सपा के गढ़ में बीजेपी ने कैसे पलटी बाजी

लखनऊ - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जोड़ी ने एक बार फिर से कमाल कर दिखाया है। सपा के गढ़ में बीजेपी का कमल खिल गया है। उत्तर प्रदेश की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के परिणाम आ चुके हैं। रामपुर से धनश्याम लोधी और आजमगढ़ से दिनेश लाल निरहुआ ने जीत दर्ज की है।
आजमगढ़ लोकसभा सीट पर 13 साल बाद बीजेपी ने जीत का परचम लहराया है। निरहुआ ने सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को 8679 वोटों से शिकस्त दी है प्रदेश की दोनों सीटों पर बीजेपी ने ऐसे समय में जीत दर्ज की है, जब पार्टी के खिलाफ कई विवादितों मुद्दों को लेकर वर्ग विशेष से लेकर युवाओं में भारी नाराजगी देखी गई।
दरअसल, आजमगढ़ में इससे पहले साल 2009 में बीजेपी के रमाकांत यादव ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद बीजेपी को यहां वापसी करना मुश्किल होता चला गया, क्योंकि इस सीट पर 2014 में मुलायम सिंह यादव और 2019 में अखिलेश यादव की जीत ने भाजपा के संभलने तक का मौका नहीं दिया। 2019 में आजमगढ़ में मोदी लहर और निरहुआ के दिन रात प्रचार और जनसंपर्क के बावजूद निरहुआ हार का सामना करना पड़ा।
विवादितों मुद्दों के बीच BJP ने कैसे पलटी बाजी
बीजेपी ने आजमगढ़ का इतिहास ऐसे में समय में बदला जब पार्टी के खिलाफ अग्निपथ योजना को लेकर युवाओं के बीच काफी नाराजगी देखी गई। इसके अलावा योगी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई को लेकर वर्ग विशेष पहले से बीजेपी से नाराज चल रहा है। इन सब के उलट आए परिणाम ने राजनीतिक पंडितों को तो चौंका दिया है, बल्कि बीजेपी की रणनीति के सामने धराशाई हुए विपक्ष की भूमिका पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।
विवादित मुद्दों के बीच बीजेपी की यह पहली जीत नहीं
दरअसल, विवादित मुद्दों के बीच बीजेपी की यह पहली जीत नहीं है। इतिहास उठा कर देखा जाए तो बीते उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले भी बीजेपी ने अचानक नोटबंदी का ऐलान कर दिया था, जिसे लेकर विपक्ष ने भारी विरोध प्रदर्शन किया था। वहीं अब एक तरफ जहां बीजेपी ने अग्निपथ योजना का ऐलान किया है, जिसे लेकर युवाओं में नाराजगी है।
वहीं खुद पीएम मोदी ने डेढ़ साल में दस लाख नौकरियों की घोषणा कर दी है। पीएम मोदी के इस ऐलान न सिर्फ युवाओं में रोजगार को लेकर एक नई उम्मीद जगाई है, बल्कि अग्निपथ के खिलाफ गुस्से को भी डंडा करने का काम किया है। वहीं विपक्ष एक बार फिर बीजेपी सरकार के खिलाफ जनता को समझाने में असफल साबित हुआ है।