अग्निपथ योजना, मोदी सरकार की आत्मघाती योजना: अभय चौटाला

इससे भारतीय सेना की मजबूत कार्यप्रणाली ख़त्म होगी
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INLD ABHAY SINGH CHAUTALA
भारत सरकार के इस आत्मघाती कदम के कारण अब नेपाली गोरखा चीन की तरफ देखने लगेंगे जो कि भारत के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है क्योंकि अग्रिपथ योजना के तहत न तो उन्हें पेंशन मिलेगी और न ही अन्य सुविधाएं जो आज मिल रही हैं वो मिलेंगी।

चंडीगढ़: मंगलवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना को देश के सामने रखा। राजनाथ सिंह ने मीडिया कांफ्रेंस कर अग्निपथ योजना(Agneepath Yojana) को लॉन्च करते हुए कहा कि अग्निपथ योजना से भारतीय सेना आधुनिक व सुसज्जित होगी। लेकिन आलोचकों व विपक्षी पार्टियों ने इस योजना को5 लेकर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। इसी कड़ी में इंडियन नेशनल लोकदल(INLD) के प्रधान महासचिव व ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला(Abhay Singh Chautala) ने इसे आत्मघाती योजना कहा है। अभय सिंह चौटाला ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा भारतीय सेना के तीनों अंगों में युवाओं की भर्ती के लिए अग्रिपथ योजना लाए जाने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह सदियों से चली आ रही सेना की मजबूत और सुदृढ़ कार्यप्रणाली को खत्म करने वाली योजना है।

उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत युवाओं को ठेके पर नियुक्त किया जाएगा और फिर चार साल बाद उन्हें हटा दिया जाएगा जो देश के युवाओं के भविष्य के साथ सरासर खिलवाड़ है। भारतीय सेना में जाट रेजिमेंट(Jaat Regiment), सिख रेजिमेंट(Sikh Regiment), सिख लाइट इन्फैंट्री(Sikh Light Infantry), गोरखा राइफल्स(Gorkha Rifles), राजपूत रेजिमेंट(Rajput Regiment) जैसी सिंगल क्लास रेजिमेंट(Single Class Regiment) में सैनिकों की भर्ती होती है जो देश के सभी मार्शल कौम का प्रतिनिधित्व करती है, लेकिन अब आल इंडिया आल क्लास मैथड(All India All Class Method) के तहत भर्ती होने से उनका अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि रक्षा विशेषज्ञों ने यह भी अवगत कराया है कि फौजी नाम, नमक और निशान के साथ उनकी यूनिट के युद्ध के नारे पर केंद्रित होकर जीते हैं। कठिन परिश्रम और बलिदान के बाद भारतीय सेना की वर्ग इकाइयां अपने वर्तमान मानकों पर पहुंच पाई हैं। गोरखा रेजिमेंट जिसमें नेपाल के गोरखा, जो एक लड़ाकू कौम है, भारतीय सेना में भर्ती होते हैं जिससे उनकी आजीविका चलती है। गोरखा रेजिमेंट का अंग्रेजों के समय में विश्व-युद्ध से लेकर आज तक गौरवशाली इतिहास रहा है। गोरखा रेजिमेंट के कारण चीन आज तक भारत से सीधा युद्ध करने से डरता रहा है। भारत सरकार के इस आत्मघाती कदम के कारण अब नेपाली गोरखा चीन की तरफ देखने लगेंगे जो कि भारत के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है क्योंकि अग्रिपथ योजना के तहत न तो उन्हें पेंशन मिलेगी और न ही अन्य सुविधाएं जो आज मिल रही हैं वो मिलेंगी। इसलिए केंद्र की भाजपा सरकार को अपने इस सैनिक विरोधी फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और अग्रिपथ जैसी घातक योजना लागू करने के बजाय सेना की नियमित भर्ती करनी चाहिए।

क्या है अग्निपथ योजना

भारत की तीन पराक्रमी सेनाओं(थल सेना, वायुसेना और नौसेना) में अब नए तरीके से युवाओं की भर्ती की जाएगी। 'अग्निपथ योजना' के तहत अब सेना में युवाओं को भर्ती किया जाएगा| इस योजना के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को 'अग्निवीर' के नाम से जाना जाएगा और जिनका सेवा काल 4 वर्ष का होगा।

30 हज़ार से लेकर 40 हज़ार रुपये तक मासिक वेतन

इस योजना के तहत साढ़े 17 से 21 वर्ष के ही युवा भाग ले सकते हैं। जिनका चयन तयशुदा सेना के भर्ती नियमों के तहत होगा जिसमें फिजिकल व मेडिकल टेस्ट(Physical And Medical Examination) होगा। अग्निपथ योजना के तहत नियुक्त सैनिकों को 'अग्निवीर' कहा जायेगा। जिनका सेवा काल 4 वर्ष रखा गया है। इन चार वर्षों में, उन्हें पहले साल 30 हज़ार रुपये प्रति महीना वेतन दिया जाएगा। जोकि चौथे साल 40 हज़ार रुपये प्रति महीना तक होगा।

अग्निवीर समूह फंड

वेतन के साथ अग्निवीरों को रिस्क(Risk), राशन(Ratio n), वर्दी व यात्रा भत्ता(Uniform and Travel Allowance) भी दिया जाएगा। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि सैनिक के वेतन में से 30 फ़ीसदी का योगदान अग्निवीर समूह फंड(Agniveer Group Fund) में और 30 फीसदी ही सरकार के तरफ से सेवा निधि में योगदान दिया जाएगा। जोकि 4 साल बाद 11.71 लाख रुपये एक मुश्त राशि के रूप में दिया जाएगा।

मृत्यु क्षतिपूर्ति(Death Compensation)

अग्निवीर को 48 लाख रुपये का गैर अंशदायी जीवन बीमा(Non Contributory Life Insurance) व सर्विस के दौरान मौत होने पर 44 लाख अतरिक्त अनुग्रह राशि(Ex gratia) यानी मुआवजा।

विकलांग होने पर मुआवजा

अग्निवीर अगर सर्विस के दौरान किसी हादसे में विकलांग हो जाता है तो उसे मेडिकल एग्जामिनेशन के बाद जारी किए गए सर्टिफिकेट के अनुसार मुआवजा दिया जाएगा।

100 फ़ीसदी विकलांग होने पर 44 लाख रुपये

75 फीसदी विकलांग होने पर 25 लाख रुपये

50 फ़ीसदी पर 15 लाख रुपये

इसके साथ ही 4 साल की सेवा के बाद अग्निवीरों को मेरिट व परफॉर्मेंस के आधार पर सेना के रिक्त पदों की भर्ती के लिए प्राथमिकता दी जाएगी। बता दें कि अग्निपथ योजना में सेवा दे चुके सैनिकों को पेंशन का लाभ नही मिलेगा

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