गाय-भैंस रखने के लिए लाइसेंस का बनाया था कानून, विरोध में दूध बंद करने का एलान किया, कानून वापस
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गांधीनगर - गुजरात में मालधारी समाज के बढ़ते विरोध के बीच बुधवार, 21 सितंबर को राज्य सरकार ने विधानसभा में पशुओं नियंत्रण कानून(Urban Cattle Control Act) को वापस ले लिया है. मॉनसून सेशन के दो दिवसीय सत्र में पूर्ण सहमति से इस कानून को वापस लिया गया. इससे पहले मालधारी समाज यानि गाय भैंस पालने वाले लोगों ने कानून के विरोध में दूध की सप्लाई बंद करने का ऐलान कर दिया था.
गुजरात में मालधारी महापंचायत के संयोजक नागजीभाई देसाई ने मीडिया से बातचीत में कहा था, " हम बुधवार से सभी को दूध की सप्लाई बंद कर देंगे, चाहे वह व्यक्तिगत ग्राहक हों, दूध की बड़ी डेयरियां हों या गुजरात की कंपनियां. यह तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी सभी मांगें पूरी नहीं हो जाती.
दरअसल अप्रैल में पास हुए इस कानून के मुताबिक अगर शहर में किसी को गाय भैंस बैल या बकरी पालने होती, तो संबंधित अथॉरिटी से लाइसेंस लेना पड़ता. इसके अलावा इन पशुओं को खरीदने-बेचने और उनके ट्रांसपोर्टेशन को लेकर भी नियम बनाए गए थे.
कहा गया था कि शहरों के साथ-साथ लगभग 156 कस्बों में भी सख्ती बरती जाएगी. कानून के मुताबिक अगर पशु खुले में दिखा या उसका लाइसेंस नहीं हुआ तो उसको कैद किया जा सकता था.
गुजरात विधानसभा में पास हुए दिल के मुताबिक अगर 15 दिन के भीतर पशुओं की टैगिंग नहीं कराई जाती तो उसके मालिक को 1 साल तक की जेल हो सकती थी. इसके अलावा 10 हजार रुपये का जुर्माना है फिर दोनों भी लगा जा सकता था.
मालधारी समाज के लोगों ने दावा किया था कि कानून सिर्फ बहाना है, असली खतरा उनकी गौचर यानी पशु के चरने की जगह से है. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मालधारी समाज की कुल 14 मांगें थीं. उनमें से मुख्य मांगें थीं.
1. मालधारी कॉलोनियां बनाकर मवेशियों और मालधारियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाई जाए.
2. मवेशियों को पकड़ने के लिए निकली टीम मालधारी के खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करना बंद कर दें.
3. गौचर की जमीन पर अतिक्रमण नहीं किया जाए.
4. मालधारी समाज द्वारा गायों को सड़क पर छोड़ने का प्रचार बंद किया जाए.