BJP में अमित शाह नंबर 2 और नितिन गडकरी को मिली पीएम मोदी के खिलाफ बोलने की सजा?

गडकरी लंबे समय से पार्टी और सरकार के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ मुखर रहे हैं
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नितिन गडकरी का बाहर जाना इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि वे RSS के करीबी माने जाते हैं व केंद्रीय मंत्री के तौर पर उनका कामकाज शानदार माना जाता है. वहीं उन्हीं के राज्य महाराष्ट्र से ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखने वाले देवेंद्र फडणवीस को शामिल किया जाना भी बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.

नई दिल्ली - बुधवार को केंद्र में सत्ताधारी पार्टी BJP ने अपने संसदीय बोर्ड व केंद्रीय चुनाव समिति का फिर से गठन किया है. संसदीय बोर्ड पार्टी की सबसे ताकतवर इकाई मानी जाती है जोकि राज्यों में अन्य पार्टियों से गठबंधन, मुख्यमंत्री, राज्य प्रभारी व अन्य महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियों को लेकर फैसला लेती है. जबकि केंद्रीय चुनाव समिति को पार्टी में दूसरे नंबर की सबसे ताकतवर इकाई माना जाता है जोकि लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा, राज्य विधान परिषद के सदस्यों की टिकटों के बंटवारे पर फैसला लेती है.

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संसदीय बोर्ड में पार्टी ने पूर्व अध्यक्ष व केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी व मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बाहर का रास्ता दिखाया है. इसके साथ ही पार्टी ने संसदीय बोर्ड में 6 नए सदस्यों को जगह दी है. इसमें पूर्व IPS अधिकारी इकबाल सिंह लालपुरा भी, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, के लक्ष्मण, सुधा यादव, सत्यनारायण जटिया, कर्नाटक मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा(BS Yediyurappa) को नए सदस्य के रूप में जगह दी है. 

BJP में संसदीय बोर्ड व केंद्रीय चुनाव समिति, दोनों ही संस्थाओं में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी व केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की छुट्टी को बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि BJP अमित शाह(Amit Shah) को नंबर 2 व अगले प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है. सियासी जानकार कह रहे हैं कि संघ के करीबी होने के बावजूद नितिन गडकरी की छुट्टी पीएम मोदी के प्रतिद्वंद्वी व सरकार के खिलाफ मुखर होने के चलते हुई है. 

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दरअसल सुषमा स्वराज, अरुण जेटली व अनंत कुमार के निधन, वैंकेया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने व थावर चंद गहलोत के राज्यपाल बनने के बाद संसदीय बोर्ड में 5 सीटें खाली हो गई थीं. नए बदलाव में 6 नए सदस्यों में पूर्व IPS अधिकारी इकबाल सिंह लालपुरा(Iqbal Singh Lalpura) को भी जगह मिली है.

लालपुरा के रूप में पार्टी के इतिहास में पहली बार संसदीय बोर्ड में किसी सिख चेहरे को जगह मिली है. वहीं सुधा यादव(Sudha Yadav) को सुषमा स्वराज के विकल्प के रूप में देखा जा रहा है. इसके साथ ही सुधा यादव व के. लक्ष्मण को दक्षिण भारत के प्रतिनिधि के रूप में जगह मिली है. ये दोनों ही तेलंगाना से आते हैं. 

असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल(Sarbananda Sonowal) जोकि उत्तर भारत में एसटी(Schedule Tribe) समुदाय से आने वाले पहले नेता बने हैं. कर्नाटक के आगामी विधानसभा चुनावों के देखते हुए लिंगायत समुदाय से आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा(BS Yediyurappa) के जरिये पार्टी लिंगायत समुदाय के वोटों को साधना चाहती है.

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जबकि पूर्व केंद्रीय मंत्री सत्यनारायण जाटिया सर्वोच्च नीति इकाई में दलित चेहरा हैं. बताया जा रहा है कि पार्टी ने 2024 में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए संसदीय बोर्ड(Parliamentary Board) व केंद्रीय चुनाव समिति(Central Election Committee) का गठन किया है.

लेकिन इन सबके बीच नितिन गडकरी(Nitin Gadkari) ऐसे नेता हैं जिनको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म बना हुआ है. कारण है इतने बड़े नेता होने व पहले से बोर्ड का सदस्य होने के बावजूद उनकी दोनों ही सर्वोच्च इकाइयों से छुट्टी.

नितिन गडकरी का बाहर जाना इसलिए भी हैरान करने वाला है क्योंकि वे RSS(Rashtriya Svayam Sewak Sangh) के करीबी माने जाते हैं व केंद्रीय मंत्री के तौर पर उनका कामकाज शानदार माना जाता है. वहीं उन्हीं के राज्य महाराष्ट्र से ब्राह्मण जाति से ताल्लुक रखने वाले देवेंद्र फडणवीस को शामिल किया जाना भी बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है.

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मीडिया में इस बात के कयास लगाए जाने लगे हैं कि पार्टी केंद्रीय गृह मंत्री व पीएम मोदी के सबसे करीबी अमित शाह को आगे ले जाना चाहती है. इसके साथ ही यह भी संदेश दिया गया है कि पार्टी गडकरी के बयानों से काफी नाराज है. दरअसल गडकरी लंबे समय से पार्टी और सरकार के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ मुखर रहे हैं. जिसके चलते शीर्ष नेतृत्व की कई बार किरकिरी हुई है. 

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बता दें कि नितिन गडकरी को BJP में प्रधानमंत्री पद की रेस में माना जाता है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में संघ के सूत्रों के हवाले से ये बात भी सामने आई थी कि अगर चुनावों में पार्टी को बहुमत नहीं मिलता है तो आरएसएस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित शाह के पर कुतरने के लिए नितिन गडकरी को प्रधानमंत्री बना सकता है. लेकिन मोदी-शाह की जोड़ी ने आरएसएस के प्रभाव को पार्टी में कम किया. नितिन गडकरी RSS के करीब माने जाते हैं और अपनी साफ सुथरी छवि के लिए जाने जाते हैं.

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नए संसदीय बोर्ड में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत 11 लोग हैं, जिसमें नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह, बी एस येदियुरप्पा, सर्बानंद सोनोवाल, के लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, सत्यनारायण जटिया और बीएल संतोष शामिल हैं.

इस केंद्रीय चुनाव समिति में पीएम नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह, बीएस येदियुरप्पा, सर्बानंद सोनोवाल, के लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, सत्यनारायण जटिया, भूपेंद्र यादव, देवेंद्र फडणवीस, ओम माथुर, बीएल संतोष, वनश्रीनिवास शामिल हैं.

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