आखिर क्यों मुस्लिम सांसदों को किनारे कर रही है भाजपा ?

दिल्ली. भाजपा को पहले ही हिंदुओं की पार्टी कहा जाता है बीजेपी पर मुस्लिम विरोधी पार्टी होने का ठप्पा लगा हुआ है और बीजेपी इससे मुक्त भी होना नहीं चाहती, शायद यही वजह है कि बीजेपी ने अपने आप को संसद में पूरी तरह 'मुस्लिम मुक्त' बना लिया है. 10 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी के उम्मीदवारों में एक भी मुसलमान नहीं है. बीजेपी ने राज्यसभा में मौजूद अपने तीन मुस्लिम सांसदों में किसी को भी दोबारा मौका नहीं दिया. यहां तक की मोदी सरकार में एकमात्र मुस्लिम चेहरा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी का भी पत्ता साफ कर दिया गया है।
नकवी के अलावा पूर्व विदेश राज्य मंत्री और जाने-माने पत्रकार रहे एमजे अकबर के साथ ही बीजेपी प्रवक्ता सैयद जफर इस्लाम का भी राज्यसभा से पत्ता साफ कर दिया गया है। अब राज्यसभा में बीजेपी का एक भी मुस्लिम सांसद नहीं होगा. बीजेपी लोकसभा में तो 2014 में ही मुस्लिम मुक्त हो गई थी. अब वह राज्यसभा में भी इसी राह पर है। अब संसद में बीजेपी पूरी तरह 'मुस्लिम मुक्त' हो गई है।
बीजेपी का यह कदम संसद में मुसलमानों की राजनीतिक ताकत को पूरी तरह खत्म करने वाला माना जा रहा है. देश के राजनीतिक फलक पर बीजेपी के उभरने के बाद संसद और विधानसभा में मुसलमानों की नुमाइंदगी तेजी से घटी है। रिकॉर्ड बताते हैं कि सिर्फ संसद ही नहीं बल्कि बीजेपी ने तमाम राज्यों की विधानसभाओं में खुद को 'मुस्लिम मुक्त' कर रखा है।
हाल ही में कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े फख्र के साथ बीजेपी की ताकत का बखान किया था. उन्होंने बताया था कि बीजेपी की देश के 18 राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं। बीजेपी के पास दोनों सदनों में कुल मिलाकर 400 सांसद हैं. देश भर की के राज्यों की विधानसभाओं में 1300 से ज्यादा विधायक हैं। अगर संसद और विधानसभाओं में सांसदों और विधायकों की मौजूदगी किसी पार्टी की असली ताकत है तो यह कहना अनुचित नहीं होगा कि बीजेपी के बहुमत वाली देश की संसद और विधानसभाओं में मुसलमानों की ताकत पूरी तरह शून्य हो चुकी है।
2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद बीजेपी का मुस्लिम विरोधी रूप और भी खुलकर सामने आया है. हर लोकसभा और विधानसभा चुनाव के वक्त बीजेपी से पूछा जाता है कि उसने कितने मुसलमानों को टिकट दिया? तो उस पर बीजेपी के नेताओं के तर्क बड़े बचकाना होते हैं।
लोक दिखावे के लिए बीजेपी लोकसभा में तो 2-4 टिकट देती रही है. इक्का-दुक्का लोगों को राज्यसभा भी भेजती रही है लेकिन अब उसने लिहाज का यह पर्दा भी पूरी तरह हटा दिया है।