मध्यप्रदेश में सामने आया बड़ा घोटाला, कागजों में ही बांट दिया आंगनबाड़ी केंद्रों में 110 करोड़ का राशन

डाक्यूमेंट्स में लाभार्थियों की संख्या को भी खूब बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया
 | 
ss
इस योजना के तहत मध्यप्रदेश में 49.58 लाख बच्चे और महिलाएं रजिस्टर्ड हैं, जिसमें 6 महीने से 3 साल तक के 34.69 लाख बच्चे, 14.25 लाख गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं और स्कूल छोड़ चुकी 0.64 लाख लड़कियां(11 से 14 की लड़कियां) शामिल हैं.

भोपाल - मध्यप्रदेश(Madhya Pradesh) में बिहार के चर्चित चारा घोटाले की तर्ज पर आंगनबाड़ी केंद्रों में राशन बांटने को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है. राज्य के अककॉउंट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक पोषण आहार को ले जाने के लिए ट्रकों का इस्तेमाल बताया गया था जबकि हकीकत में इसके लिए मोटरसाइकिल व स्कूटरों का इस्तेमाल हुआ. 

इसके साथ साथ डाक्यूमेंट्स में लाभार्थियों की संख्या को भी खूब बढ़ा चढ़ाकर दिखाया गया. जिसके चलते टैक्स पेयर्स पर करोड़ो रुपयों का भार पड़ा. अकाउंटेंट जरनल(Accountant General, Madhya Pradesh) ने कहा कि इस तरह आंकड़ों के हेरफेर के जरिये 110.83 करोड़ रुपये का राशन कागजों में ही बांट दिया गया. 

दरअसल केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय(Ministry of Women & Child Development) टेक होम राशन(Take Home Ration) नाम की एक महत्वपूर्ण योजना चलाती है. इसका मकसद छोटे बच्चों व गर्भवती महिलाओं को पोषणयुक्त राशन उपलब्ध करवाना है, ताकि बच्चों में कुपोषण कम किया जा सके और महिलाओं को जरूरी प्रोटीन दिया जा सके. 

इस योजना के तहत मध्यप्रदेश में 49.58 लाख बच्चे और महिलाएं रजिस्टर्ड हैं, जिसमें 6 महीने से 3 साल तक के 34.69 लाख बच्चे, 14.25 लाख गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं और स्कूल छोड़ चुकी 0.64 लाख लड़कियां(11 से 14 की लड़कियां) शामिल हैं.

घोटाले के स्तर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि छह कम्पनियों ने दावा किया था कि उन्होंने 6.94 करोड़ रुपये के 1,125.64 टन राशन को पहुंचाने में ट्रकों का इस्तेमाल किया है. हालांकि जब राज्य के ऑडिटर जरनल ने जांच की तो पता चला कि इन ट्रकों का रजिस्ट्रेशन नंबर मोटरसाइकिल कार व टैंकर का है.
 
केंद्र व राज्य सरकार ने महिला एवं बाल विकास विभाग से कहा था कि वो भी अप्रेल 2018 तक नहीं ये सर्वे करके बताएं स्कूल छोड़ चुकीं कितनी लड़कियां टेक होम राशन योजना के तहत एक लाभ पाने के लिए एक पात्र हैं. 

हालांकि विभाग के ने फरवरी 2021 तक सर्वे नहीं कराया और बाद में इसकी संख्या बढ़ा चढ़ाकर कर दिखा दी. रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल शिक्षा विभाग में 2018-19 में कहा था कि ऐसी लड़कियों की संख्या 9 हजार है लेकिन महिला और बाल विकास मंत्रालय ने बिना किसी किसी सर्वे के कहा कि इन लड़कियों की संख्या 36.08 लाख है.

प्रदेश सरकार ने पोषण आहार की गुणवत्ता की जांच एक स्वतंत्र लैब से कराई थी. जिसमें पाया गया कि राज्य की कई फर्मों ने करीब 40 हजार टन राशन घटिया क्वालिटी वाला बांट दिया था. इसके बदले में करीब 238 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया गया, लेकिन इन फर्मों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई.

रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि राशन वितरण के विभिन्न चरणों मे इसकी जांच के स्वतंत्र लैब्स से कराई जानी चाहिए, लेकिन कई जगहों पर ये नहीं किया गया. यानी कि बच्चों और महिलाओं को खराब क्वालिटी वाला राशन मिलता रहा.

वहीं इस घोटाले पर मध्यप्रदेश की BJP सरकार ने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट में जो बात निकलकर सामने आई है कि ट्रकों की जगह मोटरसाइकिल कार ऑटो और टैंकर से राशन का परिवहन कराया गया है, दरअसल ये गाड़ियों का गलत नंबर देने की वजह से हुआ है. सरकार की तरफ से ये भी कहा गया है कि ऑडिट रिपोर्ट के रिजल्ट फाइनल नहीं हैं, इसलिए विस्तार से जांच के बाद ही आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

Latest News

Featured

Around The Web