महाराष्ट्र में 70-30 के फार्मूले पर सरकार चलाने पर मंथन
![एकनाथ](https://theinknews.com/static/c1e/client/96874/uploaded/7b6fdd2a11641e22a384a37682c54e4f.jpg)
दिल्ली. उद्धव ठाकरे को मात देने के बाद ED यानि एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस की सरकार ने एक दूसरे के साथ चलने के फार्मूले पर काम करना शुरू कर दिया है। आज पीएम मोदी के साथ और जेपी नड्डा से दोनों ने मुलाकात की। माना जा रहा है कि सरकार 70-30 के फार्मूले पर चलेगी। मतलब, डिप्टी सीएम समेत 70 फीसदी मंत्री सरकार में बीजेपी के होंगे। सीएम की कुर्सी मिलने के साथ 30 फीसदी मंत्री एकनाथ शिंदे के बनेंगे।
आज दिल्ली में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। उससे पहले दोनों भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनके आवास पर मिलने पहुंचे थे। दोनों ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से भी राष्ट्रपति भवन जाकर मुलाकात की। अमित शाह राजस्थान दौरे पर थे। उद्धव ठाकरे की रुखसती के बाद शिंदे ने सीएम की तो फडणवीस डिप्टी सीएम की शपथ ली है। लेकिन अभी तक मंत्रियों पर फैसला नहीं हो पाया है। खबर है कि दोनों के बीच सत्ता के बंटवारे का प्लान तो बन गया है लेकिन शिंदे गृह मंत्रालय अपने पास रखना चाहते हैं। बीजेपी को ये चीज रास नहीं आ रही है।
महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे को केवल इस वजह से सत्ता से हाथ धोना पड़ा क्योंकि गृह मंत्रालय पर उनकी पकड़ नहीं थी। उन्हें पता ही नहीं चला कि कब उनके अपने बेगाने होकर पहले सूरत और फिर गुवाहाटी जा बैठे।
सरकार चली गई। शरद पवार ने खुद गृह मंत्री को डांट पिलाकर पूछा कि इंटेलीजेंस क्या कर रही थी। इसमें कोई शक नहीं कि पुलिस पर पकड़ न होने की वजह से आदित्य ठाकरे और संजय राउत जैसे नेताओं को भी पता नहीं लगा कि शिवसेना में क्या हो रहा है। विधायक भागे तो सारे हैरत में रह गए। शिंदे इस बात को समझते हैं। वो नहीं चाहते, कि उद्धव सरीखा हाल उनका हो। लिहाजा वो होम पर अड़े हैं।
दिल्ली में देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि मैं शिंदे जी के साथ पूर्णरूप से हूं और मुख्यमंत्री ही नेता होता है। शिंदे जी हमारे नेता हैं और मुख्यमंत्री भी। हम उनके साथ काम करेंगे और इस सरकार को सफल बनाना हमारी प्राथमिकता है। उधर शिंदे ने कहा कि सूबे के विकास के लिए हमने ये सरकार बनाई है। जो काम 2.5 साल पहले होना था वो अब हुआ है।
उनका कहना था कि उद्धव से उन्होंने तीन बार कहा था कि बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना लो पर वो नहीं माने तो उन्हें अलग रास्ता चुनना पड़ा।