अग्निपथ योजना पर वरुण गांधी, अखिलेश यादव और मायावती ने बोला हमला

अग्निपथ योजना को लेकर अखिलेश यादव, मायावती और बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने सवाल उठाए
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अखिलेश यादव ने जहां अग्निपथ योजना को लेकर सरकार पर हमला बोला है वहीं दूसरी तरफ सत्ताधारी बीजेपी सांसद ने पत्र में लिखा कि सेना में 15 साल की नौकरी के बाद रिटायर हुए नियमित सैनिकों को कारपोरेट सेक्टर नियुक्त करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते। ऐसे में सरकार बताए कि 4 साल की अल्पावधि के बाद इन अग्निवीरों का क्या होगा।

लखनऊ.  देशभर में अग्नीपथ योजना को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, देश के कई हिस्सों से हिंसा और आगजनी की खबरें आ रही है इसी बीच भाजपा सांसद वरुण गांधी, अखिलेश यादव और मायावती समेत तमाम बड़े नेताओं ने इस योजना पर सवाल खड़े किए है। भाजपा नेता वरुण गांधी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर उनसे योजना से जुड़े नीतिगत तथ्यों को सामने रख कर अपना पक्ष साफ करने की मांग की है।

पत्र में लिखा कि योजना को लेकर लोगों खासकर युवाओं के मन में कई तरह के भ्रम हैं। उन्हें अपना भविष्य अंधकार में जाता दिख रहा है। ऐसे में इस पर सरकार अपनी स्थिति साफ करें ताकि लोगों का गुस्सा खत्म हो सके। पत्र में वरुण गांधी ने लिखा अग्निपथ योजना पर सरकार की स्थिति साफ होने से देश की युवा ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग सही दिशा में हो सकेगा।

दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी  के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सैन्य बलों में भर्ती की नई योजना अग्निपथ को लेकर केंद्र सरकार पर गुरुवार को निशाना साधते हुए कहा कि यह देश और देश के युवाओं के भविष्य के लिए घातक साबित होगी। यादव ने ट्वीट किया की देश की सुरक्षा कोई अल्पकालिक या अनौपचारिक विषय नहीं है, ये अति गंभीर व दीर्घकालिक नीति की अपेक्षा करती है।

सैन्य भर्ती को लेकर जो ख़ानापूर्ति करने वाला लापरवाही भरा रवैया अपनाया जा रहा है, वह देश और देश के युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए घातक साबित होगा।  अग्निपथ से पथ पर अग्नि न हो। इससे पहले, बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने भी गुरुवार सुबह अग्निपथ योजना को लेकर सरकार पर निशाना साधा था।

उन्होंने गुरुवार को सिलेसिलेवार किए ट्वीट में कहा, “सेना में काफी लम्बे समय तक भर्ती लम्बित रखने के बाद अब केन्द्र ने सेना में 4 वर्ष अल्पावधि वाली अग्निवीर नई भर्ती योजना शुरू की है, उसको लुभावना व लाभकारी बताने के बावजूद देश का युवा वर्ग असंतुष्ट एवं आक्रोशित है। वे सेना भर्ती व्यवस्था को बदलने विरोध करते है।

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने पत्र में लिखा कि सेना में 15 साल की नौकरी के बाद रिटायर हुए नियमित सैनिकों को कारपोरेट सेक्टर नियुक्त करने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते। ऐसे में 4 साल की अल्पावधि के उपरांत इन अग्निवीरों का क्या होगा। चार साल सेना में सेवा देने के दौरान इन युवकों की पढ़ाई बाधित होगी। साथ ही साथ अन्य समकक्ष छात्रों की तुलना में ज्यादा उम्रदराज होने के कारण अन्य संस्थानों में शिक्षा ग्रहण करने व नौकरी पाने में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।

उनका मानना है कि किसान परिवार, निम्न व मध्यम वर्ग से आने वाले इन अग्निवीरों को सरकार द्वारा निर्धारित कम वेतनमान के कारण घर चलाने में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने लिखा, स्पेशल आपरेशन के समय सशस्त्र बलों में स्पेशलिस्ट कॉडर वाले सैनिकों की आवश्यकता होती है,

ऐसे में महज 6 महीने की बेसिक ट्रेनिंग प्राप्त इन सैनिकों के कारण वर्षों पुरानी रेजिमेंटल संरचना बाधित हो सकती है। इस योजना से प्रशिक्षण लागत की बर्बादी भी होगी, क्योंकि 4 साल के उपरांत सेना इन प्रशिक्षित जवानों में केवल 25 प्रतिशत का ही उपयोग करेगी। जो रक्षा बजट पर अनावश्यक बोझ साबित होगा।

सांसद के मुताबिक “इस योजना के लागू होने के पश्चात हर वर्ष भर्ती किए गए युवाओं में से 75 प्रतिशत चार वर्षों के बाद पुन: बेरोजगार होंगे। हर साल यह संख्या बढ़ती जाएगी। इससे देश के युवाओं में असंतोष और अधिक पनपेगा। वरुण गांधी ने कहा कि  हमें उन युवाओं के बारे में भी सोचना होगा, जिनकी उम्र सीमा कोरोना एवं भर्ती सही समय पर नहीं होने के कारण पार कर गई है।

गौरतलब है कि केंद्र की इस नई योजना के तहत थलसेना, नौसेना और वायुसेना में इस साल करीब 46,000 सैनिक भर्ती किए जाएंगे। चयन के लिए पात्रता आयु साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष के बीच होगी और इन्हें अग्निवीर नाम दिया जाएगा। इस योजना को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सरकार इस योजना पर अब घिरती नजर आ रही है।

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