युवा सिर्फ दरी बिछाने, नारे लगाने के लिए नहीं उन्हें आगे लाना होगा - सचिन पायलट

आजकल कितना आईटी का जमाना हो, नेता रातों रात नहीं बनता
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मेरे अध्यक्ष रहते हुए मैंने जितने भी चुनाव लड़े सब में बीजेपी को हराया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे(Vasundhara Raje) के पास 163 विधायक थे. 5 साल मैंने राजे को चैन से नहीं रहने दिया. जब जब राजे सरकार ने जनहित में काम नहीं किया हमने सड़कों पर उतरकर विरोध किया. मैं तो बीजेपी के खिलाफ लड़ता आया हूं - सचिन पायलट

जयपुर - राजस्थान कांग्रेस में सीएम पद की रेस में सबसे आगे व दिग्गत नेता सचिन पायलट उस वक्त सुर्खियों में आये थे जब उन्होंने कांग्रेस के डिप्टी सीएम(Former Deputy CM Rajasthan) पद से इस्तीफा दे दिया था और सरकार में उनकी सुनवाई नहीं होने की बात कही थी. जिसको भुनाते हुए बीजेपी व मीडिया ने उनकी बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई थी. हालांकि सचिन पायलट(Sachin Pilot) सरकार में तो नहीं लेकिन पार्टी में जरूर बने रहे और बीजेपी में शामिल होने की बातों को सिरे से नकार दिया था.

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अब हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें निक्कमा और नकारा तक कह दिया था. लेकिन पार्टी के सबसे बड़े चेहरे व पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी(Rahul Gandhi) ने मंच पर उनके धैर्य की सराहना की तो उनकी देशभर में तारीफ भी हुई थी. गुरुवार, 27 जुलाई को राजस्थान की राजधानी जयपुर में टॉक जर्नलिज्म सेमिनार(Talk Journalism Seminar) में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने राजनीति और कांग्रेस के बारे में खुल कर बातें की. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि राजस्थान में सरकार रिपीट नहीं हो सकती. उन्होंने अपने इस्तीफे, राहुल गांधी के पेशेंस वाले बयान पर और राजनीति में युवाओं की भूमिका को तरजीह दी.

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सचिन पायलट ने कहा 2023 कि विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार रिपीट करने के लिए अलग काम करने की सलाह दी है. पायलट ने कहा, "राजस्थान में साल 1998 से सरकार रिपीट नहीं होने का सिलसिला चलता आ रहा है. ऐसा नहीं है कि सरकारें रिपीट नहीं हो सकती. दिल्ली में शीला दीक्षित के समय 3 बार सरकार बनी. हरियाणा में 2 बार हुड्डा ने और तरुण गोगोई ने असम में 2 बार सरकार बनाई. मैंने पार्टी लेवल पर विस्तार से बात रखी है. हमारे पास अच्छा मौका है, अभी 15 महीनें बचे हुए हैं. उसमे हम कुछ ऐसा करें कि लोगों का विश्वास जीता जा सके. इसके लिए जो कुछ करना है वह पार्टी के अंदर की बात है. इसके बारे में डेढ़ साल पहले मैंने रूपरेखा बनाकर दी है, उस रास्ते पर हम चल भी रहे हैं. कुछ कदम उठाए गए हैं."

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पत्रकारों से बातचीत करते हुए एक सवाल के जवाब में पायलट ने कहा, "मेरे अध्यक्ष रहते हुए मैंने जितने भी चुनाव लड़े सब में बीजेपी को हराया है. तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे(Vasundhara Raje) के पास 163 विधायक थे. 5 साल मैंने राजे को चैन से नहीं रहने दिया. जब जब राजे सरकार ने जनहित में काम नहीं किया हमने सड़कों पर उतरकर विरोध किया. मैं तो बीजेपी के खिलाफ लड़ता आया हूं. अगर बीजेपी को लगता है कि जनता उनकी जेब में है तो उनकी यह गलतफहमी है. आप डिलीवर नहीं करोगे तो लोग आपको वोट नहीं देंगे."

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राहुल गांधी द्वारा पेशेंस की तारीफ पर सवाल के जवाब में सचिन पायलट ने कहा,"कोई आपकी गुणों की तारीफ़ करता है तो ये अच्छी बात है. पेशेंस इसलिए भी जरूरी है कि मैं विश्वास करता हूं कि अगला चुनाव जीतने के बारे में पार्टी ने मेरे सुझावों को बहुत अच्छी तरफ से लिया है. हमारे पूरे कुनबे का सामूहिक उद्देश्य यही है कि राजस्थान में फिर से सरकार कैसे बनाएं. पायलट ने कहा,"जनवरी 2014 में मैं राजस्थान कांग्रेस का अध्यक्ष बना था. 3 महीने बाद ही लोकसभा चुनाव थे. जिनमें से हम सभी सीटें हार गए, मैं भी हार गया था. इस हार की जिम्मेदारी लेते हुए मैंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को इस्तीफा दे दिया था. लेकिन उन्होंने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. सोनिया गांधी(Sonia Gandhi) ने कहा कि अध्यक्ष बने हुए अभी दो महीने हुए हैं. जाकर राजस्थान में पार्टी को नए सिरे से खड़ा कीजिए. उसके बाद सोनिया गांधी से आशीर्वाद लेकर मैंने पूरी ताकत से काम करना शुरू ​किया. इस्तीफे की यह बात मैंने किसी को नहीं बताई थी. मुझे जिन विकट हालात में पार्टी ने जिम्मेदारी दी, मैंने पांच साल ताकत लगाकर काम किया."

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पूर्व डिप्टी सीएम सचिन ने कहा, "समय से पहले और किस्मत से ज्यादा किसी को मिलता नहीं है. व्यक्ति को महत्वाकांक्षी होना चाहिए. अगर आप मे जील नहीं है, टीस नहीं है, भूख नहीं है खुद को साबित करने की या कुछ कर गुजरने की तो जीवन मे रस नहीं होगा. सब कुछ पद से नहीं नापा जाता. आपने लोगों के दिलों पर छाप छोड़ी या नहीं यह अहम है. पायलट ने कहा, "समय किसी के लिए नहीं रुकता. हमें समय के साथ चलना पड़ता है. आजकल कितना आईटी का जमाना हो, नेता रातों रात नहीं बनता. एक प्रोसेस से गुजरना पड़ता है, 15 साल लगते हैं. मुझे 26 की उम्र में MP का टिकट दिया, मैं कम उम्र में अध्यक्ष बन गया."

उन्होंने बताया, "मेरे अध्यक्ष रहते जब निकाय चुनाव हुए, तब मैंने फोर्टी बिलो फोर्टी(40 below 40) का नारा दिया था, जिसमें 40 फीसदी टिकट 40 से कम उम्र के नेताओं को दिया गया. युवाओं को केवल नारे लगवाने या दरी-पट्टी बिछाने के काम में ही नहीं, उन्हें आगे भी लाना होगा, तभी नई युवा लीडरशिप विकसित होगी.

 

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