मंकीपॉक्स है कोविड से ज्यादा खतरनाक पर संक्रमण की रफ्तार कोविड से कम, फैलने के कारण जानिए?

दिल्ली के एक 34 वर्षीय निवासी में रविवार को मंकीपॉक्स का पता लगा। इस व्यक्ति का अंतरराष्ट्रीय यात्रा का कोई इतिहास नहीं है। भारत में स्थानीय मानव-से-मानव संचरण (human to human transmission) का यह पहला मामला है।
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Monkey poks
दुनिया भर में बढ़ते मामलों के बीच मंकीपॉक्स बीमारी उन क्षेत्रों में फैल गई, जहां पहले कभी मंकीपॉक्स का पता नहीं चला था। डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस साल 72 देशों से 20 जुलाई तक 14,533 मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं। मई की शुरुआत में 47 देशों में 3,040 मामले दर्ज किए गए थे। यानी जुलाई महीने में तेजी से मामले बढ़ें हैं।

दिल्ली. कोविड-19 के बाद अब मंकीपॉक्स ने दुनिया भर की चिंता बढ़ा दी है। इस बीमारी को लेकर डब्ल्यूएचओ से लेकर तमाम देशों की बड़ी स्वास्थ्य संस्थाएं चिंतित है। दुनियाभर के कई देशों में मंकीपॉक्स बीमारी ने कहर बरपाया हुआ है और अब भारत में भी इसकी दस्तक हो चुकी है। दिल्ली के एक 34 वर्षीय निवासी में रविवार को मंकीपॉक्स का पता लगा। इस व्यक्ति का अंतरराष्ट्रीय यात्रा का कोई इतिहास नहीं है। भारत में स्थानीय मानव-से-मानव संचरण (human to human transmission) का यह पहला मामला है। यह मामला विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा मंकीपॉक्स को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public health emergency of international concern)घोषित करने के एक दिन बाद आया है।

दुनिया भर में बढ़ते मामलों के बीच मंकीपॉक्स बीमारी उन क्षेत्रों में फैल गई, जहां पहले कभी मंकीपॉक्स का पता नहीं चला था। डब्ल्यूएचओ के अनुसार इस साल 72 देशों से 20 जुलाई तक 14,533 मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं। मई की शुरुआत में 47 देशों में 3,040 मामले दर्ज किए गए थे। यानी जुलाई महीने में तेजी से मामले बढ़ें हैं।

मंकीपॉक्स एक वायरल संक्रमण है, जिसके लक्षण 2-4 सप्ताह तक रहते हैं। इसका मृत्यु अनुपात 0 से 11% के बीच है। इसके सबसे आम लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, कम ऊर्जा, और सूजी हुई लिम्फ नोड्स के साथ-साथ चकत्ते जो 2-3 सप्ताह तक रहते हैं। हालांकि यह बच्चों और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली (weak immune system) वाले लोगों में मृत्यु का कारण बन सकता है। इस बीमारी से निमोनिया, माध्यमिक त्वचा संक्रमण, सेप्सिस, एन्सेफलाइटिस और कॉर्निया में संक्रमण भी हो सकता है जिससे व्यक्ति अंधा हो सकता है।

जानवरों से मनुष्यों में संक्रमण रक्त, शारीरिक तरल पदार्थ, या संक्रमित जानवरों में घावों के सीधे संपर्क के माध्यम से फ़ैल सकता है। वहीं मानव-से-मानव संचरण में बड़े श्वसन स्राव के माध्यम से हो सकता है या संक्रमित व्यक्ति या दूषित वस्तुओं के घावों के संपर्क में आने से हो सकता है।

इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलीरी डिजीज में वायरोलॉजी की प्रोफेसर डॉक्टर एकता गुप्ता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “यह कोविड -19 की तरह संक्रामक नहीं है, इसलिए इसके उस तरीके से फैलने की संभावना नहीं है। हालाँकि हाल में चेचक के टीकाकरण से इसकी प्रतिरक्षा में गिरावट से जोड़ा जा सकता है। हमेशा यह उम्मीद की जाती थी कि टीके की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाएगी, लेकिन हमने यह अनुमान नहीं लगाया था कि जानवरों का स्ट्रेन इसपर हावी हो जायेगा।” 

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