UPI से पेमेंट करने पर चार्ज लगा सकती है मोदी सरकार

इकोनॉमिक एक्टिविटी में फ्री सर्विस नहीं दे सकते - RBI
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केंद्रीय बैंक ने कहा कि RTGS के मामले में भी बड़ा इन्वेस्टमेंट किया गया है और इसे ऑपरेट करने में भी भारी खर्च उठाना पड़ता है. ऐसे में अगर रिजर्व बैंक ने RTGS पेमेंट पर चार्जेज लगाया है तो इसे कमाई करने का तरीका नहीं समझा जाना चाहिए.

नई दिल्ली - आजकल आप 5 या 10 रुपये का कोई सामान लेते हो तो आपको कैश देने की जरूरत नहीं पड़ती. वजह है UPI यानी Unified Payment Interface जिसके अंतर्गत Phone Pe, Google Pe, BHIM आदि ऑनलाइन ट्रांजेक्शन एप्प हैं. जिसपर आप चुटकियों में 1 लाख रुपये तक की पेमेंट कर सकते हैं हालांकि बिजनेस अकाउंट के लिए ये लिमिट ज्यादा भी है. लेकिन मुद्दे की बात ये है कि आने वाले समय में UPI पेमेंट पर आपको जार्च देना पड़ सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक(RBI) ने इसको लेकर डिस्कशन पेपर ऑन पेमेंट सिस्टम(Discussion Paper On Payment System) जारी किया है जिसपर लोगों से राय मांगी गई है.

IMPS की तरह UPI पर भी लगे चार्ज

दरअसल रिजर्व बैंक पेमेंट सिस्टम के डेवलपमेंट(Payment System Development) और पेमेंट क्लियर सेटेलमेंट(Payment Clear Settlement) के लिए की गई बुनियादी संरचना की लागत को वसूल करने के विकल्प तलाश रहा है. पेपर में गया है कि UPI भी IMPS(Immediate Payment System) की तरह एक फंड ट्रांसफर सिस्टम है. इस कारण यह तर्क दिया जा सकता है कि UPI के लिए भी IMPS की तरह फंड ट्रांसफर ट्रांजैक्शन पर चार्जेज लगने चाहिए. आरबीआई ने कहा कहा है कि अलग अलग अमाउंट के हिसाब से चार्जेज निर्धारित किए जा सकते हैं.

पेपर के मुताबिक UPI एक फंड ट्रांसफर सिस्टम के तौर पर पैसों का रियम टाइम ट्रांसफर सुनिश्चित करता है. वहीं एक मर्चेंट पेमेंट सिस्टम के रूप में रियल टाइम सेटलेमेंट सुनिश्चित करता है. इस सेटलेमेंट को सुनिश्चित करने के लिए पीएसओ(Payment System Operator) और बैंकों को पर्याप्त बुनियादी सरंचना तैयार करने की जरूरत होती है. ताकि बिना किसी रिस्क के ट्रांजेक्शन पूरा हो सके. जिसके चलते सिस्टम पर अतिरिक्त खर्च आता है.

इकोनॉमिक एक्टिविटी में फ्री सर्विस नहीं दे सकते

आरबीआई ने आगे बताया," पेमेंट सिस्टम समेत किसी भी इकोनॉमिक एक्टिविटी में फ्री सर्विस के लिए किसी तर्क की कोई जगह नहीं है, बशर्ते वह लोगों की भलाई व देश के कल्याण के लिए नहीं हो. लेकिन सवाल उठता है कि इस तरह की बुनियादी सरंचना को तैयार करने व उसको सुचारू रूप से चलाने के लिए आ रहे भारी भरकम खर्च का वहन कौन करेगा...."

हमने इस सिस्टम को बनाने में बड़ा इन्वेस्टमेंट किया है

आरबीआई ने UPI के साथ ही डेबिट कार्ड से लेन देन, RTGS(Real Time Gross Settlement), NEFT(National Electronic Fund Transfer)आदि के चार्जेज को लेकर भी लोगों की टिप्पणियां मांगी है. पेपर में कहा गया है कि अगर रिजर्व बैंक डेबिट कार्ड पेमेंट सिस्टम(Debit Card Peyment System) आरटीजीएस पेमेंट(RTGS) और एनईएफटी पेमेंट(NEFT) के लिए चार्जेस वसूल करें तो यह अतार्किक नहीं होगा.

क्योंकि इनके बुनियादी संरचना तैयार करने में बड़ा इन्वेस्टमेंट किया गया है. ऐसे में यह नहीं देखा जाना चाहिए कि रिजर्व बैंक पैसा कमाने के लिए विकल्प तलाश रहा है. बल्कि यह सिस्टम के डेवलपमेंट और ऑपरेशन के खर्च को वापस पाने का प्रयास है.

क्या शुरुआत के बाद भी फ्री सर्विस देनी चाहिए?

केंद्रीय बैंक ने कहा कि RTGS के मामले में भी बड़ा इन्वेस्टमेंट किया गया है और इसे ऑपरेट करने में भी भारी खर्च उठाना पड़ता है. ऐसे में अगर रिजर्व बैंक ने RTGS पेमेंट पर चार्जेज लगाया है तो इसे कमाई करने का तरीका नहीं समझा जाना चाहिए. RTGS का इस्तेमाल बड़ी वैल्यू के टट्रांजेक्शन में किया जाता है और आम तौर पर बैंक व बड़े फाइनेंसियल इंस्टिट्यूट इसका इस्तेमाल करते हैं.

क्या इस तरह के सिस्टम में जिसमें बड़े इंस्टिट्यूट मेंबर हों, रिजर्व बैंक को फ्री में सर्विस प्रोवाइड करना चाहिए? इसी तरह NEFT को लेकर भी पेपर में पूछा गया है कि भले ही ऐसे ट्रांजेक्शन को लोगों की भलाई की कैटेगरी में रखा जा सकता है व इसने पेमेंट को डिजिटल बनाने में मदद की है, लेकिन क्या शुरुआत के कुछ समय बाद भी ऐसे पेमेंट पर कोई जार्ज वसूल नहीं किया जाना चाहिए?

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