चिकन खुद ही फ्राई होने आ गया, सुब्रमण्यम स्वामी का कांग्रेस पर तंज

दिल्ली - भाजपा के पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट में कांग्रेस पर तंज कसते हुए लिखा कि चिकन खुद फ्राई होने घर तक आ गया है। उन्होंने कहा कि यूपीए के कार्यकाल के दौरान ईडी को मजबूत अधिकार दिया गया था। गौरतलब है कि ईडी द्वारा सम्मन भेजने और गिरफ्तारी करने के प्रावधानों के खिलाफ वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी समेत कई वकीलों ने विपक्ष का पक्ष रखा था।
ईडी को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बुधवार 27 जुलाई को दिए गये फैसले पर भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस पर तंज कसा है। दरअसल पीएमएलए एक्ट और ईडी के अधिकारों के खिलाफ दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने ED द्वारा सम्मन देने और बिना कारण बताए गिरफ्तारी के अधिकार को सही माना है।इस याचिका में PMLA एक्ट के कई प्रावधानों को कानून के खिलाफ बताया गया था। जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया है। उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय(ED) के सभी अधिकारों को बरकरार रखा है।
SC judgment on PMLA is a case of “Chickens coming home to roost” for PC, BC, etc..The ED was empowered by PC during UPA tenure.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) July 27, 2022
बता दें कि कोर्ट ने ईडी को गिरफ्तारी करने, सर्च और संपत्ति जब्त करने के अधिकार को सही माना है। अदालत ने कहा कि सम्मन जारी होने के स्तर पर व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 20(3) के तहत सुरक्षा का दावा नहीं कर सकता है। कोर्ट ने पीएमएलए की धारा 5, 8(4), 15, 17 और 19 के प्रावधानों की संवैधानिकता को बरकरार रखा है। ये प्रावधान ईडी की गिरफ्तारी, कुर्की, तलाशी और जब्ती की शक्तियों से संबंधित हैं।
अदालत ने माना कि ईडी अधिकारी “पुलिस अधिकारी” नहीं हैं और इसलिए अधिनियम की धारा 50 के अंतर्गत ईडी द्वारा दर्ज किए गए बयान संविधान के अनुच्छेद 20 (3) से प्रभावित नहीं हैं। जोकि आत्म-अपराध के खिलाफ मौलिक अधिकार की गारंटी देता है। कोर्ट ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को एफआईआर के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है और यह केवल ईडी का एक आंतरिक दस्तावेज है।याचिका में मांग की गई थी कि जांच एजेंसी को जांच करते समय सीआरपीसी का पालन करने के लिए बाध्य होना चाहिए। इसपर कोर्ट ने कहा कि इसके तहत आरोपी को ECIR की कॉपी देना ज़रूरी नहीं है।