लोन लेना चाहते है! जान ले RBI का ये फैसला

मुंबई. आरबीआई ने 13 जनवरी 2021 को ‘ऑनलाइन मंच और मोबाइल ऐप्लिकेशन के जरिए ऋण देने सहित डिजिटल उधार’ (डब्ल्यूजीडीएल) पर एक कार्य समूह का गठन किया था। केंद्रीय बैंक ने कहा कि नियामक चिंताओं को कम करते हुए डिजिटल ऋण विधियों के जरिए कर्ज देने के व्यवस्थित वृद्धि का समर्थन करने के लिए नियामक ढांचे को मजबूत किया गया है। यह नियामक ढांचा इस सिद्धांत पर आधारित है कि उधार देने का व्यवसाय सिर्फ ऐसी संस्थाओं द्वारा किया जाए, जो या तो रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित हैं या जिन्हें किसी अन्य कानून के तहत ऐसा करने की अनुमति मिली है।
इसके अलावा आरबीआई ने कहा कि क्रेडिट मध्यस्थता प्रक्रिया में ऋण सेवा प्रदाताओं (एलएसपी) को देय शुल्क का भुगतान कर्ज लेने वालों को नहीं, बल्कि डिजिटल ऋण देने वाली संस्थाओं को करना चाहिए। आरबीआई ने डिजिटल उधार के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी करते हुए मुख्य रूप से तीसरे पक्ष के बेलगाम जुड़ाव, गलत बिक्री, डेटा गोपनीयता का उल्लंघन, अनुचित व्यावसायिक आचरण, अत्यधिक ब्याज दरों और अनैतिक वसूली प्रथाओं से संबंधित चिंताओं का जिक्र किया।
शिकायतों के लिए अधिकारी की नियुक्ति जरूरी
दिशा-निर्देश में कहा गया है कि आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड संस्थान को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कर्ज सेवा देने वाले सभी प्रदाताओं को शिकायतों के निपटान के लिए एक उचित अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी। यह अधिकारी डिजिटल उधारी से संबंधित शिकायतों को सुनेगा। बैंक और गैर बैंक संस्थानों को यह सुनिश्चित करना होगा कि जिनके साथ वे कारोबार कर रहे हैं, वे डिजिटल उधारी एप उत्पादों से संबंधित फीचर को प्रमुखता से दिखाएं। इसमें कर्ज की सीमा और लागत सहित सभी जानकारी होनी चाहिए।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को डिजिटल ऋण देने के लिए सख्त मानदंड जारी किए। इसके तहत केंद्रीय बैंक ने कहा कि डिजिटल ऋण सीधे कर्ज लेने वालों के बैंक खातों में जमा किया जाना चाहिए, न कि किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से। आरबीआई ने डिजिटल कर्ज के क्षेत्र में बढ़ती गड़बड़ी को रोकने के लिए ये सख्त मानदंड तैयार किए हैं।