अग्निपथ योजना को वापिस लेना ही होगा, कांग्रेस ने सरकार पर बोला हमला

कांग्रेस ने रूस का हवाला देकर कहा की योजना वापिस लेनी होगी
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Rahul Gandhi
कांग्रेस  ने कहा, ये परिणाम अभी हाल ही में भुगतने पड़े हैं रूस में, पहले जब उन्होंने वॉर प्लान किया तो खारकीव और कीव में किया और अब डोनबर्ग में सिमट गए। उन्होंने कहा कि ये युवाओं के विवेक पर निर्भर करता है लेकिन मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि सरकार दिवंगत सीडीएस बिपिन रावत जी की भावना का आदर कीजिए।

दिल्ली.  सरकार जब से अग्निपथ योजना को लेकर आई है तब से पूरे देश में बवाल सुरु हो गया है। हर और योजना का विरोध हो रहा है भारतीय सेना में भर्ती की नई योजना ‘अग्निपथ’ को लेकर राजनीतिक पार्टियों में भी सियासी घमासान छिड़ा हुआ है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इस योजना को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। इस मुद्दे पर टीवी डिबेट्स के दौरान भी भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच तीखी बहस देखने को मिली है। इसी तरह की एक डिबेट के दौरान कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा कि अग्निपथ योजना को वापस लेना पड़ेगा, रूस में इस माॅडल का हाल यूक्रेन युद्ध में दिख गया। उन्होंने कहा कि खारकीव और कीव छोड़कर डोनबर्ग में रूसी सेना सिमट गई।

डिबेट के दौरान कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे ने कहा, “ये केवल नौकरी का सवाल नहीं है बल्कि भारत की एकता और अखंडता का सवाल है। ये एक लाख 12 हजार में से 46 हजार की भर्ती कर रहे हैं। सबसे कम जो स्क्वाड है और उसमें मान लीजिए 10 सैनिक हैं। उसमें ये लोग क्या कर रहे हैं- तीन सैनिक पहले से कम कर दिए और तीन सैनिक उसमें अग्निवीर हैं। यानी, जो पूरी तरह ट्रेंड नहीं हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “ये परिणाम अभी हाल ही में भुगतने पड़े हैं रूस में, पहले जब उन्होंने वॉर प्लान किया तो खारकीव और कीव में किया और अब डोनबर्ग में सिमट गए।” उन्होंने कहा कि ये युवाओं के विवेक पर निर्भर करता है लेकिन मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि आप (सरकार) दिवंगत सीडीएस बिपिन रावत जी की भावना का आदर कीजिए।

इस दौरान, सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने भी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि रिटायर्ड सैनिकों को रोजगार नहीं मिल पाता है तो इन अग्निवीरों का क्या होगा ? सरकार को नौकरी की गारंटी देनी चाहिए। रूस-यूक्रेन युद्ध का हवाला देते हुए बताया कि रूस ने शॉर्ट टर्म में नियुक्ति पाने वाले सैनिकों को मोर्च पर लगाया था, लेकिन देखिए क्या परिणाम हुए। उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। बाद में पुतिन को अपनी रणनीति बदलनी पड़ी। उन्होंने रणनीतिक इलाकों से इन सैनिकों को वापस लौटा दिया।

रक्षा और रणनीतिक मुद्दों के विशेषज्ञ, सेवानिवृत्त रक्षा कर्मियों, नीति निर्माताओं और यहां तक कि प्रदर्शनकारी भी इस योजना की इस आधार पर आलोचना कर रहे हैं कि इसमें प्रोफेशनलिज्म की कमी है। रेजिमेंटल सम्मान का अभाव है। समाज का सैन्यीकरण गलत है। ये अप्रशिक्षित सैनिक होंगे। इन सारे सवालों पर ब्रिगेडियर का कहना है कि आप इन चिंताओं को नकार नहीं सकते हैं, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा सवाल है। लेकिन सरकार यह कह रही है कि उसे सैन्य खर्चों को लेकर निर्णय लेने हैं, क्योंकि इन पर खर्च होने वाली राशि का बड़ा भाग पेंशन पर खर्च होता है। लेकिन मैं यह भी सुझाव दूंगा कि आधुनिकीकरण के लिए आपको टेक्नोलॉजिकल क्षेत्रों पर खर्च बढा़ने होंगे, क्योंकि यह समय की मांग है। सरकार अग्निपथ योजना पर अब घिरती नजर आ रही है।

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