असली शिवसेना किसकी ? सुप्रीम कोर्ट में आज दोनों पक्षों ने दी दलील, कल फिर सुनवाई

चीफ जस्टिस ने कहा कि कल सुबह सबसे पहले इसी मामले को 15-20 मिनट के लिए सुना जाएगा.
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असली शिवसेना पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
उद्धव कैंप ने कहा कि गलत तरीके से पार्टी छोड़ने वाले विधायक अब खुद ही मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते. वहीं शिंदे कैंप ने कहा कि किसी ने पार्टी नहीं छोड़ी है. पार्टी के पुराने नेतृत्व पर भरोसा नहीं है. एक नेता पूरी पार्टी नहीं होता.

नई दिल्ली - सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में शिवसेना किसकीको लेकर मामला चल रहा है. कोर्ट में आज बुधवार को सुनवाई पूरी नहीं हो सकी और अब मामले की सुनवाई कल गुरुवार को भी होगी. आज दोनों पक्षों ने मामले में काफी गर्मागर्म बहस की. उद्धव कैंप ने कहा कि गलत तरीके से पार्टी छोड़ने वाले विधायक अब खुद ही मूल पार्टी होने का दावा नहीं कर सकते.

इसके विरोध में शिंदे कैंप ने कहा कि किसी ने भी पार्टी नहीं छोड़ी है. पार्टी के पुराने नेतृत्व पर अब बहुमत को भरोसा नहीं है. कोई एक नेता ही पूरी पार्टी नहीं होता. नेता के विरोध को पार्टी छोड़ना कह देना लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है. फिलहाल मामले में गुरुवार को सुनवाई होगी.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में पूरे मामले पर दोनों गुटों की कई याचिकाएं लंबित हैं. इन याचिकाओं में विधायकों की अयोग्यता, राज्यपाल की तरफ से शिंदे गुट को आमंत्रण देने, विश्वास मत में शिवसेना के 2 व्हिप जारी होने जैसे कई मसलों को उठाया गया है. कल की सुनवाई में पहले एकनाथ शिंदे की ओर से वकील दलील देंगे. कल पहले नंबर पर मामले की सुनवाई होगी.

इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट की ओर से दलील पेश करते हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि आज भी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे हैं. एकनाथ शिंदे को नई पार्टी बनानी होगी, या किसी अन्य पार्टी के साथ विलय करना होगा. कपिल सिब्बल ने कहा, पार्टी सिर्फ विधायकों का समूह नहीं होती है. इन लोगों को पार्टी की बैठक में बुलाया गया. वह नहीं आए.

कपिल ने आगे कहा, असल में इन लोगों ने पार्टी छोड़ी है. वह चुनाव आयोग जाकर पार्टी पर दावा कैसे कर सकते हैं? आज भी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे हैं. वहीं उद्धव कैंप के दूसरे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, इन लोगों को किसी पार्टी में विलय करना चाहिए था, पर ऐसा नहीं किया. वह जानते हैं कि वह असली पार्टी नहीं हैं. लेकिन पार्टी के चुनाव चिह्न पर कब्जे की कोशिश कर रहे हैं.

शिंदे गुट के लिए पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, जिस नेता को बहुमत का समर्थन न हो, वह कैसे बना रह सकता है? जब पार्टी में अंदरूनी बंटवारा हो चुका हो तो दूसरे गुट की बैठक में न जाना अयोग्यता कैसे हो गया? हमारे यहां एक भ्रम है कि किसी नेता को ही पूरी पार्टी मान लिया जाता है. हम अभी भी पार्टी में हैं. हमने पार्टी नहीं छोड़ी है. हमने नेता के खिलाफ आवाज उठाई है.

साल्वे ने आग कहा, अब पार्टी में दो खेमे हैं. 1969 में कांग्रेस में भी ऐसा नहीं हुआ था? कई बार ऐसा हो चुका है. ऐसे मामलों में चुनाव आयोग तय करता है कि पार्टी का चुनाव चिह्न किसे मिलेगा. शिंदे कैंप के लिए पेश वरिष्ठ वकीलों नीरज किशन कौल और महेश जेठमलानी ने यह भी कहा कि अब नए स्पीकर का चुनाव हो चुका है. विधायकों की अयोग्यता का मसला उन्हें देखना चाहिए. हालांकि इस पर चीफ जस्टिस ने हल्की नाराज़गी जताई.

बता दें कि फिलहाल चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है. 20 जुलाई को हुई सुनवाई में कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा था कि वह सुनवाई के बिंदुओं का संकलन जमा करवाएं. आज भी कोर्ट ने कहा कि शिंदे कैंप के वकील हरीश साल्वे अपने मुद्दों को संक्षेप में लिख कर कोर्ट को दें. गुरुवार की सुबह थोड़ी देर तक मामले पर विचार किया जाएगा.

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