कश्मीर घाटी में क्या है आतंक का खूनी प्लान, कैसे बदला आतंकियो ने हमलों का तरीका

कश्मीर में आतंकियों द्वारा AK-47 की जगह पिस्टल यूज करने का क्या है मक़सद, कैसे बदल रहे है हमलों का तरीका
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कश्मीर घाटी
कश्मीर में टारगेटेड किलिंग में AK-47 राइफल जैसे बड़े हथियारों के बजाय पिस्टल जैसे छोटे हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन पिस्टलों को बॉर्डर पर ड्रोन के जरिए गिराया जाता है, जहां से ये स्थानीय आतंकियों तक पहुंचते हैं। पुलिस का मानना है कि पाकिस्तान से ये हथियार ड्रोन के जरिए जम्मू और पंजाब बॉर्डर पर गिराए जाते हैं, जहां से ये कश्मीर घाटी पहुंचते हैं 

श्रीनगर. कश्मीर घाटी में आतंकी लगातार अपने हमले के तरीकों में बदलाव कर रहे है यह भी अपने आप में एक चिंता का विषय है हमलों में आजकल छोटे हथियारों का इस्तेमाल होने लगा है। पुलिस की माने तो छोटे पिस्टल को छुपाना आसान होता है इसलिए टारगेट किलिंग में इनका उसे हो रहा है।

कश्मीर में इस साल जनवरी से अब तक 16 लोगों की टारगेटेड किलिंग हो चुकी है। टारगेटेड किलिंग का मतलब होता है कि कुछ खास व्यक्तियों को टारगेट बनाकर उनकी हत्या करना। कश्मीर में पिछले कुछ महीनों के दौरान आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों और प्रवासी मजदूरों को ऐसे ही निशाना बनाकर मारा है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान कश्मीर में टारगेटेड किलिंग के लिए ऑपरेशन रेड वेव चला रहा है। इससे पहले पाकिस्तान ने कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए 1980-90 के दशक में ऑपरेशन टुपाक या टोपाक चलाया था। कश्मीरी पंडितों पर हुए हालिया हमलों ने 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों पर बड़े पैमाने पर हुए हमलों और उन्हें घाटी छोड़ने पर मजूबर किए जाने की यादें ताजा कर दी हैं।

90 के दशक की तरह ही इस बार भी इन घटनाओं के पीछे पाक खुफिया एजेंसी ISI का हाथ है, जिसने घाटी में अशांति फैलाने के लिए कश्मीरी पंडितों की हिट-लिस्ट तैयार की है।

इस लिस्ट में हाल के वर्षों में कश्मीर लौटने वाले या 1990 के दशक में कश्मीर में रह जाने वाले कश्मीरी पंडित शामिल हैं। माना जा रहा है कि ISI की इसी हिट-लिस्ट के तहत इस साल 12 मई को आतंकियों ने राहुल भट्ट और पिछले साल प्रमुख बिजनेसमैन माखन लाल बिंद्रू की हत्या की थी, ये दोनों कश्मीरी पंडित थे।

खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, टारगेटेड किलिंग के लिए पाकिस्तान ऐसे स्थानीय कश्मीरी युवकों का इस्तेमाल कर रहा है, जिनका पहले से कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। इन युवकों के जरिए टारगेटेड किलिंग करवाने से पाकिस्तान में बैठे मास्टरमाइंड आसानी से इसे स्थानीय मामला कहकर इसमें उनके शामिल होने से पल्ला झाड़ सकते हैं।

एक्सपर्ट कहते हैं कि हाल में अलगाववादियाें पर कड़े एक्शन और यासीन मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद आतंकी संगठन बौखलाए हुए हैं। वे घाटी में डर पैदा करने के लिए टारगेटेड किलिंग कर रहे हैं।

इन टारगेटेड किलिंग को हाइब्रिड आतंकी अंजाम दे रहे हैं। हाइब्रिड आतंकी ज्यादातर युवा होते हैं। ये लोग आम लोगों के बीच रहते हैं। ये कुछ पैसों और ड्रग्स के लिए टारगेटेड किलिंग को अंजाम देते हैं। इन हाइब्रिड आतंकियों का ब्रेनवॉश पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI करती है।

सीमा पार से घुसपैठ पर लगाम लगाने के बाद हाइब्रिड आतंकियों के हमले बढ़ गए हैं। ये आतंकी द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी TRF से जुड़े हैं। TRF लश्कर से जुड़ा एक संगठन है। इसमें जम्मू-कश्मीर के युवाओं को भर्ती किया जा रहा है और उन्हें हमले के लिए ट्रेंड किया जा रहा है।

हाइब्रिड आतंकी ऐसे स्थानीय युवक होते हैं जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होता है। ये अपने आकाओं के आदेश पर पिस्टल लेकर आते हैं और हमला करके फरार हो जाते हैं। इसके बाद सामान्य जीवन जीने लगते हैं। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के लिए इनकी पहचान करना काफी मुश्किल होता है।

इन दहशतगर्दों की ऑनलाइन भर्ती की जाती है। ऑनलाइन ट्रेनिंग भी दी जाती है। इसके बाद इन्हें आम लोगों पर हमला करने के लिए भेजा जाता है। पहले जहां किसी हमले को अंजाम देने में 3-4 आतंकी शामिल रहते थे, वहीं अब इसी काम को 1-2 आतंकी करते हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कश्मीर में टारगेटेड किलिंग में AK-47 राइफल जैसे बड़े हथियारों के बजाय पिस्टल जैसे छोटे हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन पिस्टलों को बॉर्डर पर ड्रोन के जरिए गिराया जाता है, जहां से ये स्थानीय आतंकियों तक पहुंचते हैं। पुलिस का मानना है कि पाकिस्तान से ये हथियार ड्रोन के जरिए जम्मू और पंजाब बॉर्डर पर गिराए जाते हैं, जहां से ये कश्मीर घाटी पहुंचते हैं।

मई के आखिरी हफ्ते में श्रीनगर पुलिस ने आतंकी संगठन लश्करे-ए-तैयबा की स्थानीय शाखा TRF के दो हाइब्रिड आतंकियों सज्जाद गुल और सैफुल्ला साजिद जट्ट को अरेस्ट किया था। इन दोनों के पास से हथियारों की खेप पकड़ी गई थी, जिसे उन्हें श्रीनगर में टारगेटेड किलिंग की योजना बना रहे लोगों तक पहुंचाना था। इन दोनों आतंकियों के पास से 15 पिस्टल के अलावा 30 मैगजीन, 300 राउंड गोलियां और एक साइलेंसर भी बरामद किया गया था।

आतंकियों के पास बरामद हथियारों में अमेरिका में बनी स्टोएगर STR-9S कॉम्बैट पिस्टल शामिल थीं। इससे पहले इस साल जनवरी में साइलेंसर के साथ दो कंसाइनमेंट पकड़े गए थे।

पुलिस के मुताबिक, इस साल के पहले चार महीनों में कश्मीर से 100 से अधिक पिस्टल बरामद हो चुकी हैं। साइलेंसर के साथ बड़ी संख्या में छोटे हथियारों की बरामदी का मतलब बेहद कम ट्रेनिंग के साथ इनका इस्तेमाल टारगेटेड किलिंग में किया जाना था।

खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, टारगेटेड किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई योजना है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है।

यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी सॉफ्ट टागरेट बनाया हैं, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।

हताश आंतकियों ने अपनी रणनीति बदल दी है और अब वे अल्पसंख्यकों, निहत्थे पुलिसकर्मियों, मासूम नागरिकों, राजनेताओं और महिलाओं को निशाना बना रहे हैं। 

ये टारगेट किलिंग इनकी सोची समझी रणनीति का हिस्सा है ।ताकि लोगो में भय का माहौल बना के रखा जा सके।

इससे निपटने के लिए अब सुरक्षा बलो को भी विशेषज्ञो की मदद से  इस पर लगाम लगानी होगी  और आतंक के साथ सख्ती से निपटना होगा।

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