दक्षिण भारत में लगातार मजबूत होती बीजेपी
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दिल्ली. वर्तमान समय में तमाम मुद्दों के बीच बीजेपी लगातार मजबूत होती जा रही है, अगर कुछ राज्यों को छोड़ दें तो उत्तर और मध्य भारत में बीजेपी पूरी तरह से मजबूत स्थिति में है. इस समय बीजेपी का अगला लक्ष्य दक्षिण भारत है. इस समय भाजपा के सामने विपक्ष बिल्कुल दयनीय स्थिति में है. बीजेपी के खिलाफ विपक्ष का हर दांव उसी पर उल्टा पड़ रहा है. मोदी संकट को अवसर में बदल देते हैं. मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव द्वारा उनका बहिष्कार लोगों को रास नहीं आया.
मोदी ने इसे अपने पक्ष में भुना लिया. तीन श्रेणियों में हैदराबाद की इस बैठक का विश्लेषण हो सकता है- पार्टी का राजनीतिक लक्ष्य, सांगठनिक महत्व और लाभार्थियों को प्राथमिकता देना.
उत्तर प्रदेश में भाजपा की लगातार दूसरी जीत, डबल इंजन के नारे और सपा व बसपा के खिलाफ योगी आदित्यनाथ के असरदार प्रचार ने भाजपा को एक नया तेवर दिया है. इस बैठक को समझने के लिए उत्तर प्रदेश के तरीके और तेलंगाना प्रयोग को मिला कर देखना होगा, जिसका अर्थ है- वंशवाद हो बर्बाद.
भाजपा दो मुख्य विरोधियों- केसीआर की टीआरएस और ओवैसी की मजलिस- को एक साथ मात देना चाहती है. उसकी योजना अगले 25 साल की है. अगर भाजपा की हैदराबाद घोषणा का निहितार्थ समझा जाए, तो उसमें 'अमृत काल’ चमकता दिखेगा, जिसकी अवधारणा प्रधानमंत्री मोदी ने दी है.
भाजपा का मुख्य जोर ‘घोर परिवारवाद’ से मुक्ति है. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस से छुटकारा पाने के बाद अगले पांच साल में भाजपा का इरादा परिवारवाद वाले आठ बड़े राज्यों की राजनीति में अपनी ऊर्जा के निवेश का है.
इसीलिए केसीआर परिवार की ओर संकेत करते हुए ‘बाप, बेटा, बेटी की सरकार’ की संज्ञा दी गयी. साल 2013-14 में मोदी ने अपनी सभी 400 रैलियों में ‘मां, बेटा, बेटी’ कह कर गांधी परिवार के विरुद्ध माहौल बनाया था. हैदराबाद प्रस्ताव में आगामी 25 वर्षों के विकास के पहलुओं का संकेत है.
राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने मोदी सरकार की कल्याण योजनाओं की प्रशंसा की, जिन्होंने अभूतपूर्व कोविड महामारी में लोगों की मदद में बड़ी भूमिका निभायीं.
प्रस्ताव में यह भी रेखांकित किया गया कि सरकार ने आर्थिक वृद्धि और गरीबों की सहायता पर बराबर ध्यान दिया है. इसमें महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था के समुचित प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा किये गये उपायों की भी चर्चा की गयी.
गोवा में 2013 में हुई बैठक और उसके बाद के सम्मेलनों में मोदी और शाह ने कांग्रेस के प्रति भाजपा के नरम रुख को त्याग दिया. मोदी ने अन्य पार्टियों के सहयोग से तथा कांग्रेस, टीआरएस आदि दलों से लोगों को लाकर भाजपा का विस्तार किया है.
अब भाजपा बहुत गतिशील हो चुकी है और वह दुनिया की सबसे बड़ी पार्टियों में है. मोदी-शाह की जोड़ी ने भाजपा को ठोस हिंदुत्व की भावनाओं से जोड़ा, ताकि दक्षिणपंथ का भारी समर्थन मिले.
विपक्ष के पूरी तरह कमजोर होने की मौजूदा स्थिति में भाजपा ने अगले 25 वर्षों के लिए योजना बनायी है. इसी दृष्टिकोण से हैदराबाद की बैठक को देखा जाना चाहिए.
वर्ष 2014 में अमित शाह ने मुझे बताया था कि वे पूर्वोत्तर पर ध्यान केंद्रित करेंगे, फिर 2019 में उन्होंने कहा कि 18 राज्यों में भाजपा शिखर पर पहुंच चुकी है और अब दक्षिण की ओर रुख करने का सही समय आ गया है.