General Knowledge: कैसे होते हैं राज्यसभा के चुनाव, क्यों इसे चुनाव का सटीक तरीका बताया जाता है, आइए जानते हैं

क्यों राज्यसभा के चुनाव लोकसभा के चुनावों से अलग होते हैं, आइए जानिए सारे सवालों के जवाब
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GK OF ELECTION
सिंगल ट्रांस्फेरेबल वोट सिस्टम की शुरूआत 1851 में डेनमार्क हुई थी। इसे वोटरों की पसंद जानने का सबसे सटीक तरीका माना जाता है। इसमें सीटों के लिए ज़रूरी वोटों की गिनती करने के लिए एक सिद्धांत काम करता है। जिसे Droop फार्मूला कहा जाता है।

चंडीगढ़: जैसा कि आप सभी परिचित हैं कि भारतीय संसदीय प्रणाली(Indian Parliamentary System) ब्रिटेन से ली गई है जिसे वेस्ट मिनिस्टर मॉडल(West Minister Model) भी कहा जाता है, अब आप सोच रहे होंगें की ये वेस्ट मिनिस्टर क्या बला है! ये एक जगह का नाम है जहां ब्रिटेन की पार्लियामेंट की बिल्डिंग मौजूद है। ब्रिटेन(Britain) की पार्लियामेंट में भी दो हाउस हैं, एक हाउस ऑफ लॉर्ड्स(House of Lords), दूसरा हाउस ऑफ कॉमन्स(House of Commons)। भारत मे हाउस ऑफ लॉर्ड्स की तरह राज्यसभा(Rajyasabha) है और हाउस ऑफ कॉमन्स की तरह लोकसभा(Loksabha)।

लोकसभा के लिए हम सभी अपने अपने क्षेत्रों से चुनावों में बहुमत से जीताकर उमीदवार को दिल्ली में स्थित संसद में भेजते हैं जहां सभी सांसद मिलकर प्रधानमंत्री का चुनाव करते हैं। जिसे हम प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली(Direct Election System) कहते हैं। लेकिन आपको याद रहे कि राज्यसभा के चुनाव प्रत्यक्ष रूप से नहीं होते यानी उसमे आम जनता वोट नहीं करती बल्कि इसमें अप्रत्यक्ष चुनाव होते हैं। हमारे द्वारा चुने गए विधायक राज्यसभा के सदस्यों को वोट देते हैं। बता दें कि राज्यसभा के चुनावों में सिर्फ़ राज्यों के विधानसभा के सदस्य व केंद्र शासित(UT) प्रदेश जहां विधानसभा(Legislative Assembly) है जैसे कि दिल्ली व पांडुचेरी, के सदस्य वोट डाल सकते हैं। इस चुनाव में विधानपरिषद( Legislative Council)के सदस्य हिस्सा नहीं ले सकते।


हमारे सविंधान(Constitution) में राज्यसभा के लिए 250 सीटों का प्रावधान है लेकिन वर्तमान में 245 ही सीटें हैं बाकी की 5 सीटें पाक अधिकृत कश्मीर(POK) व अक्साई चीन(Aksai Chin) के भारत मे शामिल होने पर वहां के प्रतिनिधियों के लिए रखी गई हैं।

राज्यसभा की 254 सीटों में 12 सीटें कला(Art) विज्ञान(साइंस), साहित्य(Literature) व समाज सेवा(Social Science) की पृष्टभूमि के लोगों के लिए रखी गई हैं जिन्हें कॉउन्सिल ऑफ मिनिस्टर(Council of Minister) की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। जबकि 233 सीटों के लिए चुनाव करवाया जाता है। इन 245 सीटों में से एक तिहाई सीटों के लिए हर 2 साल में चुनाव होते हैं। प्रत्येक सदस्य को 6 साल के लिए चुना जाता है।

अब आइए हरियाणा में, हमारे यहां राज्यसभा की 5 सीटें हैं। जिसमें से अबकी बार 2 सीटों पर चुनाव हुए हैं। राज्यसभा के चुनाव अप्रत्यक्ष(Indirect election), सिंगल ट्रांस्फेरेबल वोट(Single Transferable Vote) एवं अनुपातिक प्रतिनिधित्व (Proportional Representation) तरीके से होते हैं।

अप्रत्यक्ष चुनाव म बारे में आप ऊपर पढ़ चुके हैं अब बात आती है, अनुपातिक प्रतिनिधित्व की, सविंधान में आबादी के हिसाब से राज्यसभा की सीटों को लेकर बंटवारा किया गया है यानी जिसकी जितनी भागीदारी उसकी उतनी हिस्सेदारी।

अब आसान भाषा मे समझिए, क्या है Single Transferable Vote सिस्टम

सिंगल ट्रांस्फेरेबल वोट सिस्टम की शुरूआत 1851 में डेनमार्क हुई थी। इसे वोटरों की पसंद जानने का सबसे सटीक तरीका माना जाता है। इसमें सीटों के लिए ज़रूरी वोटों की गिनती करने के लिए एक सिद्धांत काम करता है। जिसे Droop फार्मूला कहा जाता है। इसके तहत एक निश्चित संख्या निकलती है जिसे Droop Quota कहा जाता है। जो भी उम्मीदवार उस कोटा को पूरा कर लेता है उसे विजेता घोषित किया जाता है। 

इसको हरियाणा के संदर्भ में समझने की कोशिश करते हैं। हरियाणा में अबकी बार 2 सीटों पर चुनाव हुआ। Droop formula के तहत इन 2 सीटों में 1 जोड़ कर उसको कुल विधानसभा की सीटों से भाग किया जाता है और फिर जो रिजल्ट आता है उसमें 1 फिर से जोड़ दिया जाता है। यानी कि 2 सीट हैं उसमें 1 जोड़ दिया जाए तो 3 हो जाएगा। फिर इस 3 को कुल विधानसभा की सीट 90 से भाग दिया जाता है। उससे हमे हासिल हुआ 30, इस 30 मे 1 जोड़ दिया जाए तो 31 वो निश्चित कोटा निकल कर आता है। इस कोटा को हासिल करने वाले उम्मीदवार की जीत होती है।

सिंगल ट्रांस्फेरेबल वोटिंग सिस्टम में प्रत्येक वोट को 1000 पॉइंट के साथ गुणा किया जाता है यानी 31 हज़ार पॉइंट प्राप्त करने वाला ही उम्मीदवार जीतेगा।

इस सिस्टम में वोटिंग करने वाले सदस्य को बैलेट पेपर दिया जाता है। उस बैलेट पेपर में वोटर मौजूद उम्मीदवारों को अपनी पसंद के हिसाब से नम्बर देता है। जैसे कि हरियाणा में तीन उम्मीदवार है। बीजेपी की तरफ से कृष्णा पंवार, कांग्रेस से अजय माकन, व निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा। अब बीजेपी के पास 40 विधायक हैं, ऐसे में Droop Quota 31 है तो बीजेपी के उम्मीदवार कृष्ण पंवार निर्विरोध से जीत जाएंगे। अब असली खेल शुरू होता है, बीजेपी के बाक़ी 9 विधायकों के वोट ख़राब नही होंगे। बाकी के 9 विधायकों के वोट किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को ट्रांसफर हो सकते हैं। जैसे कि हरियाणा में बीजेपी ने निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया है ,ऐसे में बीजेपी के 9 विधायक और गठबंधन में जेजेपी के 10 विधायक ,7 निर्दलीय विधायक व हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा समेत 28 विधायक कार्तिकेय शर्मा के लिए वोट करेंगे। लेकिन कांग्रेस के पास 31 विधायक हैं और जीत के लिए उनको 30 वोट ही काफ़ी है ऐसे में दूसरी सीट कांग्रेस के खाते में जाएगी।

अब आते हैं उस स्थित पर जहां पेंच फंसता है।

इसमें दो स्थिति ऐसी हैं जहां दिक्कत हो सकती है। वह ये की अगर किसी को भी पहली पसंद के तौर पर Droop Quota न मिले तो? उस स्थिति में सभी वोटर द्वारा दूसरी पसंद को चेक किया जाएगा यानी अगर हरियाणा में तीनों उम्मीदवारों को बहुमत नही मिलता है तो उन सभी वोटरों की दूसरी पसंद को चेक किया जाएगा अगर दूसरी पसंद के तौर पर 31 विधायकों ने कार्तिकेय शर्मा को बैलेट पेपर में जगह दी है, तो वो राज्यसभा के लिए चुन लिए जाएंगे।

दूसरी स्थिति ये की अगर कुछ वोटरों के वोट रद्द हो जाएं या उन्होंने वोट ही नही किया तो?.ऐसे में अगर कांग्रेस के 3 वोट रद्द हो जाते हैं तो Droop Formula के आधार पर हम (87/2+1)+1 करेंगे यानी (87/3)+1=30, अब Droop कोटा 30 हो जाएगा जोकि पहले 31 था। अब बीजेपी के पास 40 सीट हैं तो उनके 10 वोट ट्रांसफर होंगें+जेजेपी के 10 वोट+7 निर्दलीय+गोपाल कांडा का 1 वोट। ऐसे में कार्तिकेय को 29 वोट मिल गए। अब बात कांग्रेस की उनके 3 वोट रद्द हो गए थे तो उनके पास अब 27 वोट ही बचे। ऐसे में कांग्रेस हार जाएगी और कार्तिकेय दूसरी सीट पर जीत जाएंगे।

इसे Open Ballot System भी कहते हैं

राज्यसभा चुनाव के लिए Single Vote Transfer system को Open Ballot System भी कहते हैं। यानी वोटिंग के दौरान सभी उम्मीदवारों की तरफ से अधिकृत पोलिंग एजेंट(Authorized Polling Agent) नियुक्त किया जाता है। जो भी विधायक किसी भी उम्मीदवार को बैलेट पेपर के जरिये वोट देगा। उसको अपना बैलेट पेपर पोलिंग एजेंट को दिखाना पड़ेगा। अगर वह विधायक बैलेट पेपर को नही दिखाता है या किसी अन्य एजेंट को दिखाता है तो उसका वोट रद्द कर दिया जाएगा।

अब आप सोच रहे होंगे कि क्रोस वोटिंग हुई तो मतलब अगर बीजेपी के विधायक ने कांग्रेस के उम्मीदवार को अपनी पहली पंसद के तौर पर बैलेट पेपर में लिखा होगा तो? घबराइए मत Representation of People Act 1951 के सेक्शन 62(5) के मुताबिक उसकी विधायकी रद्द नही होगी। हां!. वो बात अलग है कि पार्टी उसे अगले चुनाव में वोट दे या न दे। उसे पार्टी की अनुशासनात्मक कार्यवाही के अंतर्गत जरूर बख्शा नहीं जाएगा।

क्या कोई भी राज्यसभा के उम्मीदवार बन सकता है

नहीं! अगर आप राज्यसभा का उम्मीदवार बनना चाहते हैं तो आपके उस राज्य की विधानसभा के 10 फीसदी विधायकों की तरफ से प्रस्ताव पत्र निर्वाचन आयोग में जमा करवाना होगा या कम से कम 10 विधायक जो भी कम हों।
यानी अगर आप हरियाणा से राज्यसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं तो आपको कम से कम विधायकों की तरफ से प्रस्ताव पत्र देना होगी क्योंकि हरियाणा में विधानसभा की सीटें 90 हैं ऐसे में 10 फ़ीसदी विधायकों में 9 विधायक हो मिल पाएंगे।

जमानत कितनी भरनी होती है

राज्यसभा के चुनाव के लिए सामान्य वर्ग(Gerenal Category) या ओबीसी(Other Backward Class) वर्ग के उम्मीदवार को 10 हज़ार रुपये व अनुसूचित जाति(SC) व जनजाति(ST) के उम्मीदवार को 5 हज़ार रुपये निर्वाचन आयोग(Election Commission) में जमानत के तौर पर जमा करवाने होते हैं।

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