"राम सेतु तो ताजमहल से भी पुरानी मोहब्बत की निशानी है", सुब्रमण्य स्वामी बोले जीर्णोद्धार जरूरी

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने राम सेतु को ताजमहल से पुरानी मोहब्बत की निशानी बताया है
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रामसेतु
सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट करते हुए रामसेतु की अलग तरह से एक नई व्याख्या की है। दरअसल स्वामी ने अपने ट्विट में लिखा है, "मेरे एक परिचित नवविवाहित जोड़े ने ताजमहल घूमने के बाद मुझसे मुलाकात की और जब हम बातचीत कर रहे थे उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं राम सेतु को पुन: स्थापित करने के लिए क्यों बल दे रहा हूं। तब मैंने उनसे कहा कि राम सेतु तो ताजमहल से भी ज्यादा पुरानी मोहब्बत की कहानी है। मैंने उनसे पूछा कि वे पहले राम सेतु क्यों नहीं गए?"

दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने राम सेतु को ताजमहल से पुरानी मोहब्बत की निशानी बताया है। स्वामी का मानना है कि जिस तरह मुगल बादशाह शाहजहां ने ताजमहल मुमताज की मोहब्बत में बनवाया, ठीक उसी तरह ताजमहल बनने से सदियों पहले प्रभु श्रीराम ने माता सीता के प्रेम में राम सेतु का निर्माण कराया था। ताजा मामले में सुब्रमण्यम स्वामी ने एक ट्वीट करते हुए रामसेतु की अलग तरह से एक नई व्याख्या की है। दरअसल स्वामी ने अपने ट्विट में लिखा है, "मेरे एक परिचित नवविवाहित जोड़े ने ताजमहल घूमने के बाद मुझसे मुलाकात की और जब हम बातचीत कर रहे थे उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं राम सेतु को पुन: स्थापित करने के लिए क्यों बल दे रहा हूं। तब मैंने उनसे कहा कि राम सेतु तो ताजमहल से भी ज्यादा पुरानी मोहब्बत की कहानी है। मैंने उनसे पूछा कि वे पहले राम सेतु क्यों नहीं गए?


"स्वामी साल 2017 से राम सेतु को भारत की ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्मारक घोषित करवाने की मुहिम चला रहे हैं और इसके लिए वो सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटा चुके हैं। यही नहीं साल  2018 में स्वामी ने रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट में गये थे।

वहीं परियोजना पर विवाद के बाद केंद्र सरकार ने राम सेतु पर अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सेतु समुद्रम परियोजा और राम सेतु के बारे में कहा है कि समुद्र में जहाजों की आवाजाही को आसान बनाने के लिए प्रस्तावित सेतुसमुद्रम परियोजना शुरू की गई है। इसके लिए राम सेतु को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। सरकार ने कहा है कि परियोजना के लिए सरकार कोई दूसरा वैकल्पिक रास्ता तलाशेगी।

राम सेतु का मामला पहली बार तब चर्चा में आया था जब मनमोहन सिंह की पहली यूपीए सरकार में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करते हुए राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का मुद्दा उठाया था। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने साल 2007 में राम सेतु पर परियोजना पर हो रहे काम पर रोक लगा दी गई।उसके बाद से ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और सुब्रमण्यम स्वामी काफी मुखर होकर राम सेतु की पैरवी कर रहे हैं और इसे राष्ट्रीय महत्व का दर्जा दिलाने के लिए लगातार कानूनी संघर्ष कर रहे हैं।

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