एकनाथ शिंदे गुट को सुप्रीम कोर्ट से राहत, अयोग्य ठहराने पर लगी 11 जुलाई तक रोक

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे पक्ष और एकनाथ शिंदे गुट के बीच तनातनी बढ़ गई है. मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है.
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उद्धव- शिंदे
महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी राहत दी है. शिंदे गुट की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के नोटिस पर रोक लगाते हुए बागी विधायकों को अयोग्यता पर जवाब देने के लिए और मोहलत दे दी है.

नई दिल्ली - महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और 15 अन्य बागी विधायकों ने अयोग्यता नोटिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की थी जिस पर आज सुनवाई हुई. याचिका में विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने और डिप्टी स्पीकर नरहरि जरवाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे.

अदालत ने इस मामले को लेकर महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर (Maharashtra Deputy Speaker), महाराष्ट्र राज्य विधानसभा के सचिव, केंद्र और अन्य को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना नेता अजय चौधरी, सुनील प्रभु को भी नोटिस जारी कर पांच दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट अब इस मामले में 11 जुलाई को सुनवाई करेगा

सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही डिप्टी स्पीकर को जवाब देने के लिए दिया गया समय 11 जुलाई शाम 5.30 तक के लिए बढ़ा दिया है. सुप्रीम कोर्ट दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें डिप्टी स्पीकर नरहरी जिरवाल द्वारा अजय चौधरी को शिंदे के स्थान पर शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में मान्यता देने और शिंदे और 15 विधायकों को अयोग्यता नोटिस देने के फैसले को चुनौती दी गई थी.

कोर्ट में एकनाथ शिंदे गुट के वकील नीरज कौल ने दलील रखते हुए कहा कि स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लंबित हो तो उन्हें विधायकों की अयोग्यता पर विचार नहीं करना चाहिए. नोटिस जारी करें तो उसके जवाब के लिए पर्याप्त समय देना चाहिए. बता दें कि डिप्टी स्पीकर ने शिवसेना के 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी कर आज शाम तक जवाब मांगा था.

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से बागी विधायकों या किसी भी नागरिक (यानी बागी विधायकों के समर्थक) की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा. राज्य सरकार ने कहा कि वह 39 बागी विधायकों और उनके परिवार के सदस्यों के जीवन और संपत्तियों की रक्षा के लिए तत्काल और पर्याप्त उपाय करेगी.

सुनवाई के दौरान जस्टिस ने पूछा कि आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए तो शिंदे के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि कानून हमें सुप्रीम कोर्ट आने से नहीं रोकता. पहले भी ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं. उन्होंने आगे कहा कि जो लोग अल्पमत में हैं, उन्होंने व्यवस्था पर कब्जा कर रखा है. हमें जान की धमकी दी जा रही है. हमारी लाश लौटेगी, जैसी बातें कही जा रही हैं.

कौल ने कहा कि जिस स्पीकर को बहुमत का समर्थन हो, वह फ्लोर टेस्ट से क्यों डरेगा?  इसके साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा नियमावली के नियम 11 का भी पालन नहीं किया गया. 14 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए था. फिर नोटिस को विधानसभा में आगे विचार के लिए रखा जाना चाहिए था.

गौरतलब है कि शिवसेना के अनुरोध पर डिप्टी स्पीकर ने शिंदे और अन्य 15 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया था और 27 जून शाम तक जवाब दाखिल करने को कहा था. शिवसेना ने 16 बागी विधायकों को निलंबित करने का डिप्टी स्पीकर से अनुरोध किया था. इस नोटिस को लेकर एकनाथ शिंदे और 15 अन्य बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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