नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने बारी समाज से मांगी माफी

महाराणा प्रताप को लेकर बयान पर झेल चुके हैं राजपूत समाज का विरोध
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कटारिया का कहना है कि कीरत-बारी समाज के विरोध के बाद उन्होंने इतिहास की किताबें खंगाली और पता चला कि कीरत काका बारी समाज से थे और बारी समाज का विरोध स्वाभाविक है। वह उनकी बात से सहमत है ओर संपूण कीरत और बारी समाज से माफी मांगते हैं।

उदयपुर- राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता गुलाबचंद कटारिया ने सोमवार को कीरत-बारी समाज से माफी मांगी है। नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने अपनी विवादित टिप्पणी पर एक बार फिर माफी मांगी है।  गोवर्धन सागर की पाल पर आयोजित पन्नाधाय मूर्ति अनावरण समारोह में कीरत बारी को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने इस बार माफी तो मांगी लेकिन वाल्मीकि समाज का जिक्र तक नहीं किया। उन्होंने माफीनामे में लिखा कि उनका उद्देश्य कीरत काका के मेवाड़ के लिए उनके योगदान को जन-जन तक पहुंचाना था लेकिन उन्होंने अभी तक विवादित नहीं रही कविता से यह तथ्य लिया था।

वाल्मीकि समाज ने 7 सितंबर तक की चेतावनी दी है। इधर, वाल्मीकि समाज का आक्रोश अब भी बना हुआ है। माफी पत्र में कटारिया बार-बार कवि मासूम की कविताओं का हलावा देते रहे। लेकिन वाल्मीकि समाज का इसमें कही कोई जिक्र नहीं किया गया।नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कीरत समाज को लिखे माफीनामे में कहा कि उदयपुर में पन्नाधाय उदयसिंह एवं चन्दन की प्रतिमा के लोकार्पण के समय पन्नाधाय एवं चंदन के बलिदान को तो हर व्यक्ति जानता है लेकिन इसके साथ मैंने कीरत काका जो उदय सिंह जी को टोकरे में रखकर झूठे पत्तल डालकर उन्हें सुरक्षित महल से बाहर ले जाने का कार्य किया वह वास्तव में मेवाड़ के स्वर्णिम इतिहास के रूप में जाना जाता है।

वाल्मीकि समाज ने 7 सितंबर तक की चेतावनी दी है। इधर, वाल्मीकि समाज का आक्रोश अब भी बना हुआ है। माफी पत्र में कटारिया बार-बार कवि मासूम की कविताओं का हलावा देते रहे। लेकिन वाल्मीकि समाज का इसमें कही कोई जिक्र नहीं किया गया।नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कीरत समाज को लिखे माफीनामे में कहा कि उदयपुर में पन्नाधाय उदयसिंह एवं चन्दन की प्रतिमा के लोकार्पण के समय पन्नाधाय एवं चंदन के बलिदान को तो हर व्यक्ति जानता है लेकिन इसके साथ मैंने कीरत काका जो उदय सिंह जी को टोकरे में रखकर झूठे पत्तल डालकर उन्हें सुरक्षित महल से बाहर ले जाने का कार्य किया वह वास्तव में मेवाड़ के स्वर्णिम इतिहास के रूप में जाना जाता है।वह उनकी बात से सहमत है ओर संपूण कीरत और बारी समाज से माफी मांगते हैं। उल्लेखनीय है कि उदयपुर में पन्नाधाय, उदय सिंह तथा चंदन की प्रतिमाओं का अनावरण रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिन किया था।

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कटारिया का कहना है कि कीरत-बारी समाज के विरोध के बाद उन्होंने इतिहास की किताबें खंगाली और पता चला कि कीरत काका बारी समाज से थे और बारी समाज का विरोध स्वाभाविक है।  नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने माफी तो मांगी लेकिन सिर्फ बारी समाज से ही। मैंने भी कीरत काका का वर्णन करते समय जो शब्द उपयोग किए वह मेवाड़ मे गाई जाने वाली कवि निरंजन मासूम की कविता पन्ना का बलिदान से लिया गया है। वाल्मीकि समाज को इस पत्र में नजरअंदाज रखा गया। ऐसे में कटारिया की मुसीबतें कम होती दिखाई नहीं दे रही है। इधर, माफीनामे के बाद भी कटारिया को लेकर वाल्मीकि समाज में आक्रोश शांत हो। इसके चांस कम हैं।


 

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