कोई झंडा फहराने के लिए घर मांग रहा है, उद्धव का पीएम पर तंज

शिवसेना चीफ ने कहा कि कहीं हम फिर से विदेशी शासन की तरफ तो  नहीं बढ़ रहे।
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Uddhav
दिवंगत बाला साहेब ठाकरे की मैगजीन मार्मिक की 62वीं सालगिरह पर वर्कर्स से शिवसेना चीफ ने कहा कि कहीं हम फिर से विदेशी शासन की तरफ से नहीं बढ़ रहे। उनका कहना था कि इस सवाल का जवाब देने की जरूरत है। कहीं पर भी बोलने तक की आजादी नहीं है। ध्यान रहे कि मार्मिक 13 अगस्त 1960 में बाला साहेब ने शुरू की थी। फ्री प्रेस जर्नल से कार्टूनिस्ट की नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने अपने भाई श्रीकांत के साथ इसे शुरू किया था। उनके भाई मैगजीन के को फाउंडर थे।

मुंबई. बाला साहेब ठाकरे की मैगजीन मार्मिक की 62वीं सालगिरह पर वर्कर्स से शिवसेना चीफ ने कहा कि कहीं हम फिर से विदेशी शासन की तरफ से नहीं बढ़ रहे। उनका कहना था कि इस सवाल का जवाब देने की जरूरत है। कहीं पर भी बोलने तक की आजादी नहीं है। ध्यान रहे कि मार्मिक 13 अगस्त 1960 में बाला साहेब ने शुरू की थी। फ्री प्रेस जर्नल से कार्टूनिस्ट की नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने अपने भाई श्रीकांत के साथ इसे शुरू किया था। उनके भाई मैगजीन के को फाउंडर थे।

मोदी सरकार के हर घर तिरंका कैंपेन पर तंज कसते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा है कि हर जगह इसकी धूम देखी जा रही है। लेकिन उन्हें कुछ ऐसे मैसेज भी मिले जिसमें एक बंदा तिरंगा फहराने के लिए घर की मांग कर रहा है। उनका कहना था कि आजादी का अमृत महोत्सव अमृत सरीखा रहना चाहिए। बीजेपी सरकार पर प्रहार करते हुए वो बोले कि ये मृत लोकतंत्र नहीं होना चाहिए।उद्धव ने कहा कि हमें मुंबई मिली लेकिन मराठी लोगों के साथ आज भी भेदभाव हो रहे है। मार्मिक में इसे कार्टून के जरिये दर्शाया गया है।

उन्होंने 1978 के एक वाकये को याद किया जब बाला साहेब ने एक कार्टून के जरिये तत्कालीन पीएम मोरारजी देसाई पर निशाना साध कहा था कि उनके जैसे शख्स का पीएम बनना देश के लोकतंत्र को अंधेरे की तरफ धकेलता जा रहा है।अग्निपथ स्कीम पर कटाक्ष कर उद्धव बोले कि अगर हम सेना की संख्या को घटाने जा रहे हैं तो हमें भारत माता की जय बोलने का हक नहीं है। सेना का जवान ही हमारी रक्षा के लिए सीमा पर हमेशा चाकचौबंद रहता है। हम तो केवल झंडा की फङरा सकते हैं। वो जवान ही है जो हमारी रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहता है।शिंदे सरकार पर वार कर उन्होंने कहा कि हर मंत्री आजाद है क्योंकि उसके पास काम ही नहीं है।

कार्टूनिस्ट डेविड लोवे को याद कर उन्होंने कहा कि उनकी कलम हिटलर के बम से ज्यादा धमाकेदार थी। देश अगर गुलामी की तरफ जा रहा है तो कार्टूनिस्ट को अपनी कला से सिस्टम पर नजर रखनी चाहिए।

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