बीजेपी नेताओं से बात क्या कर ली, मेरा फोन ही डायवर्ट कर दिया गया- उपराष्ट्रपति उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा

मार्गरेट अल्वा ने आरोप लगाया है कि उन्होंने भाजपा नेताओं से बात क्या कर ली, उनका फोन डायवर्ट कर दिया गया है।
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मार्ग्रेट अल्वा
मार्गरेट अल्वा ने BSNL का एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा कि “प्रिय बीएसएनएल/एमटीएनएल, आज बीजेपी में कुछ दोस्तों से बात करने के बाद, मेरे मोबाइल पर सभी कॉल डायवर्ट की जा रही हैं और मैं कॉल करने या रिसीव करने में असमर्थ हूं। अगर आप फोन को रिस्टोर करते हैं। मैं वादा करती हूं कि आज से बीजेपी, टीएमसी या बीजेडी के किसी भी सांसद को कॉल नहीं करूंगी।”

दिल्ली.  एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया गया है जबकि विपक्ष की तरफ से मार्गरेट अल्वा को उम्मीदवार घोषित किया गया है। अब मार्गरेट अल्वा ने आरोप लगाया है कि उन्होंने भाजपा नेताओं से बात क्या कर ली, उनका फोन डायवर्ट कर दिया गया है।

मार्गरेट अल्वा ने BSNL का एक स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए लिखा कि “प्रिय बीएसएनएल/एमटीएनएल, आज बीजेपी में कुछ दोस्तों से बात करने के बाद, मेरे मोबाइल पर सभी कॉल डायवर्ट की जा रही हैं और मैं कॉल करने या रिसीव करने में असमर्थ हूं। अगर आप फोन को रिस्टोर करते हैं। मैं वादा करती हूं कि आज से बीजेपी, टीएमसी या बीजेडी के किसी भी सांसद को कॉल नहीं करूंगी।”


मार्गरेट अल्वा के इस ट्वीट पर लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। जीतेन्द्र सिंफ्ह शेरावत नाम के यूजर ने लिखा कि ‘राष्ट्रपति चुनाव में श्रीमती मुर्मू जी की उम्मीदवारी को आदिवासी व महिला सशक्तिकरण से जोड़ने वाला कदम बताने वाली मीडिया उपराष्ट्रपति चुनाव में श्रीमती अल्वा जी की उम्मीदवारी पर चुप क्यों है. क्या वो नही चाहते की देश को पहली महिला उपराष्ट्रपति मिले जो अल्पसंख्यक वर्ग से भी है?’

रंजन नाम के यूजर ने लिखा कि ‘क्या आप अभी भी एमटीएनएल का उपयोग कर रही हैं, आपको “पदम श्री” पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए। एमटीएनएल दिल्ली की मेरी लैंडलाइन पिछले 5 वर्षों से काम नहीं कर रही है। दिल्ली में ऑफिस एक या दो कर्मचारियों के साथ भुतिया जगह जैसा दिखता है।’ बालचंद्रन नाम के यूजर ने लिखा कि ‘उन्हें ब्लॉक क्यों करना चाहिए? बीएसएनएल पहले से ही संकट में है और 5जी के लिए अनुमति नहीं है लेकिन यह सब हो क्यों रहा है?’

बता दें कि देश के अगले उपराष्ट्रपति को चुनने के लिए 6 अगस्त को वोटिंग होने वाली है। उसी दिन वोटों की गिनती भी हो जाएगी और चुनाव के नतीजे भी आ जाएंगे लेकिन अगर सत्ता पक्ष और विपक्ष किसी एक नाम पर सहमति दे देता है तो फिर वोटिंग की जरूरत नहीं पड़ती और आम सहमति से उपराष्ट्रपति चुन लिया जाता है। हालांकि इस बार इसके आसार बेहद कम नजर आ रहे हैं।

मार्गरेट अल्वा को संवैधानिक पद पर रहने का अनुभव है। अल्वा गोवा की 17वीं राज्यपाल, गुजरात की 23वीं राज्यपाल के रूप में कार्य किया है। उन्होंने राजस्थान की 20वीं और उत्तराखंड की चौथी राज्यपाल के तौर पर भी काम किया है। अब विपक्ष की तरफ से उन्हें उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया है। 

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