जानिए कौन बन सकता है भारत का राष्ट्रपति, क्या है योग्यता और प्रक्रिया?
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दिल्ली - भारत में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर माहौल गर्म है। दोनों उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू और यशवंत सिन्हा अपना नामांकन दाखिल कर चुके है। दोनों उम्मीदवारों ने अपने पक्ष में समर्थन भी जुटाना शुरू कर दिया है। द्रौपदी मुर्मू ने जहां सोनिया गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं से अपने पक्ष में मतदान करने की अपील की है। वहीं दूसरे उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने भी सताधारी पार्टी के नेताओं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नेताओं से समर्थन मांगा है।
अगर चर्चा करे क्या आप या देश का कोई भी आम नागरिक राष्ट्रपति चुनाव में खड़ा हो सकता है तो जानिए क्या है इसकी योग्यताएं और शर्तें जिनको पूरा करना जरूरी है। निर्वाचन आयोग की और से 15वें राष्ट्रपति चुनाव 2022 की प्रक्रिया जारी है। इस शीर्ष संवैधानिक पद के लिए चुनाव लड़ने की आकांक्षा रखने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रस्तावक के तौर पर 50 सांसद, विधायक और अनुमोदक के तौर पर 50 अन्य की जरूरत होगी।
इस कदम का उद्देश्य इस चुनाव से गैर गंभीर उम्मीदवारों को बाहर करना है, जिनमें से एक बार कुल 37 उम्मीदवारों में से 36 के नामांकन रद्द हो गये थे। इसके अलावा उम्मीदवार को जमानत राशि के तौर पर 15,000 रुपये जमा करने होंगे। जमानत राशि 2,500 रुपये से बढ़ाकर 1997 में 15,000 रुपये कर दी गयी, जब प्रस्तावकों और अनुमोदकों की कुल संख्या पहले से 10-10 बढ़ गयी।
चुनाव लड़ने के लिए जरूरी योग्यता
1. उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए,
2. उम्मीदवार की उम्र 35 वर्ष पूरी हो चुकी हो,
3. संसद के निचले सदन (लोकसभा) का चुनाव लड़ने की अर्हता रखता हो,
4. 50 सांसद-विधायक का समर्थन हो,
5. 50 अनुमोदक होना जरूरी है,
पांच साल का होता है राष्ट्रपति का कार्यकाल
राष्ट्रपति का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, कोई व्यक्ति राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं माना जायेगा, यदि वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के तहत या राज्य सरकारों के नियंत्रण में आने वाले किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकार में लाभ के पद पर हो।
हालांकि, कोई व्यक्ति सिर्फ इस कारण से लाभ के पद पर नहीं माना जायेगा कि वह केंद्र में राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति है या किसी राज्य का राज्यपाल है या केंद्रीय या किसी राज्य सरकार में मंत्री पद पर है। भारत में 18 जुलाई को 16वां राष्ट्रपति चुनाव होगा, जबकि पहला चुनाव 1952 में हुआ था।
पहले पांच चुनाव के अनुभव
प्रथम पांच चुनावों के अनुभव से यह प्रदर्शित होता है कि जीतने की दूर-दूर तक कोई गुंजाइश नहीं होने के बावजूद राष्ट्रपति पद के लिए कुछ लोगों ने खुद को उम्मीदवार के तौर पर पेश किया. उल्लेखनीय है कि सातवें चुनाव में 1977 में कुल 37 उम्मीदवारों ने नामांकन पत्र दाखिल किये थे। हालांकि, नामांकन पत्रों की जांच के दौरान 36 उम्मीदवारों के नामांकन खारिज हो गये और सिर्फ एक नामांकन पत्र वैध पाया गया, जो नीलम संजीव रेड्डी का था।
चिंता का एक अन्य विषय वह तरीका है, जिसके तहत कुछ लोगों ने राष्ट्रपति पद के चुनाव को चुनौती देने के लिए अदालत का रुख किया। इसलिए, किसी संभावित उम्मीदवार के लिए यह अनिवार्य कर दिया गया है कि उसके नामांकन पत्र के लिए कम से कम 50 प्रस्तावक और कम से कम 50 अनुमोदक हों।
4,809 लोग चुनेंगे भारत का नया राष्ट्रपति
आगामी चुनाव में 4,809 निर्वाचक होंगे, जिनमें 776 सांसद और 4,033 विधायक होंगे। इनमें 223 राज्यसभा सदस्य और लोकसभा के 543 सदस्य शामिल हैं। किसी उम्मीदवार द्वारा या उसकी ओर से चार नामांकन पत्र से अधिक दाखिल नहीं किये जा सकते या चुनाव अधिकारी द्वारा प्राप्त नहीं किया जायेगा। चुनाव याचिका, नतीजे घोषित होने के 30 दिनों के अंदर सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा सकती है। इसे कोई उम्मीदवार या 20 या इससे अधिक निर्वाचक मिलकर याचिकाकर्ता के तौर पर दायर कर सकते हैं। इस प्रकार राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया संपन्न होती है।