बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में मिली पुरानी बौद्ध गुफाओं के अवशेष, प्राचीन लिपियों में लिखे अभिलेख भी मिले

अन्वेषण के दौरान यहां पर करीब 1 महीने तक खोज के दौरान लोगों के आने-जाने पर रोक थी
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ASI ने बताया कि मथुरा और कौशांबी के अलावा पावता(प्रवता), विजभद्र और सप्तनारिका का भी उल्लेख विभिन्न अभिलेखों में मिला है. उन्होंने बताया कि अभिलेखों में महाराजा श्री भीमसेन, महाराजा पोथसिरी और महाराजा भट्टदेव सहित महत्वपूर्ण राजाओं के भी उल्लेख हैं.

भोपाल - भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम को मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ के टाइगर रिजर्व में करीब 2 हजार साल पुराने बौद्ध मठ मिले हैं. ये मठ करीब 175 वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैले हैं. इन गुफाओं के जरिये बुद्ध धर्म से जुड़ी कई रोचक जानकारियों सामने आई हैं. इन गुफाओं में ब्राह्मी लिपि के कई लेख भी मिले हैं.

ASI(Archeological Survey Of India) की जबलपुर सर्कल टीम को मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व में 9वीं शताब्दी के मंदिर, गुफाएं, मूर्तियां और मठ मिले हैं. टीम को यहां पर 26 मंदिर, 26 गुफाएं, 2 मठ, 2 स्तूप, 24 अभिलेख, 46 कलाकृतियों और 19 जल ढांचे मिले हैं. इन अवशेषों एवं भित्ति अभिलेखों पर प्राचीन लिपियों में मथुरा और कौशांबी जैसे शहरों का उल्लेख है.

ASI अधिकारियों ने मीडिया को बताया कि अन्वेषण के दौरान यहां पर करीब 1 महीने तक खोज के दौरान लोगों के आने-जाने पर रोक थी. यहां साल 1938 के बाद पहली बार ASI अन्वेषण कर रहा है. जबलपुर ऑफिस के पुरातत्व सुपरिंटेंडेंट एसके बाजपेयी ने अन्वेषण करने वाली टीम की अध्यक्षता की जिन्होंने यहां ASI हेडक्वार्टर में मीडिया से बातचीत के दौरान अन्वेषण की विस्तृत जानकारी व तस्वीरें साझा की.

बाजपेयी ने बताया, "साल 1938 में पुरातत्व एनपी चक्रवर्ती के बाद पहली बार ASI ने बांधवगढ़ में अन्वेषण किया है. कई ढांचों का दस्तावेजीकरण किया गया है और हमें प्राचीन गुफाओं, मंदिरों, बौद्ध अवशेषों मठ, मूर्तियों जलाशयों, ब्राह्मी और नागरी जैसी प्राचीन लिपियों में भित्ति अखिलेख जैसे और ढांचों की जानकारी मिली है."

पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने बताया कि दूसरी से पांचवीं सदी बक बीच के 24 ब्राह्मी लिपि में लिखे अभिलेख मिले. बाजपेयी ने बताया कि ब्राह्मी लिपि में लिखे अभिलेख में मथुरा का उल्लेख है, जबकि नागरी और शंखलिपि में भी अभिलेख मिले हैं.

ASI ने बताया कि मथुरा और कौशांबी के अलावा पावता(प्रवता), विजभद्र और सप्तनारिका का भी उल्लेख विभिन्न अभिलेखों में मिला है. उन्होंने बताया कि अभिलेखों में महाराजा श्री भीमसेन, महाराजा पोथसिरी और महाराजा भट्टदेव सहित महत्वपूर्ण राजाओं के भी उल्लेख हैं.

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