगा। इंदिरा गांधी को बेटे संजय गांधी की यह बात ठीक भी लगी।

25 जून 1975 को लगाया गया आपातकाल 21 महीने तक चला और 1977 में खत्म हुआ। 18 जनवरी 1977 को इंदिरा गांधी ने चुनाव कराने की घोषणा की। इसी के साथ कई विपक्षी नेताओं को जेलों से रिहा कर दिया गया। हालांकि, कई अन्य नेता अब भी जेलों में बंद रहे। क्योंकि आधिकारिक तौर पर आपातकाल का अंत नहीं हुआ था। आधिकारिक तौर पर 21 मार्च 1977 को आपातकाल खत्म हुआ। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद समय था।

Latest News

Featured

Around The Web