RSS मुख्यालय पर 50 वर्षों से क्यों नहीं फहराया गया तिरंगा? जानिए पूरा सच!

आखिर क्यों नहीं फहराया जाता संघ मुख्यालय पर तिरंगा? जानिए कारण
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संघ
जब पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है और प्रधानमंत्री द्वारा सभी को घर-घर तिरंगा लहराने की अपील की गई है तो ऐसे में विपक्ष संघ को लेकर सवाल खड़े कर रहा है संघ ने अभी तक ना तो प्रधानमंत्री की अपील पर अपनी डीपी चेंज की और ना ही संघ कार्यालय पर तिरंगा फहराया गया है। अब सवाल उठता है आखिर क्या कारण है कि संघ मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया जाता आइए जानते हैं।

दिल्ली.  प्रधानमंत्री मोदी की अपील पर जहां देशभर में लोग घर-घर तिरंगा फहराने को लेकर उत्साहित हैं। वही लोग अपनी डीपी पर भी तिरंगा लगाकर आजादी के अमृत महोत्सव के भागीदार बन रहे हैं।जहां कई वरिष्ठ भाजपा नेताओं और मंत्रियों ने अपनी ट्विटर डीपी को तिरंगे में बदल दिया है, आरएसएस ने अभी तक ऐसा नहीं किया है। इससे विपक्ष ने संगठन की मंशा पर सवाल खड़ा किया है।विपक्ष का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोशल मीडिया अकाउंट्स की प्रोफाइल पिक्चर के रूप में तिरंगे की तस्वीर लगाने की अपील को उनकी पार्टी के विचारक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने ही नहीं सुनी है।

इसके बारे में जानकारी निकालने पर पता चला कि पिछले 52 वर्षों से RSS मुख्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया गया है। आरएसएस की शाखाओं पर भगवा ध्वज फहराया जाता है। 15 अगस्त, 1947 और 26 जनवरी, 1950 को नागपुर में आरएसएस के मुख्यालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था। उसके बाद पांच दशकों के अंतराल के बाद 26 जनवरी, 2002 को राष्ट्रध्वज फहराया गया। आरएसएस के कुछ सदस्यों का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि 2002 से पहले इंडिया फ्लैग कोड ने निजी संगठनों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को फहराने पर रोक लगा दी थी।

26 जनवरी 2001 को, नागपुर में आरएसएस स्मृति भवन में राष्ट्रप्रेमी युवा दल के तीन सदस्यों द्वारा जबरदस्ती तिरंगा फहराया गया था। 14 अगस्त 2013 की प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, “परिसर के प्रभारी सुनील कथले ने पहले उन्हें परिसर में प्रवेश करने से रोकने की कोशिश की और बाद में उन्हें तिरंगा फहराने से रोकने की कोशिश की।”

2018 में आरएसएस के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में कहा था, “यह सवाल अक्सर उठता है कि शाखा में भगवा ध्वज क्यों फहराया जाता है राष्ट्रध्वज क्यों नहीं? पर संघ तिरंगे के जन्म से ही उसके सम्मान से जुड़ा हुआ है।” 2015 में हालांकि, चेन्नई में एक संगोष्ठी में आरएसएस ने कहा था, “राष्ट्रीय ध्वज पर भगवा ही एकमात्र रंग होना चाहिए था क्योंकि अन्य रंग एक सांप्रदायिक विचार का प्रतिनिधित्व करते हैं।”अपनी किताब ‘बंच ऑफ थॉट्स’ में एमएस गोलवलकर लिखते हैं, “हमारे नेताओं ने देश के लिए एक नया झंडा लाया है। उन्होंने ऐसा क्यों किया? यह सिर्फ बहकने और नकल करने का मामला है।

यह झंडा कैसे अस्तित्व में आया?” 1947 में, आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइज़र ने तिरंगे के साथ एक और समस्या जताई थी।14 अगस्त 1947 को आयोजक ने लिखा, “भारतीय नेता भले ही हमारे हाथों में तिरंगा दे दें, लेकिन यह कभी भी हिंदुओं के सम्मान और स्वामित्व में नहीं होगा। तीन शब्द अपने आप में एक बुराई है और तीन रंगों वाला झंडा निश्चित रूप से बुरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पैदा करेगा और यह देश के लिए हानिकारक है।”

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