पूर्व सैनिकों को ही नहीं मिल रही सरकारी नौकरी,अग्निवीर को कैसे मिलेगी, संसद में पेश सरकारी आकड़े

सरकार ने 14 विपक्षी लोकसभा सदस्यों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह डेटा साझा किया। इन सांसदों ने 2014 से 2022 तक सरकारी नौकरियों में भर्ती हुए पूर्व सैनिकों की कुल संख्या का विवरण मांगा था। 
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मोदी
सरकार ने 14 विपक्षी लोकसभा सदस्यों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह डेटा साझा किया। इन सांसदों ने 2014 से 2022 तक सरकारी नौकरियों में भर्ती हुए पूर्व सैनिकों की कुल संख्या का विवरण मांगा था। सांसद विभिन्न सरकारी विभागों में पूर्व सैनिकों की भर्ती के लिए आरक्षण कोटा या लक्ष्य के बारे में भी जानना चाहते थे। 30 जून 2021 तक केंद्रीय सिविल सेवा और पदों (CCS&P) में भूतपूर्व सैनिकों का प्रतिनिधित्व ग्रुप-सी के पदों में 1.39 प्रतिशत और ग्रुप डी में 2.77 प्रतिशत था।

दिल्ली. एक तरफ जब अग्निपथ योजना को लेकर विवाद जारी है। इस बीच खुद सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं। जब सरकार भूतपूर्व सैनिकों को ही नौकरी नहीं दे पा रही है तो अग्नि वीरों को कैसे देगी। केंद्र सरकार द्वारा शुक्रवार को लोकसभा में साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार सरकारी नौकरियों में पूर्व सैनिकों की वार्षिक संख्या में पिछले सात वर्षों में भारी गिरावट देखी गई है। यह संख्या 2015 में 10,982 थी, जो 2021 में घटकर 2,983 हो गई है। लोकसभा में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट द्वारा एक लिखित उत्तर में साझा किए गए डेटा में 2014 से 2021 तक पूर्व सैनिकों की भर्ती का विवरण है। अग्निवीर विवाद के बीच यह आंकड़े चौंकाने वाले हैं।

सरकार ने 14 विपक्षी लोकसभा सदस्यों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह डेटा साझा किया। इन सांसदों ने 2014 से 2022 तक सरकारी नौकरियों में भर्ती हुए पूर्व सैनिकों की कुल संख्या का विवरण मांगा था। सांसद विभिन्न सरकारी विभागों में पूर्व सैनिकों की भर्ती के लिए आरक्षण कोटा या लक्ष्य के बारे में भी जानना चाहते थे। 30 जून 2021 तक केंद्रीय सिविल सेवा और पदों (CCS&P) में भूतपूर्व सैनिकों का प्रतिनिधित्व ग्रुप-सी के पदों में 1.39 प्रतिशत और ग्रुप डी में 2.77 प्रतिशत था।

2014 में सरकारी नौकरियों में केवल 2,322 पूर्व सैनिकों की भर्ती की गई थी। हालांकि 2015 में यह संख्या बढ़कर 10,982 हो गई। लेकिन उसके बाद से 2020 तक गिरावट देखने को मिली। सरकारी नौकरियों में भर्ती होने वाले सैनिकों की संख्या 2016 में घटकर 9,086 हो गई। 2017 में यह संख्या 5,638, 2018 में 4,175, 2019 में 2,968, और 2020 में 2,584 हो गई। हालांकि 2021 में यह थोड़ा बढ़कर 2,983 हो गई।

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में भूतपूर्व सैनिकों का प्रतिनिधित्व समूह A में 2.2 प्रतिशत, समूह B में 0.87 प्रतिशत और समूह C में 0.47 प्रतिशत था। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (सीपीएसयू) में उनका प्रतिनिधित्व समूह C में 1.14 प्रतिशत और समूह D में 0.37 प्रतिशत था। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में उनका प्रतिनिधित्व समूह C में 9.10 प्रतिशत और समूह D में 21.34 प्रतिशत था।

भूतपूर्व सैनिकों को केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों (सीसीएसएंडपी) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में ग्रुप C पदों पर सीधी भर्ती में 10 फीसदी और ग्रुप D पदों में 20 फीसदी आरक्षण है। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में उनका कोटा और भी अधिक है क्योंकि ग्रुप-C पदों में सभी सीधी भर्ती का 14.5 प्रतिशत और सभी सीधी भर्ती ग्रुप-D पदों में 24.5 प्रतिशत भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित हैं। 

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