20 दिन में मिलेगा कांग्रेस को नया अध्यक्ष, कमान सोनिया के पास रहेगी

2 कार्यकारी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बनेंगे, राहुल गांधी अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं 

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 अगले महीने 7 सितंबर से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा शुरू हो रही है। यह यात्रा कन्याकुमारी से शुरू होकर कश्मीर में खत्म होगी। अगले 6 महीने तक चलने वाली भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी शामिल होंगे। उनका पूरा ध्यान इसे सफल बनाने पर रहेगा।
अगले महीने 7 सितंबर से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा शुरू हो रही है। यह यात्रा कन्याकुमारी से शुरू होकर कश्मीर में खत्म होगी। अगले 6 महीने तक चलने वाली भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी शामिल होंगे। उनका पूरा ध्यान इसे सफल बनाने पर रहेगा।

नई दिल्ली-  कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर चल रही कश्मकश अगले 20 दिन में खत्म हो जाएगी। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर कर्नाटक से मल्लिकार्जुन खड़गे और केरल से रमेश चेनिथला का नाम सबसे आगे है।  दूसरा नाम रमेश चेनिथला का है। वे केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। राहुल गांधी ने साफ कर दिया अध्यक्ष बनने को तैयार नहीं हैं। पार्टी गांधी परिवार से बाहर किसी को नया अध्यक्ष चुने। उत्तर भारत से गहलोत और पायलट दोनों ताकतवर चेहरे हैं। गहलोत अनुभवी नेता है और केंद्र में कई बार मंत्री रह चुके हैं।कांग्रेस राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत या पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट में से किसी एक को कार्यकारी अध्यक्ष बनाना चाह रही है। 

1998 से 2017 तक पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी रहीं। 2019 के कांग्रेस लगातार दूसरी बार लोकसभा चुनाव हार गई। राहुल गांधी ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपना पद छोड़ दिया था। पिछले 24 साल से गांधी परिवार के पास ही कांग्रेस अध्यक्ष पद की कमान है। 2017 में राहुल गांधी को कमान दी गई। तब राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी।  2023 तक गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक सहित 11 राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। 2024 में लोकसभा चुनाव होंगे

 अगले महीने 7 सितंबर से कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा शुरू हो रही है। यह यात्रा कन्याकुमारी से शुरू होकर कश्मीर में खत्म होगी। अगले 6 महीने तक चलने वाली भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी शामिल होंगे। उनका पूरा ध्यान इसे सफल बनाने पर रहेगा।


एक कार्यकारी अध्यक्ष दक्षिण से और दूसरा उत्तर भारत से बनाए जाने की संभावना है।   इस फॉर्मूले पर पार्टी के भीतर सहमति बनती नजर आ रही है। नए फॉमूले के तहत अगले 5 साल के लिए सोनिया गांधी ही राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगी। उनके अंडर में दो कार्यकारी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बनाए जा सकते हैं। युवा चेहरे के तौर पर सचिन पायलट का नाम लिया जा रहा है। सचिन पायलट भी राजस्थान छोड़कर कार्यकारी अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं है। इसके बाद नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रक्रिया पूरी की जाएगी।


गहलोत या पायलट में से किसी एक के दिल्ली जाने से राजस्थान कांग्रेस का विवाद भी खत्म करने में मदद मिलेगी।अब देखना होगा कि कांग्रेस आलाकमान कार्यकारी अध्यक्ष पद के लिए गहलोत या पायलट में से किसे मना पाता है।  गहलोत तीन बार प्रदेश अध्यक्ष, तीन बार मुख्यमंत्री और कई राज्यों के प्रभारी भी रहे हैं।  मुख्यमंत्री का पद छोड़कर शायद ही वे दिल्ली जाएं। खड़गे अभी राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। वे गांधी परिवार के बेहद करीबी हैं और लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता रह चुके हैं। 

 

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अगर गांधी परिवार के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन होता है और उनके पास अध्यक्ष पद नहीं रहा, तो लोगों की सहानुभूति नहीं मिल पाएगी। आजादी के बाद पहली बार गांधी परिवार पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी है। नेशनल हेराल्ड मामले में ED सोनिया-राहुल से पूछताछ कर चुकी है। इसलिए कांग्रेस के सलाहकार गांधी परिवार को पार्टी की कमान अपने पास रखने की सलाह दे रहे हैं, ताकि उन पर कोई एक्शन हो तो कांग्रेस को उसका सियासी फायदा मिल सके।

भारत जोड़ो यात्रा 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से होकर निकलेगी। इस दौरान 3,500 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी।कांग्रेस ने उदयपुर संकल्प शिविर में दो अक्टूबर से यह यात्रा निकालने का फैसला लिया था। दो अक्टूबर को नवरात्र की सप्तमी पड़ रही है। इसे देखते हुए यात्रा तय तारीख से पहले निकाली जा रही है। 80 साल पहले महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था। इसने 5 साल बाद देश को आजादी दिलाई। उसी की तर्ज पर कांग्रेस कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है।

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2019 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई थी। कांग्रेस के भीतर ही एक खेमा राहुल गांधी का विरोध करता है। यह खेमा नहीं चाहता कि वे पार्टी के अध्यक्ष बने। अध्यक्ष बनते ही यह खेमा राहुल गांधी को निशाने पर लेना शुरू कर सकता है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार होते हुए भी बहुत कम सीटें आई थीं।पार्टी के प्रत्याशियों को जिताने पर उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी की 75वीं सालगिरह पर लाल किले से सीधे तौर पर भ्रष्टाचार के साथ-साथ परिवारवाद का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार देश को दीमक की तरह खोखला कर रहा है। उससे देश को लड़ना ही होगा।राजस्थान में तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत जोधपुर से अपनी सीट हार गए थे। इसके बाद राहुल गांधी ने कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) में सवाल उठाया था कि कई नेता अपने बेटों को चुनाव लड़ाने तक सीमित रहे।

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